राफेल खरीद घोटाला : मोदी सरकार ने दबाया, फ्रांस में जाँच के लिए जज नियुक्त

फ्रांस के साथ हुए भारत के करीब 59 हजार करोड़ रुपये के राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की अब फ्रांस में न्यायिक जांच होगी। इसके लिए एक फ्रांसीसी जज को नियुक्त किया गया है। फ्रांसीसी वेबसाइट मीडियापार्ट में इसकी जानकारी दी गई है। इस डील की अत्यधिक संवेदनशील जांच औपचारिक तौर पर 14 जून से शुरू हो गई थी।

मीडियापार्ट ने अप्रैल महीने में अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा किया था कि राफेल सौदे के बदले एक भारतीय बिचौलिए को 8 करोड़ 62 लाख रुपये दिए गये। ये रुपये राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन ने दिए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कंपनी की तरफ से फ्रेंच एंटी करप्शन अथॉरिटी को इन रूपयों के बारे में कोई सही जानकारी नहीं दी गई थी।

Hide and Seek of Rafale deal! | CartoonistSatish.Com

राफेल डील को लेकर पिछले कई सालों से भारत में राजनीति गर्म रही है और फ्रेंच वेबसाइट के खुलासे के बाद फिर से हंगामा मच गया था। …इस मामले कि तह को खोल रहे हैं वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक गिरीश मालवीय

मोदी ने रॉफेल डील का घोटाला जरूर दबा दिया है लेकिन अब फ्रांस में इस डील में हुए भ्रष्टाचार को लेकर इंक्वायरी शुरू हो गई है। यह आपराधिक जांच एक स्वतंत्र मजिस्ट्रेट द्वारा कराई जाएगी, जो कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के रॉफेल डील में उठाए गए कदमों पर सवालों की जांच करेगा।

आश्चर्यजनक घटनाक्रम में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कम्पनी को अप्रैल 2015 में फ्रांस के साथ भारत के राफेल जेट सौदे से ठीक पहले ऑफसेट साझेदार बनाया गया था। …डील के सामने आने से पहले अनिल अंबानी मार्च 2015 में पेरिस में फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां-यवेस लेस ड्रियन के कार्यालय में देखे गए थे।

जबकि रिलायंस का डिफेंस के क्षेत्र में कोई अनुभव नही था, तब भी उसे इतनी बड़ी डील सौप दी गई।

इस साझेदारी को लेकर फ्रांस के तब के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बड़ा ख़ुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि अनिल अंबानी के रिलायंस डिफेंस का नाम उन्हें भारत की मोदी सरकार ने सुझाया था। उनके पास इसे मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

…एक फ़्रेंच अखबार मीडिया पार्ट को दिए इंटरव्यू में ओलांद ने कहा था कि भारत सरकार के नाम सुझाने के बाद ही दसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस से बात शुरू की थी।

मोदी ने जानबूझकर रॉफेल बनाने वाली कम्पनी डसाल्ट के बजाए फ़्रांस सरकार से रॉफेल को खरीदने की पेशकश की और अनिल अंबानी की एंट्री करवाई गई। इसके बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद का ऐलान किया गया और इस डील में मूल कीमत की लगभग तिगुनी कीमत यानी 1690 करोड़ देने की पेशकश की गई।  

पिछले साल यह तथ्य भी सामने आया था कि राफेल डील पर मुहर लगने से पहले अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की सहयोगी जुली गायेट के साथ एक फिल्म निर्माण के लिए समझौता किया था।

लेकिन यकीन मानिए कि भारत का मीडिया हमेशा की तरह इस मुद्दे को दबा देगा। लेकिन अच्छा है कि फ्रांस एक स्वतंत्र देश है। वहाँ इस बात का खुलासा होगा, क्योंकि वहाँ के मीडिया में हमारे यहाँ जैसे गुलाम पत्रकार नही है और न ही वहाँ हमारे यहाँ पाए जाने वाले जॉम्बीज अन्धभक्त हैं।

गिरीश मालवीय की फ़ेसबुक वाल से साभार

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