शोषण : दूरदर्शन चेन्नई में 30 दिन काम, महज 7 दिन का भुगतान

दूरदर्शन के कर्मचारियों ने लगाया आरोप

चेन्नई के दूरदर्शन केंद्र का ज़्यादातर काम अस्थायी कर्मचारी करते हैं और कथित तौर उन्हें इसका पूरा पैसा नहीं दिया जाता है। दूरदर्शन में लंबे समय के लिए आक्समिक कर्मचारी रखने का सिलसिला काफ़ी वक़्त से चला आ रहा है और यह कथित तौर पर उच्च अधिकारियों की जानकारी के साथ होता है।

कई कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वह हर महीने 2 हफ़्ते से 30 दिन तक काम करते हैं, मगर उन्हें सिर्फ़ 7 दिन का पैसा दिया जाता है।

दूरदर्शन में टीवी चैनल चलाने के लिए सभी आवश्यक काम कथित तौर पर अस्थायी कर्मचारी ही करते हैं, जैसे एडिटर, रिसोर्स पर्सन, रिपोर्टर, एंकर और सेट वर्कर।

दूरदर्शन कर्मचारियों का कहना है कि वह ऐसे शोषण भरे माहौल में इस उम्मीद में काम करते हैं कि भविष्य में उनके लिए स्थायी कर्मचारी बनने की उम्मीद जगेगी और उन्हें एक सरकारी कर्मचारी होने के फ़ायदे मिल पाएंगे।

न्यूज़क्लिक ने जिन कर्मचारियों से बात की उन्होंने अपना नाम नहीं बताया क्योंकि डर है कि प्रशासन उन्हें निशाना बनाएगा। उन्होंने एक कर्मचारी का उदाहरण दिया जिसने इस प्रथा पर सवाल उठाए थे और उसे अगले प्रोजेक्ट में काम नहीं दिया गया था।

कर्मचारियों का कहना है कि एनडीए के राज में, दूरदर्शन लगभग पूरी तरह से अस्थायी और अनुबंध कर्मचारियों के साथ काम करता है; चुनिंदा स्थायी कर्मचारी ही बचे हैं जो कुछ साल में रिटायर होने वाले हैं।

दूरदर्शन

21 साल से अस्थायी कर्मचारी

दूरदर्शन चेन्नई के साथ क़रीब 10 साल संपादक के तौर पर काम कर रहे एक कर्मचारी ने दावा किया, “हम महीने में 15 दिन काम करते हैं, मगर हमें सिर्फ़ 7 दिन का भुगतान किया जाता है। किसी किसी को किस्मत से बाक़ी महीने के लिए फ्रीलांस काम मिल जाता है।”

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, “हमने प्रशासन के साथ समझौता कर के 15 दिन काम करना शुरू किया; पहले, हम 30 दिन काम करते थे। जो समझौते में शामिल नहीं थे, वह अभी भी 30 दिन काम करते हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया, “मैं एक एडिटर हूँ मगर मेरी बहाली ‘पोस्ट-प्रोडक्शन असिस्टेंट’ के तौर पर हुई है क्योंकि एडिटर को ज़्यादा पैसा मिलना चाहिये। मुझे एक दिन का ₹1,980 मिलता है और काग़ज़ों पर मैं 7 दिन ही काम करता हूँ, ऐसे में मुझे हर महीने ₹13,860 मिलता है।”

एक कर्मचारी जो दूरदर्शन चेन्नल के साथ 21 साल हैं, ने कहा, “यही यहाँ का नियम है, यह दशकों से चला आ रहा है।” उन्होंने दावा किया कि यह सिलसिला 2004-05 में शुरू हुआ था जब कर्मचारियों को महीने में 21 दिन के लिये रखा जाता था। उन्होंने कहा, “हम सीनियर के अनुरोध पर 2 दिन और काम करते थे।”

कर्मचारियों ने दावा किया कि साल बीतते गए और हर महीने 21 दिन का भुगतान 10 दिन हो गया, और अब यह 4 से 10 दिन का है। एक कर्मचारी ने दावा किया, “यह बदलाव दिल्ली के अधिकारियों से इजाज़त लेकर किया गया था।”

तमिलनाडु यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स के आफिस बियरर पुरुषोत्तमन ने कहा, “अगर लेबर क़ानून बनाने वाली सरकार ही उसे लागू नहीं करेगी, तो बाक़ी टीवी चैनल उसे लागू कैसे करेंगे। यह पत्रकारों के लिए दयनीय स्थिति है।”

स्थायी नौकरी का सपना

पहले अस्थायी कर्मचारियों ने कथित तौर पर क़ानूनी लड़ाईयां लड़ी हैं और स्थायी नौकरी पाने में कामयाब हुए हैं।

एक कर्मचारी ने न्यूज़क्लिक को बताया, “8 से 10 साल पहले कर्मचारियों को हर महीने 10 दिन काम के लिए रखा जाता था, जो एक साल में 120 दिन होते थे। 2 कर्मचारियों ने स्थायी नौकरी की मांग करते हुए कोर्ट केस किया और दूरदर्शन के साथ लंबे समय तक काम और एक साल में 120 दिन काम की बिना पर वह केस जीत गए।”

एक अन्य वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया, “उनमें से एक कर्मचारी जब केस जीती तब वह 53 साल की थीं, उन्होंने सिर्फ़ 7 साल काम किया और रिटायर हो गईं। दूसरा कर्मचारी भी युवा नहीं था।”

भविष्य में ऐसे मामले होने से रोकने के लिए प्रशासन ने काम के दिनों को महीने में 7 दिन कर दिया। कर्मचारी ने बताया, “अब हम काग़ज़ों के हिसाब से महीने में 7 दिन काम करते हैं जो कि साल में 84 दिन होते हैं। क़ानूनी लड़ाई लड़ कर जीतने के लिए यह बहुत कम है।”

यह पूछे जाने पर कि कर्मचारी ऐसी परिस्थितियों में काम करना क्यों जारी रखते हैं, दूरदर्शन के एक संपादक ने कहा, “हम में से कई लोग आशान्वित हैं कि किसी दिन हमें एक स्थायी कर्मचारी के रूप में भी काम पर रखा जाएगा। हम उस दिन का सपना देखते हैं जब आवेदनों की घोषणा की जाएगी।”

यह देखते हुए कि उनमें से कई अपनी नौकरी के लिए अच्छी तरह से योग्य हैं और लंबे समय से डीडी से जुड़े हुए हैं, उनका मानना ​​है कि नौकरी के उद्घाटन के मामले में, वे पसंदीदा उम्मीदवार होंगे। वे उस पल का इंतजार कर रहे हैं।

इससे पहले स्थायी भर्तियां 1997 में की गई थीं, जब सूचना अधिकारी के चार पद भरे गए थे।

बिखरी ट्रेड यूनियन

सभी कार्यकर्ताओं ने एकमत से कहा कि आमतौर पर स्थायी कर्मचारी ही मजबूत ट्रेड यूनियन बनाते हैं, और क्योंकि डीडी चेन्नई में केवल शीर्ष स्तर के अधिकारी ही स्थायी हैं, कोई यूनियन नहीं है।

एक कर्मचारी ने कहा, “केवल प्रोड्यूसर और प्रोडक्शन असिस्टेंट ही स्थायी होते हैं; बाक़ी सभी को दिन-प्रतिदिन के आधार पर लिया जाता है, यहां तक ​​कि अनुबंध के आधार पर भी नहीं।”

कुल मिलाकर लगभग 200 अस्थायी कर्मचारी दूरदर्शन चेन्नई के साथ काम कर रहे हैं – 60 समाचार अनुभाग से जुड़े हैं, 20 कृषि के साथ और अधिकांश लाइटिंग, सेट और कार्यक्रमों आदि पर काम करते हैं।

भले ही दूरदर्शन चेन्नई में श्रमिकों की कोई ट्रेड यूनियन नहीं है, लेकिन उनमें से अधिकांश डीडी के बाहर यूनियनों से संबद्ध हैं, जैसे कैमरामैन यूनियन, बढ़ई यूनियन, संपादक संघ आदि।

अस्थायी कर्मचारियों के अलावा, कई और परिवार हैं जो दूरदर्शन चेन्नई पर निर्भर हैं। कई कलाकार और अतिथि जिन्हें परियोजनाओं के लिए नियमित रूप से काम पर रखा गया था, वे कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कम प्रोग्राम के कारण काम से बाहर हैं। साथ ही दूरदर्शन का बजट बरक़रार रहने के बाद भी प्रशासन ऊपर से धन की कमी की शिकायत कर रहा है।

न्यूज़क्लिक ने कर्मचारियों के इन आरोपों पर दूरदर्शन चेन्नई की टिप्पणी लेनी चाही मगर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। दूरदर्शन से टिप्पणी मिलने पर ख़बर को अपडेट किया जाएगा।

न्यूज़क्लिक से साभार

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