बेलसोनिक कंपनी में छँटनी की तैयारी, जारी हुई वीआरएस स्कीम

स्थाई-अस्थाई मजदूरों को हटाने की कोशिश का यूनियन ने किया विरोध

गुड़गांव (हरियाणा)। आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजुकी की ज्वाइंट वेंचर बेलसोनिका ऑटो कम्पोनेंट इण्डिया प्रा.लि. ने दो जुलाई को स्थाई-अस्थाई श्रमिकों के लिये स्वैच्छिक सेवानिवृति स्कीम/पॉलिसी की घोषणा कर दी। बेलसोनिका यूनियन ने इसे सालों से काम करने वाले स्थाई और अस्थाई मज़दूरों को हटाने की कोशिश करार देते हुए विरोध किया है।

प्रबंधन के उच्च अधिकारियों ने यूनियन को इसकी वजह संस्था में कम काम होना बताया है। प्रबंधन ने यह भी बताया कि उसके बाद स्थाई श्रमिकों के लिये वीआरएस पॉलिसी लाई जायेगी।

यूनियन ने वीआरएस की प्रबंधन की इस पॉलिसी का विरोध किया है। यूनियन का आरोप है कि प्रबंधन लगातार वीआरएस को लेकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दबाव मज़दूर नेताओं पर बना रहा है।

ज्ञात हो कि बेलसोनिका फैक्ट्री मुख्यतः शीट मैटल का काम करती है और मारुति सुजुकी के लिये चेसिस बनाती है।

स्थाई-ठेका मजदूरों को निकालने की साजिश

बेलसोनिका ऑटो कॉम्पोनेंट इंडिया एम्प्लाइज यूनियन के महासचिव जसवीर का कहना है कि पूरे ऑटो सेक्टर की कंपनियां अब स्थाई और ठेका मजदूरों को निकाल कर उनकी जगह नीम, एफ़टीई, अप्रेंटिस के तहत बेहद सस्ते मज़दूर लाना चाहती हैं।

उनका कहना है कि बेलसोलिका यूनियन राजनैतिक व सामाजिक घटनाओं व मुद्दों पर सक्रीय रही है, जिसके कारण इस इलाके में इसकी एक पहचान और भूमिका है।

यूनियन के अनुसार, बेलसोनिका प्रबंधन ने दो जुलाई को अचानक बताया कि जो ठेका श्रमिक पिछले 5-6 वर्षो से कार्य कर रहे हैं, उनके लिये वीआरएस लेकर आ रही है। इस बारे में यूनियन से पहले कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया।

प्रबंधन हो गया सक्रिय

प्रबंधन ने वीआरएस को लेकर तत्परता दिखानी शुरू कर दी है। सात जुलाई को प्रबंधकों ने 5-6 सालों से कार्य कर रहे कांट्रैक्ट वर्करों को बुलाकर वकील को साथ लेकर वीआरएस लेने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया।

करीब 1200 मज़दूर हैं कार्यरत

फिलहाल फैक्ट्री में 680 के लगभग स्थाई श्रमिक हैं, 10 प्रोबेशन, 140 ठेका श्रमिक (जिनको 5-6 वर्ष कार्य करते हो चुके हैं), लगभग 60 नीम ट्रेनी, 100 के लगभग अप्रेन्टिस और 100 के लगभग 6 माह के लिये ठेके पर भर्ती किये जाने वाले फ़िक्स टर्म एम्प्लाई हैं। कुल मिलाकर 1100-1200 श्रमिक कार्य करते हैं।

बेलसोनिका फैक्ट्री में वर्ष 2014 से 2016 तक यूनियन बनाने का तीखा संघर्ष चला था। अगस्त 2016 में मजदूर यूनियन बनाने में कामयाब रहे।

कई कंपनियां कर चुकी हैं छँटनी की तैयारी

मोदी सरकार द्वारा नई श्रम संहिताओं को लाने की तैयारी के साथ अब वीआरएस का जोर बढ़ गया है। स्थाई और ठेका श्रमिकों की जगह नीम ट्रेनी और फिक्स्ड टर्म के रूप में फोकट के मजदूरों की भर्ती के लिए कंपनियां लालायित हैं।

बीते दिनों होंडा बाइक, होंडा कार, टाटा मोटर्स, एचपी, भारत फोर्ज, थर्मेक्स, टेक महिंद्रा आदि तमाम बड़ी कंपनियां वीआरएस/वीएसएस स्कीम ला चुकी हैं। उधर  केंद्र व राज्य सरकारें 50 साल उम्र पार या 30 साल नौकरी कर चुके सरकारी कर्मचारियों को बहार निकाल रही है। बेलसोनिक भी उसी राह पर है।

वर्कर्स यूनिटी में छपी रिपोर्ट पर आधारित व संपादित

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