खोरी के आवासों पर बुलडोजर चलाना बंद करो! गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करो!

1700 घरों पर चला बुलडोज़र, दमन के बीच 9 लोग गिरफ़्तार

फरीदाबाद। हरियाणा के खोरीगांव को उजाड़ने और दमन के बीच पुलिस ने लाठियाँ बरसने के साथ गिरफ्तारियों का दौर तेज कर दिया है। पुलिस ने छात्र संगठन डीएसयू के प्रभाकर, मज़दूर बिगुल के सार्थक, इंकलाबी मजदूर केंद्र के नितेश और गांव की महिलाओं सहित 9 लोगों को हिरासत में ले लिया।

दरअसल बुधवार से ही खोरी गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। प्रशासन द्वारा पूरी तैयारी के साथ घरों को उजाड़ने की कार्रवाई के बाद गुरुवार सुबह गांववासी अपना घर बचाने के लिए बुलडोज़रों के गांव घुसने वाले रास्ते पर सैंकड़ों की संख्या में बैठ गए। इसके बाद ही पुलिस ने जबरन उन्हें हटाने के लिए लाठीचार्ज किया और गिरफ्तारियाँ कीं।

खोरी गांव: विरोध प्रदर्शन के बीच बारिश में तोड़े जा रहे मकान, कई स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ता हुए गिरफ़्तार

पूरे दिन गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों को पुलिस अज्ञात जगहों पर घूमाती रही। जिन्हें दोपहर बाद फरीदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट लाया गया। जिनपर एफ़आईआर नंबर 0461/2021 में आईपीसी की धाराएं 109, 114, 147,149,153, 188,269 एवं डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 51 के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिसमें से 1 धारा नॉन-बेलेबल है, थोप दी।

इस बीच पुलिस ने देरी, जमानतियों की कमी और तकनीकी बहानों से अचानक किसी की भी बेल प्रक्रिया पूरी नहीं होने दी। सभी 9 साथियों को जेल भेज दिया गया है। जिनमें 6 पुरुषों को फरीदाबाद जिला (नीमका) जेल तथा महिलाओं को करनाल जेल में डाल गया है।

जनता के संघर्ष के बावजूद बुधवार को खोरी में प्रशासन द्वारा लगभग 300 घरों को तोड़ दिया गया। बुधवार को जब एक तरफ भारी बारिश में खोरी गांव के बाशिंदों को उजाड़ा जा रहा था तभी दिल्ली में नागरिक समाज और कई छात्र और नौजवान संगठन हरियणा भवन का घेराव कर रहे थे।

14 जुलाई बुधवार को खोरी गांव में सुबह जब लोगों की आंखें भी नहीं खुली थीं तब पुलिस बल की एक बड़ी फौज उनके घरों के बाहर तैनात नजर आई।

ऐसे हालात में जब खोरी गांव की छाती पर सैकड़ों की फौज खड़ी हो और महामारी काल बनकर जिनके सामने खड़ी हो, उस समय भी फरीदाबाद पुलिस प्रशासन खोरी गांव वासियों पर रहम नहीं कर रही है। इधर नगर नगर ने भयंकर बारिश के बीच तोड़फोड़ की शुरुआत कर दी है।

आंदोलनकारियों का कहना है कि पुलिस ने बौखला कर वहां लाठीचार्ज किया जिसमें कई लोगों को चोटें आई और कई गिरफ्तारियां हुई हैं। उन्होंने प्रगतिशील, इंसाफपसंद लोगों से खोरी को टूटने से बचाने के लिए आगे आने की अपील भी की है ।

प्रशासन न सिर्फ जनता को नज़रबंद कर रही है, बल्कि मीडिया कर्मियों को भी वहां की हकीकत दिखाने से रोक रही है। हालांकि कुछ एक मीडिया कर्मी जो प्रशासन के चहते हैं, उन्हें प्रशासन अपने साथ ले जा रहा है। जबकि बाकि को गांव में घुसने की भी परमिशन नहीं है। 

मज़दूर आवास समिति ने कहा कि गत 13 जुलाई को फरीदाबाद प्रशासन के द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई जिसमें नगर निगम आयुक्त श्रीमती गरिमा मित्तल के द्वारा खोरी गांव के लोगों को पुनर्वास की योजना के बारे में बताया गया था। पर अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि प्रशासन के झूठे वादों की पोल खुल गई।

प्रदर्शनकारियों ने महामारी के बीच खोरी गांव से लोगों को जबरन बेदखल करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया है। हालांकि इस बीच खोरी में प्रशासन ने खोरी में तोड़ फोड़ का काम तेज़ कर दिया है।

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मज़दूर आवास समिति का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का पूरा जोर खोरी के पुनर्वास के बजाय लोगों को उजाड़ने में ही लगा रहा।

वहां की जनता जो बार-बार कह और पूछ रही है कि उनके पास सिवा खोने के कुछ भी नहीं है। अपने जीवन की एक-एक पाई जोड़कर उन्होंने घर बनाया और आज वो टूट रहे हैं। वो कहां जाएंगे?

मजदूर आवास संघर्ष समिति द्वारा नगर निगम आयुक्त, नगर प्रशासन उपायुक्त एवं डीसीपी फरीदाबाद को भेज गया पत्र-

1. नगर निगम ने पुनर्वास हेतु जो टीम गठित की है वो तत्काल ही बेदखल किए गए परिवारों को, जो पुनर्वास चाहते हैं उन्हें डबुआ कॉलोनी में बनाए गए घरों की चाबी हाथों हाथ सुपुर्द करें। यदि वह घर रहने लायक नहीं है तो उन्हें किसी ट्रांसिट कैंप में अस्थाई आश्रय प्रदान करें। उसके लिए किसी भी प्रकार के आवेदन का इंतजार न करें।

2. पुनर्वास के रूप में प्रदान किए जा रहे घर की कीमत मजदूर परिवारों से नहीं वसूली जाए। यह निःशुल्क सुविधा सरकार की तरफ से पुनर्वास के रूप में पूरी गांव के निवासियों को प्रदान की जानी चाहिए। कोरोना महामारी के दौरान इन मजदूर परिवारों का रोजगार भी छीन चुका है वो अभी घर की कीमत अदा करने की हालत में नहीं है।

3. पुनर्वास का लाभ लेने वाले परिवारों की 3 लाख रुपये की सालाना आय की सीमा भी खत्म करनी चाहिए।

4. पुनर्वास हेतु वोटर आईडी कार्ड, परिवार पहचान पत्र एवं बिजली कनेक्शन फॉर्म के साथ आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों में जो भी उपलब्ध हो उनमें से किसी भी एक को मान्य किया जाए।

5. जिन परिवारों के पास दस्तावेज नहीं है उन्हें भी सूचीबद्ध किया जाए तथा उन्हें ट्रांसिट कैंप में शिफ्ट किया जाए और उनके पुनर्वास पर विचार किया जाए।

6. नगर निगम द्वारा द्वारा जारी की गई पुनर्वास की योजना केवल मात्र एक ड्राफ्ट दस्तावेज के रूप में है जिसे हरियाणा सरकार द्वारा तत्काल नोटिफाई करवाने की आवश्यकता है। कल अगर यह योजना का ड्राफ्ट बदल दिया गया तो इसकी क्या गारंटी रहेगी कि लोगों को पुनर्वास मिलेगा। सरकार को तत्काल ही नोटिफाई कॉपी सार्वजनिक करनी चाहिए।

7. नगर निगम द्वारा की जा रही तोड़फोड़ के दौरान लोगों पर जुल्म किया जा रहा है एवं पुलिस प्रशासन द्वारा झूठे मुकदमे में खोरी गांव वासियों एवं मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूंसा जा रहा है इसलिए मीडिया कर्मियों को खोरी गांव में प्रवेश की इजाजत दी जाए ताकि पारदर्शिता का पालन हो और लोगों को नगर निगम की कार्यवाही पर पर संदेह है ना हो।

सच्चाई दिखाने वालो को रोकना सीधा ही स्पष्ट करता है की जुल्म पर पर्दा रहे और मीडिया बाहर रहे यह प्रशासन को शोभा नहीं देता और ना ही हरियाणा सरकार को।

8. फरीदाबाद पुलिस द्वारा कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है जेल भेजा गया है। इस संबंध में मजदूर आवाज संघर्ष समिति का डीसीपी फरीदाबाद से निवेदन है कि तत्काल ही जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें तुरंत छोड़ देना चाहिए।

यदि अपराध संगीन है और इसकी सजा 7 वर्ष से अधिक है तब भी आरोपी को पर्सनल बांड पर छोड़ दिया जाना चाहिए। क्योंकि अनीश कुमार बनाम बिहार सरकार के आदेश में उपरोक्त तथ्य सम्मिलित है। Contagion of covid-19 virus in presens Suo moto Wite Petition(civil) 1 of 2020 में अरनेश कुमार बनाम बिहार सरकार के मामले में दिए गए गाइडलाइन को फॉलो करना आवश्यक समझा जाए।

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