मध्यप्रदेश में संविदा स्वास्थ्यकर्मी व सहयोगी स्टॉफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

कोरोना नियंत्रण का पूरा काम, लेकिन वेतन सुविधाएं नहीं

भोपाल। प्रदेश में संविदा स्वास्थ्यकर्मी व सपोर्ट स्टॉफ सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए है । आशा कार्यकर्ता व सहयोगिनी भी एक दिन की हड़ताल पर है। इसका स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरित असर पड़ना तय है। प्रदेश में 19 हजार स्वास्थ्यकर्मी व 2500 सपोर्ट स्टॉफ है। आशा कार्यकर्ता व सहयोगिनियों की संख्या लाखों में है। ये सभी कोरोना नियंत्रण में सेवाएं दे रही हैं। संविदा स्वास्थ्यकर्मी संघ के डॉ. सुनील यादव का आरोप है कि सरकार संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को खुद की नीति के अनुरूप नियमित पदों का 90 फीसद वेतन नहीं दे रही है।

अनुकंपा नियुक्ति् नहीं देती, जिन्हें निकाल दिया है उन्हें वापस नहीं ले रही है। सपोर्ट स्टॉफ कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कोमल सिंह का आरोप है कि 2500 सपोर्ट स्टॉफ 12 साल तक संविदा पर काम करते रहे, उन्हें उठाकर आउटसोर्स एजेंसी के अधीन कर दिया। जहां शोषण हो रहा है। सेंट्रल आॅफ इंडियन ट्रेड यूनियन के एटी पदमनाभन ने आरोप लगाया कि कोरोना नियंत्रण का पूरा काम आशा व सहयोगिनी कर रही हैं, जिन्हें सरकार को 30 और 20 हजार रुपये प्रतिमाह देना चाहिए लेकिन शोषण किया जा रहा है। मांगों को अनसुना किया है इसलिए विरोध दर्ज कराना मजबूरी बन गई है।

-संविदा स्वास्थ्यकर्मियों में डॉक्टर, महिला व पुरूष स्वास्थ्यकर्मी, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, कम्प्यूटर आपरेटर, एएनएम, स्टॉफ नर्स, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर, सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी आदि होते हैं। इनके हड़ताल पर जाने से व्यवसथाएं चरमरा जाएंगी। क्योंकि इनकी संख्या 19 हजार से अधिक है।

-सपोर्ट स्टॉफ जिला अस्पतालों, नवजात शिशु चिकित्सा इकाईयो में काम करते हैं, इनके हड़ताल पर जाने से दिक्कतें होनी तय है।-आशा कार्यकर्ता व सहयोगिनी मैदानी स्तर पर कार्यरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना जांच व दवा वितरण इन्हीं पर निर्भर है। यह काम प्रभावित होगा।

नवदुनिया से साभार

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