केरल : राजमार्ग डकैती सहित करोड़ों रुपए घोटाले में फंसे भाजपा के कई नेता

चुनावी फंड वितरण में भी बेहिसाब हेराफेरी

नई दिल्ली: राजमार्ग डकैती के एक मामले की कथित हवाला केस के रूप में हो रही जांच के साथ कई अन्य विवादों ने भाजपा की केरल इकाई को हिलाकर रख दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले के सामने आने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने केरल इकाई को मुहैया कराए गए चुनावी फंड के वितरण और उनके इस्तेमाल पर एक रिपोर्ट जमा करने के लिए एक तीन सदस्यीय ‘स्वतंत्र’ समिति से कहा है.

समिति के तीनों सदस्य- रिटायर सिविल सेवा अधिकारी सीवी आनंदा बोस, जैकब थॉमस और ई. श्रीधरन फिलहाल पार्टी जुड़े हुए हैं और तीनों ही सदस्यों से हाल ही में समाप्त हुए चुनाव से ठीक पहले भाजपा की केंद्रीय इकाई द्वारा राज्य इकाई को भेजे हुए फंड के बारे में विभिन्न नेताओं और प्रत्याशियों से बात करके एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है.

जैकब थॉमस एक पूर्व आईपीएस अधिकारी और श्रीधरन दिल्ली मेट्रो के पूर्व प्रमुख के रूप में अप्रैल में हुए चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, इससे पहले वे पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं थे और इसलिए उन्हें किसी खास खेमे से जुड़ा हुआ नहीं माना जा रहा है. वहीं, सीवी आनंदा बोस एक रिटायर आईएएस अधिकारी हैं.

इनमें से कम से कम एक ने इंडियन एक्सप्रेस को पुष्टि की है कि रिपोर्ट जमा कर दी गई है.सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने मांगी थी.

सूत्रों के अनुसार, चुनाव में अपमानजनक प्रदर्शन के बाद गुटबाजी से त्रस्त राज्य इकाई में नेतृत्व परिवर्तन की शिकायतों और मांगों से घिरे पार्टी नेतृत्व ने राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी को राज्य के नेताओं से सूचना एकत्र करने के लिए भी कहा है.स्वतंत्र मानी जाने वाली टीम से रिपोर्ट लेने का शीर्ष नेतृत्व का कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष राज्य मामलों के प्रभारी थे.

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब केरल में भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने बीएल संतोष के खिलाफ शीर्ष नेतृत्व से शिकायत की है, जिस पर उन्होंने राज्य इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन के नेतृत्व वाले आधिकारिक गुट का पक्ष लेने का आरोप लगाया है.

बता दें कि केरल में भाजपा के कई नेताओं की केरल पुलिस द्वारा 3.5 करोड़ रुपये की राजमार्ग डकैती के संबंध में जांच की जा रही है, जिसके बेहिसाब चुनावी फंड होने का संदेह है. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ सुरेंद्रन के निजी सहयोगी से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है.

प्रदेश पार्टी नेतृत्व को इसके बाद और शर्मिंदगी का सामना तब करना पड़ा जब जनथिपथ्य राष्ट्रीय सभा के एक नेता ने दावा किया था कि उनकी पार्टी के प्रमुख सीके जानू ने सुरेंद्रन से 10 करोड़ रुपये की मांग की थी और आखिरकार 6 अप्रैल के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में लौटने के लिए 10 लाख रुपये पर समझौता किया गया था.

इसके बाद पार्टी तब इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा जब मंजेश्वरम निर्वाचन क्षेत्र (के. सुरेंद्रन द्वारा लड़े गए सीटों में से एक) से अपना नामांकन दाखिल करने वाले बसपा उम्मीदवार के सुंदरा ने आरोप लगाया था कि उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया गया था.

हालांकि भाजपा ने आरोपों से इनकार किया है.निजी तौर पर यह स्वीकार करते हुए कि विवादों ने एक विश्वसनीय राजनीतिक विकल्प के रूप में उभरने की भाजपा की संभावनाओं को खराब कर दिया है, राष्ट्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं को एक साथ काम करने और एक इकाई के रूप में आने का निर्देश दिया है.

बीते छह जून को राज्य भाजपा की प्रमुख कोर कमेटी की बैठक से पहले पार्टी के पूर्व अध्यक्ष कुम्मनम राजशेखरन ने सत्तारूढ़ माकपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस की सुरेंद्रन को किनारे किए जाने की कोशिश करने की निंदा की है. राजशेखरन ने कहा, ‘भाजपा इसकी इजाजत नहीं देगी.’केरल भाजपा के सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने राजशेखरन को पार्टी का बचाव करने का जिम्मा सौंपा है, जिनकी अभी एक साफ राजनेता की छवि है.

सूत्रों के मुताबिक, कोर कमेटी की बैठक में डकैती मामले में बीजेपी के बचाव की कड़ी आलोचना हुई. नेताओं के एक वर्ग ने आगाह किया है कि मामले में पार्टी के लगातार इनकार करने से उसकी छवि और विश्वसनीयता को और नुकसान पहुंचा सकता है.सूत्रों के अनुसार, एक नेता ने चेतावनी दी, ‘जनता के सामने हमारा उपहास किया जाएगा.’

नाम न छापने की शर्त पर केरल के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘जबरदस्त गुटबाजी न केवल विधानसभा चुनाव में पार्टी की अपमानजनक हार का कारण है, बल्कि हाल के विवादों ने भी पार्टी की छवि और विश्वसनीयता को प्रभावित किया है.’

नेता ने कहा, ‘अगर पार्टी एकजुट होती तो हाईवे डकैती का मामला सामने नहीं आता. गुटबाजी की वजह से ही यह उजागर हुआ.’उन्होंने आगे कहा, ‘कथित तौर पर सुनियोजित डकैती की जानकारी पुलिस को केवल इसलिए दी गई, क्योंकि विरोधी खेमे को लगा कि फंड उनके पास या उसके प्रत्याशियों के पास नहीं पहुंचा.’

नेता ने संकेत दिया, ‘अब यह भाजपा और आरएसएस के लिए बड़ी शर्मिंदगी का सबब बन गया है, क्योंकि इसमें आरएसएस नेताओं का नाम भी घसीटा जा रहा है.’बता दें कि हाल ही में समाप्त हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी एकमात्र सीट नेमोम, माकपा से हार गई और उसका वोट प्रतिशत भी 2016 में 14.46 प्रतिशत से घटकर 2021 में 11.30 प्रतिशत पर आ गया है.

द वायर से साभार

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