अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर घरेलू कामगारों की आवाज हुई बुलंद
हक़ के लिए कोलकाता, बैंगलोर, दिल्ली में एसजीयू ने चलाया अभियान
अंतरराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर 16 जून को देश-दुनिया में घरेलू कामगारों की आवाज बुलंद हुई। भारत में घरेलू कामगारों की यूनियन एसजीयू ने अभियान और विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया। घरेलू कामगारों के अधिकारों के अभियान को कोलकाता, बैंगलोर, दिल्ली में मजबूती मिली!
पिछले कुछ दिनों में शहरों में महिलाओं को यूनियन की शक्ति का प्रदर्शन करते देखा गया है।
कोलकाता
कोलकाता और उपनगरीय जिलों में संग्रामी गृह परिचारिका यूनियन (एसजीयू) के बैनर तले बीते 10 दिनों तक मजदूर वर्ग के इलाकों में अभियान चला। घरेलू कामगारों के लिए कोविड-19 लॉकडाउन से संबंधित विशेष मांगें उठाईं, जिसका असर खासकर मेहनतकश महिलाओं पर पड़ा है।
इन सभी क्षेत्रों में घरेलू कामगारों के लिए प्राथमिकता और मुफ्त टीकाकरण, मुफ्त राशन और लॉक डाउन के समय वेतन (मुआवजा वेतन) को लेकर एक अभियान चलाया गया।
शोषण के खिलाफ एकजुट होकर साल्ट लेक कोलकाता में घरेलू कामगारों के अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन किया।
बंगलुरु
बंगलौर में प्रवासी घरेलू कामगारों ने अन्य घरेलू कामगार संघों और संगठनों के साथ श्रम आयुक्त को माँगपत्र का एक ज्ञापन सौंपा। इसने उनकी प्रवासी पहचान के साथ काम के सवालों की कठिनाइयों, सामाजिक सुरक्षा आदि का मुद्दा उठाया, खासकर कर्नाटक सरकार की नीतियों के आलोक में।
इससे पूर्व बेंगलुरु में भी इन्हीं मुद्दों को लेकर तीन जगह पर 10 दिनों तक अभियान चलाया गया।
दिल्ली
संग्रामी घरेलू कामगार यूनियन (एसजीयू) ने दिल्ली में एक ऊर्जावान जनसभा का आयोजन किया। इलाके में यूनियन और क्षेत्रवार एकता के निर्माण की आवश्यकता को लेकर महिला कार्यकर्ता स्वयं आगे आईं। दिल्ली में एसजीयू यूनियन की ओर से पहला कार्यक्रम किया गया।
एसजीयू घरेलू काम को ‘काम’ के रूप में मान्यता देने और आज महिलाओं को रोजगार देने वाले सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक को न्यूनतम मजदूरी गारंटी और औपचारिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए राष्ट्रव्यापी कानून की माँग करता है।
यूनियनों की प्रमुख माँगें-
- न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा
- व्यापक कर्मचारी समर्थक कानून
- सवेतन अनिवार्य छुट्टी
- छँटनी से पहले 1 महीने का नोटिस देने
- ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार
- घरेलू कामगारों से संबंधित श्रमिक ट्रिब्यूनल की स्थापना
अपराधीकरण, भेदभाव और यौन उत्पीड़न पर लगाम लगे, इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित हो!
सभी महिलाओं की मुक्ति तक कोई समझौता नहीं!
महिलायें जीतेंगी आधी दुनिया, आधा आसमान!