पंचायत चुनावों में 1621 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत, योगी सरकार ने बताया तीन

इस संवेदनहीनता के खिलाफ शिक्षक उतरेंगे सड़क पर

उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनावों में 1621 शिक्षक व कर्मचारी जान गाँव चुके हैं। शिक्षक संघ ने बाकायदा सभी दिवंगत अध्यापकों की जिलेवार सूची जारी की है और सरकार को भी भेजी है। लेकिन हत्यारी योगी सरकार सिर्फ 3 मौतें बता रही है। संघ इसके खिलाफ आंदोलन की तैयारी में है।

प्राथमिक शिक्षक संघ ने जो सूची जारी की है, उसके अनुसार पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों व कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है।

इस सूची में जान गंवाने वाले शिक्षकों के नाम, उनके विद्यालय के नाम, पदनाम, ब्लॉक व जनपद का नाम, मृत्यु की तिथि और दिवंगत शिक्षक के परिजन का मोबाइल नंबर भी दिया गया है।

संघ ने 16 मई को मुख्यमंत्री को यह सूची भेजते हुए चुनाव ड्यूटी में गुजरे हुए सभी शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व कर्मचारियों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता, उनके परिजनों को नौकरी दिए जाने सहित आठ मांगें की हैं।

योगी सरकार के लिए केवल तीन मौतें

प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा है कि स्थापित मानकों के हिसाब से देखें तो चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है। इस बीच बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 18 मई को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राज्य निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक अभी सिर्फ तीन शिक्षकों की मृत्यु होने की बात कही गई है।

शिक्षक संघ ने जताई आपत्ति, कहा मुआवजे की जगह दाँवपेंच

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने 18 मई को देर रात अपने ट्विटर हैंडल पर बेसिक शिक्षा विभाग का एक प्रेस नोट शेयर करते हुए लिखा है, ‘संवेदनहीनता, गैरजिम्मेदाराना व वास्तविकता से परे इस प्रेस नोट से अपने सैंकड़ों मृत हुए शिक्षक साथियों के बच्चों के हक को नहीं मारने देंगे। उनके परिवारों के हित में हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।‘

डॉ. दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार पंचायत चुनाव ड्यूटी करने या उसके कुछ ही दिनों बाद मरने वाले शिक्षकों तथा अन्य कर्मियों को मुआवजा देने में दांवपेच कर रही है। उन्होंने इल्जाम लगाया कि सरकार के शासनादेश की भाषा इस तरह लिखी गई है जिससे बहुत बड़ी संख्या में पात्र परिजन इस मुआवजे से महरूम रह जाएंगे।

शर्मा ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि कोविड-19 के लक्षण 24 घंटे में ही नजर नहीं आते बल्कि उनके सामने आने में कुछ दिनों का समय लगता है लेकिन सरकार ने अपने शासनादेश में कहा है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के 24 घंटे के अंदर जिन कर्मचारियों की मृत्यु होगी उनके परिजन को ही मुआवजा दिया जाएगा। यह सरासर अन्याय है।

Image

लाखों शिक्षक करेंगे आंदोलन

शिक्षक संघ का कहना है कि पंचायत चुनाव के दौरान ही संघ ने राज्य निर्वाचन आयोग को लिखा था, लेकिन सरकार व निर्वाचन आयोग ने उसका मजाक उड़ाया। ड्यूटी के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट माँगी गई, लेकिन उसका भी उलँघन किया गया। सबको जबरिया ड्यूटी में लगाया गया। इन हत्याओं के लिए सरकार जिम्मेदार है।

शिक्षक संघ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इसे गंभीरता से लिया और 2 करोड़ रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया तो योगी सरकार ने महज 3 मृतकों का आंकड़ा जारी कर दिया। सरकार अपमान कर रही है, इसे बर्दस्त नहीं किया जाएगा। लाखों शिक्षक और उनके परिजन सड़क पर उतरकर इसका विरोध करेंगे।

चुनाव में ड्यूटी पर लगे 135 शिक्षक-शिक्षामित्रों की मौत, पूर्व IAS बोले-  योगीजी किसपर हत्या का मुकदमा होगा?

इस प्रकरण पर फ़ेसबुक पर कृष्ण कान्त जी टिप्पणी-

उत्तर प्रदेश में 1621 शिक्षकों को चुनाव में ड्यूटी करवा कर मारा गया और अब उनकी आत्माएं छलनी की जा रही हैं।

कल्याणी जौनपुर में सहायक अध्यापक थीं। वे 8 महीने के गर्भ से थीं। वे ड्यूटी नहीं करना चाहती थीं। वे 30 किलोमीटर दूर ड्यूटी निरस्त करवाने का आवेदन लेकर गईं लेकिन ड्यूटी निरस्त नहीं की गई। कहा गया कि अगर वे ड्यूटी पर नहीं पहुंची, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और वेतन भी नहीं मिलेग।

कल्याणी की नौकरी का पहला महीना था। उन्हें अभी तनख्वाह भी नहीं मिली थी। उनसे 15 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी करवाई गई। वे 32 किलोमीटर का सफर करके ड्यूटी करने गईं। उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया। 15 दिन बाद जौनपुर के अस्पताल में कल्याणी की मौत हो गई।

कल्याणी की तरह सुल्तानपुर में 28 साल रमेश यादव की भी नई नौकरी थी। पहली सैलरी की खुशी घर आनी थी। लेकिन चुनाव ड्यूटी के बाद उनकी मौत हो गई।

इसी तरह पूरे प्रदेश में 1621 घरों के दिए चुनावी सनक में बुझा दिए गए, लेकिन इसे कोई मानने को तैयार नहीं है। हाईकोर्ट यूं नहीं नहीं कह रहा है कि यह जनसंहार है।

यूपी का शिक्षक संघ चिल्ला रहा है कि चुनाव ड्यूटी के बाद कोरोना संक्रमण से 1621 शिक्षकों की जान गई है। लेकिन यूपी सरकार कह रही है कि सिर्फ 3 की मौत हुई है।

अगर आप आंख मूंद लें और जानबूझ कर अंधे हो जाएं तो यूपी सरकार की तरह आप भी कह सकते हैं कि देश में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है। यूपी सरकार भी जान बूझकर आंधर हो गई है। यूपी के पंचायत चुनाव में जो हुआ और जो हो रहा है, वह क्रूरता का क्रूरतम उदाहरण है।

चुनाव के बीच में पहले 135 शिक्षकों की मौत की खबर आई थी और चुनाव टालने की माँग उठी थी। सरकार की नरसंहारक हुज्जत के चलते चुनाव नहीं टाला गया। तीसरे चरण के चुनाव तक 706 शिक्षकों की मौत हो चुकी थी। चुनाव संपन्न होने और मतगणना के बाद भी संक्रमित शिक्षकों की मौतें जारी रहीं।

शिक्षक संघ का ताजा आंकड़ा है कि 1621 शिक्षक मारे गए हैं, लेकिन सरकार सिर्फ 3 मौतें बता रही है। शिक्षक संघ ने बाकायदा सभी दिवंगत अध्यापकों के डिटेल के साथ सूची जारी की है और सरकार को भी भेजी है।

आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है। यूपी सीएम के गृहजनपद गोरखपुर में ही 50 शिक्षक मारे गए। लखीमपुर में 55, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35 शिक्षकों की मौत हुई है।

ये जो लोग मरे हैं, इनके परिवार, इनके दोस्त, इनका स्टाफ, इनका विभाग इनकी हकीकत जानता है। फिर भी झूठ बोला जा रहा है।

हर तरफ झूठ है। कोरोना से बेतहाशा मौतें हो रही हैं। पूरे प्रदेश में हमीरपुर, उन्नाव, कानपुर, इलाहाबाद सब जगह गंगा के ​तट लाशों से पट गए हैं लेकिन आंकड़ों में सब कुछ चंगा है। सब चंगा है तो फर्जी आंकड़े रोज क्यों जारी कर रहे हो? जो 2 लाख 83 हजार मौतों का आंकड़ा अब तक दिया गया है, उसे भी झूठा बता दो और घोषणा कर दो कि पूरे देश में सब चंगा है। जो मर रहे हैं वे अपनी मर्जी से मर रहे हैं।

जिन लोगों को जबरन मौत के मुंह में झोंका गया और अब उनकी मौत को मानने से भी इनकार किया जा रहा है, उनकी आत्माएं तड़प रही होंगी। हमारी सरकारें इतनी घिनौनी और घृणास्पद हैं कि जिन्हें जान बूझकर मार दिया गया, उनके प्रति संवेदना जताना तो दूर, उनकी मौत को स्वीकार तक नहीं कर रही हैं। लाखों लोगों की मौत भी सत्तालोभी हैवानों को मनुष्य नहीं बना सकती।

हमारे देश में अब सरकार नहीं चलती, क्रूरतापूर्ण झूठ का राष्ट्रीय रैकेट चलता है।

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे