एचपी का पंतनगर प्लांट तीन महीने से बंद, पलायन की तैयारी तो नहीं?

कुछ स्थाई श्रमिक चेन्नई स्थानांतरित, 250 ठेका मज़दूर बाहर

पंतनगर (उत्तराखंड)। लैपटॉप-डेस्कटॉप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी हैवलैट पैकर्ड (एचपी) का पंतनगर प्लांट पिछले साढ़े तीन महीने से बंद है। कंपनी में छँटनी के लिए वीसएस स्कीम लागू हुई, फिर कुछ श्रमिकों को चेन्नई प्लांट भेजा गया। हालांकि स्थाई श्रमिकों को वेतन मिल रहा है लेकिन करीब 250 ठेका श्रमिकों को निकाला जा चुका है। श्रमिकों में भविष्य को लेकर आशंका व्याप्त है।

स्थिति यह है कि प्लांट कभी भी पूर्णतः बंद हो सकता है या तीसरी पार्टी को दिया जा सकता है, जो अपनी शर्तों के साथ प्लांट को चलाएगी। कंपनी प्रबंधन कोविड के कारण माँग ना होने और चीन से पुर्जे ना आने के चलते प्लांट बंद होने की बात कह रहा है।

जबकि सच यह है कि कोविड/लॉकडाउन के बीच कंप्यूटर-लैपटॉप की माँग काफी बढ़ी है और इसका बाजार पूरी तरह फल-फूल रहा है। यहाँ तक कि लैपटॉप की कीमतें काफी बढ़ी हैं।

सब्सिडी व टैक्स रियायतों के साथ 2007 में शुरू हुआ था प्लांट

बहुराष्ट्रीय कंपनी एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड सिड़कुल, पंतनगर (उत्तराखंड) प्लांट भारी सरकारी सब्सिडी और टैक्स सहित अन्य रियायतों के साथ 2006 में स्थापित हुआ और मार्च 2007 में यहाँ उत्पादन शुरू हुआ था।

पूरी श्रम शक्ति के साथ प्लांट चलने और पर्याप्त मांग होने पर इस प्लांट में हर माह तीन लाख डेस्कटॉप और लैपटॉप तैयार होते थे। शुरुआती सालों में यहाँ रिकार्ड उत्पादन हुआ। अपनी स्थापना से अबतक कंपनी ने यहाँ से भारी मुनाफा कमाया।

इस बीच टैक्स की रियायतों की अवधि समाप्त हो गई तो सिड़कुल की तमाम कंपनियों की तरह नई सब्सिडी और टैक्स की रियायतों के लिए एचपी भी यहाँ से पलायन का रुख करने लगी।

चेन्नई में लगा नया प्लांट, राज्य से पलायन की आशंका

पिछले साल (अगस्त, 2020) एचपी इंडिया का चेन्नई के निकट श्रीपेरंबदूर में नया प्लांट शुरू हुआ। उसके बाद से पंतनगर प्लांट का उत्पादन गिरता गया। पिछले साल अक्तूबर से कथित रूप से मांग कम होने के कारण उत्पादन कम होता चला गया। जनवरी में उत्पादन गिरकर दस फीसदी तक आ गया था। जनवरी से फरवरी के बीच केवल दस से 15 हजार सिस्टम ही कंपनी में एसेंबल हो रहे थे।

यही नहीं, एचपी प्रबंधन ने छँटनी के उद्देश्य से 1 दिसंबर, 2020 को “स्वैच्छिक सेवा त्याग योजना” (वीएसएस) लागू की, जिसमें कर्मचारियों ने कोई रुचि नहीं दिखलाई थी। फिर कोरोना के बहाने उत्पादन ठप किया गया। इससे उत्पादन में लगे करीब 50 श्रमिकों सहित करीब 250 अस्थाई श्रमिकों की सेवा समाप्त कर दी गई और 220 स्थाई श्रमिकों को सवेतन अवकाश देकर घर बैठा दिया गया। इस बीच कुछ श्रमिकों का चेन्नई स्थानांतरण किया गया।

प्लांट के एक श्रमिक का कहना है कि प्रबंधन द्वारा सचेतन तौर पर इस प्लांट में उत्पादन गिराकर यहाँ का काम चेन्नई प्लांट में भेजा जाने लगा। कुछ श्रमिकों का भी तबादला चेन्नई किया गया।

एचपी इंडिया प्रबंधन की ये सारी कारगुजारियाँ इस बात का संकेत दे रही हैं कि वह सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाकर अब राज्य से पलायन की तैयारी में है। राज्य में सरकारी रियायतों की अवधि समाप्त होने के बाद से भास्कर, एस्कॉर्ट से लेकर एमकोर, आमूल ऑटो सहित तमाम कंपनियाँ यहाँ से पलायन कर चुकी हैं।

माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रॉडक्ट्स भी इसी दिशा में सक्रिय है और पिछली 31 महिनें से 351 श्रमिक गैरकानूनी छँटनी/ले ऑफ के शिकार बन संघर्षरत हैं।

क्या 15 जुलाई को खुलेगा प्लांट?

प्रबंधन प्लांट खुलने के बाबत स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहा है। उनका कहना है कि इस संबंध में कोई भी सूचना मिलने पर कर्मचारियों को बताया जाएगा। प्लांट के एक श्रमिक के अनुसार अभी 15 जुलाई तक प्लांट बंदी की सूचना है।

प्रबंधन की कठदलीली

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के स्थानीय प्रबंधन का कहना है कि हमारे पास वर्तमान में मांग नहीं है, इसलिए उत्पादन गिर गया है। कोविड के चलते कर्मचारियों के हित में प्लांट को बंद किया गया है। उनको पूरे महीने का वेतन दिया जा रहा है। कंपनी के यहां से शिफ्टिंग बाबत अभी कोई जानकारी नहीं है। किसी भी कर्मचारी ने “स्वैच्छिक सेवा त्याग योजना” (वीएसएस) का लाभ नहीं लिया है। कर्मचारियों के हित में ही फैसला लिया जाएगा। नीतिगत फैसले हेड ऑफिस से ही होते हैं।

वहीं पिछले साल चेन्नई प्लांट शुरू करते हुए एचपी प्रबंधन ने कहा था कि कोरोना महामारी के बाद वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई के कारण पीसी माँग काफी बढ़ी है और इस प्लांट की महत्ता इसी पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है।

साफ है कि काम की कमी नहीं है, बल्कि पंतनगर प्लांट को चलाने के प्रति नियत ठीक नहीं है!

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