राजस्थान : लेबर कमिश्नर 3 लाख घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

श्रम अधिकारियों से एकत्रित करके पहुँची थी रकम

राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए श्रम आयुक्त प्रतीक झाझड़िया को तीन लाख रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। श्रम आयुक्त के साथ दो अन्य को भी गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद पूछताछ जारी है।   

प्रतीक झाझड़िया भारतीय डाक सेवा का अधिकारी है और भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर राज्य सरकार के श्रम विभाग में कार्यरत है। गिरफ्तार अन्य दो में रवि मीणा आर्थिक सलाहकार परिषद में विशेषाधिकारी के पद पर तैनात है जबकि अमित एक दलाल है।

उल्लेखनीय है कि बड़ा अधिकारी सीधे घूस नहीं लेता, नीचे के अधिकारियों/बाबुओं द्वारा वसूली गई राशि में उसका हिस्सा उसके पास पहुंचता है। इस रकम से एक हिस्सा वह अपने ऊपर वालों को पहुँचाता है और तंत्र काम करता रहता है।

तीन लाख रुपए रिश्वत राशि लेते हुआ गिरफ्तार

ब्यूरो के महानिदेशक भगवान लाल सोनी ने बताया कि आरोपी श्रम आयुक्त प्रतीक झाझडिया को ब्यूरो के एक दल ने प्राइवेट व्यक्ति अमित शर्मा और आर्थिक सलाहकार परिषद में विशेषाधिकारी रवि मीणा के जरिये श्रम कल्याण अधिकारियों से एकत्रित की गई तीन लाख रूपये की रिश्वत राशि प्राप्त करते हुए उसको गांधी नगर, जयपुर स्थित निवास से पकड़ा गया।

इस संबंध में प्रतीक झाझडिया, रवि मीणा, अमित शर्मा के जयपुर स्थित निवास स्थानों, सवाई माधोपुर के श्रम कल्याण अधिकारी शिवचरण के दौसा स्थित निवास स्थान तथा करौली के श्रम कल्याण अधिकारी रमेश मीणा के करौली स्थित निवास स्थान की तलाशी ली गयी।

प्रतीक झाझडिया के निवास की तलाशी में तीन लाख रूपये के अतिरिक्त 5 लाख 37 हजार रूपये बरामद हुये। करौली के श्रम कल्याण अधिकारी रमेश मीणा के निवास की तलाशी में 10 लाख 83 हजार रूपये की राशि बरामद हुई है।

एसीबी ने यह कार्रवाई डीजी बीएल सोनी और एडीजी दिनेश एमएन के निर्देश पर की है। एसीबी अब प्रतीक के पिछले रिकॉर्डों को भी खंगाल रही है। आशंका जताई जा रही है कि वह अपने पिछले कार्यकाल में भी रिश्वत खोरी को बड़ी आसानी से अंजाम देता रहा है।

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आरोपी 2011 बैच का अफसर है

प्रतीक झझरिया झुंजुनूं का रहने वाला है। वह भारतीय डाक सेवा वर्ष 2011 बैच का अधिकारी है। लेबर कमिश्नर के तौर पर काम करने से पहले वह बिजनेस डेवलपमेंट विभाग, डाक सेवा में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत था।

ऊंची पहुंच के चलते मिली कमिश्नर की पोस्ट

प्रतीक की पहुंच काफी ऊंचे स्तर पर है। इसी के चलते वह प्रशासनिक सेवाओं से सीधे तौर पर न जुड़े होने के बावजूद लेबर कमिश्नर के पद पर बैठा दिया गया। इस पद पर प्रायः आईएएस या फिर सीनियर आरएएस रैंक के अफसरों की पोस्टिंग की जाती है।

श्रम विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा

यह सर्वविदित है कि मजदूरों को न्याय देने की जगह श्रम विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। मालिकों से साँठ-गांठ करके मनमाने तरीके से मज़दूरों को प्रताड़ित करना एक खुला खेल है, जिसमें पूरा तंत्र लगा हुआ है।

अभी गिरफ़्तारी फिर

रिश्वतखोरी का मामला एक व्यक्ति का नहीं, आज पूरे तंत्र का आधार बन चुका है। प्रायः ऐसे खेल में कुछ दिन तक सुर्खियां बनी रहती हैं। धीरे-धीरे मामला ठंड पड़ता है और फिर इस खेल के ऊपरी खिलाड़ी बचाने में जुटे रहते हैं। घूसखोरी की रकम का एक हिस्सा नीचे से ऊपर तक खर्च होता है।

अंत में घूसखोर अधिकारी ‘बाइज्जत’ बरी होकर, पद पर आसीन हो जाता है, और ‘कुशलता’ से काम में लग जाता है। यह तंत्र चलता रहता है, और अधिकारी बेखौफ प्रतिष्ठित रहते हैं।  

ज्ञात हो कि साल 2009 में उत्तराखंड में डीएलसी हल्द्वानी भी 16 हजार रुपए घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चल गया, डीएलसी बरी हुआ, उसकी बहाली हो गई और बाद में पदोन्नति भी हुई।

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