कोविड से मरने वाले कर्मचारी के आश्रित 7 लाख़ रु तक की बीमा राशि पाने के हकदार

कोरोना की वजह से जान गवाने वाले, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों को 7 लाख़ रुपए तक की बीमा योजना सहायता राशि मिल सकती है।

फरवरी 2020 से नए प्रावधानों से साथ लागू है पीएफ खाते के साथ जुड़ी है यह बीमा योजना।

ईडीएलआई नाम की यह बीमा योजना 1976 में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए जीवन बीमा सुरक्षा के तौर पर बनाई गई थी।

ईडीएलआई निजी क्षेत्र के वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक बीमा सुरक्षा योजना है। इस योजना के तहत नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) को सेवा की अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की स्थिति में एकमुश्त भुगतान प्राप्त होता है। ईपीएफओ रिटायरमेंट फंड के अलावा कई अन्य लाभ प्रदान करता है और यह बीमा सुरक्षा योजना उनमें से एक है।

कोविड से प्रभावित निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों के लिए, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 28 अप्रैल 2021 को एक गजट अधिसूचना जारी की, जिसमें पीएफ खाता धारकों को EDLI योजना के तहत मिलने वाली अधिकतम सहायता राशि को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया। इससे पहले, सितंबर 2015 में ईडीएलआई योजना के तहत अधिकतम सहायता राशि 3.6 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया गया था, जिसकी अधिसूचना जून 2016 में निकली गई थी।

नए नोटिफिकेशन में जो प्रावधान है उनको पुरानी अधिसूचना के साथ जोड़कर माना जाएगा और नए प्रावधान फरवरी 2020 से लागू होंगे और किसी भी हाल में सहायता राशि 2 लाख 50 हज़ार रुपए से कम नहीं होनी चाहिए।

ईडीएलआई की सदस्यता ईपीएफ के अंतर्गत आने वालों को स्वतः ही प्रदान कर दी जाती है। ( Employee Deposit Linked Insurance policy) “एम्पलॉइ डिपॉज़िट-लिंक्ड बीमा योजना 1976”, काम के दौरान कर्मचारी की मृत्यु पर कर्मचारी के नामांकित व्यक्ति को भुगतान की एक बीमा सुरक्षा प्रदान करती है।

20 से अधिक कर्मचारियों वाले किसी भी संगठन को ईपीएफ में पंजीकरण कराना आवश्यकता होता है।  इसलिए, कोई भी कर्मचारी जिसका पीएफ खाता है, वह स्वत: ईडीएलआई योजना के लिए पात्र हो जाता है।

ईडीएलआई, कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम,( miscellaneous provision act) 1952 के तहत पंजीकृत सभी संगठनों पर लागू होता है। ऐसे सभी संगठनों को इस योजना की सदस्यता लेना और अपने कर्मचारियों को जीवन बीमा लाभ प्रदान करना अनिवार्य है।

यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के साथ जुड़ी हुई है। मिलने वाली सहायता राशि की सीमा कर्मचारी के अंतिम प्राप्त वेतन( बेसिक+ महंगाई भत्ता) से तय होती है।

ईडीएलआई योजना के तहत देय लाभ ऐसे लाभार्थियों को दिया जाता है जहां मृतक, कर्मचारी निधि(पीएफ) का सदस्य था या ईपीएफ और एमपी अधिनियम की धारा 17 के तहत छूट प्राप्त भविष्य निधि का खाता धारक था और जिस माह में उसकी मृत्यु हुई है उसके एक माह पीछे 12 महीने की अवधि तक वह कहीं भी नियोजित था। इस अवधि के दौरान नियोजक बदलने यानी संस्थान में परिवर्तन होने से इस योजना की पात्रता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उदाहरण के लिए अलग-अलग ठेकेदारों के पास लगातार 1 साल तक काम करने वाला ठेका श्रमिक भी इस योजना के तहत सहायता राशि पाने के योग्य है।

दावा की जाने वाली राशि कर्मचारी के भविष्य निधि खाते से जुड़ी होती है और कर्मचारी के नामित व्यक्ति को देय होती है।  चूंकि ईडीएलआई योजना कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत सभी कर्मचारियों पर लागू होती है, इसलिए इस योजना में अलग से नॉमिनी जोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है।

कर्मचारियों को ईडीएलआई में अलग से योगदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है।  उनका योगदान केवल ईपीएफ के लिए आवश्यक है यानी सिर्फ पीएफ कटना चाहिए।  ईडीएलआई के प्रावधानों के अनुसार, नियोक्ता का योगदान मूल वेतन का 0.5% या प्रति कर्मचारी प्रति माह अधिकतम 75 रुपये होना चाहिए। यदि कर्मचारियों के लिए कोई अन्य समूह बीमा योजना नहीं है, तो अधिकतम योगदान की गणना 15,000 रुपये प्रति माह पर की जाएगी।

ईडीएलआई द्वारा प्रदान किए जाने वाले बीमा कवरेज में कोई अपवाद नहीं है।  यह पूरी दुनिया में बीमित व्यक्ति को चौबीसों घंटे सुरक्षा प्रदान करता है।  एक नियोक्ता किसी अन्य समूह बीमा योजना( ग्रुप इन्सुरेंस स्कीम) का विकल्प चुन सकता है, लेकिन उस बीमा योजना में प्रस्तावित लाभ ईडीएलआई के तहत दिए जाने वाले लाभों के बराबर या उससे अधिक होना चाहिए।

इस बीमा का दावा करने की एकमात्र शर्त यह है कि ईपीएफ खाताधारक की मृत्यु तब होनी चाहिए जब वह अभी भी सक्रिय रूप से कार्यरत था, यानी सेवानिवृत्ति से पहले।  मृत व्यक्ति को उसकी मृत्यु के समय ईपीएफ खाते में सक्रिय योगदानकर्ता होना चाहिए।  यह कोई मायने नहीं रखता कि उसकी मृत्यु छुट्टी पर या घर पर या काम के दौरान हुई है, भले ही उसकी मृत्यु कैसे और कभी भी हुई ही, नॉमिनी पैसे का दावा कर सकता है।

बीमा राशि पर दावा करने की प्रक्रिया-

1. इसके लिए नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) को मृतक कर्मचारी का मृत्यु प्रमाण पत्र, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र,  जिस अकाउंट में पैसा प्राप्त करना चाहते हैं उस बैंक का विवरण और उस बैंक खाते से जुड़ा एक रद्द चेक जमा करना होगा।

2. यदि किसी के पास नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी उत्तराधिकारी इस राशि का दावा कर सकता है। नॉमिनी या दावेदार को “फॉर्म 5 IF” को विधिवत रूप से भरना और जमा करना पड़ेगा।

3. दावे के सभी कागजात और फॉर्म को नियोक्ता द्वारा हस्ताक्षरित और प्रमाणित किया जाएगा। यदि कोई नियोक्ता नहीं है या नियोक्ता के हस्ताक्षर करवाना संभव नहीं है, तो फॉर्म को निम्नलिखित में से किसी एक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए:

✓बैंक प्रबंधक (जिसकी बैंक शाखा में खाता था)
✓स्थानीय सांसद या विधायक
✓ राजपत्रित अधिकारी
✓ मजिस्ट्रेट
✓ सदस्य/अध्यक्ष/स्थानीय नगर बोर्ड के सचिव
✓पोस्ट मास्टर या सब पोस्टमास्टर
✓ईपीएफ या सीबीटी की क्षेत्रीय समिति के सदस्य

4. इसके बाद दावेदार को सभी दस्तावेजों को भरे हुए फॉर्म के साथ संबधित क्षेत्रीय ईपीएफ आयुक्त के कार्यालय में जमा करना होगा। संबंधित क्षेत्रीय पीएफ ऑफिस की जानकारी पीएफ खाता संख्या से प्राप्त की जा सकती है।

नॉमिनी/दावेदार तीन योजनाओं, ईपीएफ, ईपीएस और ईडीएलआई के तहत सभी लाभों का एक साथ दावा करने के लिए फॉर्म 20 (ईपीएफ निकासी दावे के लिए) के साथ-साथ फॉर्म 10 सी/डी भी जमा कर सकता है। 

5. एक बार जब सभी दस्तावेज और फॉर्म जमा करा दिए जाते हैं और दावा स्वीकार कर लिया जाता है, तो ईपीएफ आयुक्त को दावा प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर दावे का निपटान करना होगा। अगर दावेदार को 30 दिनों के भीतर दावे की राशि नहीं मिलती है तो दावेदार 30 दिन बाद से लाभ की राशि मिलने की तारीख तक दावे की मूल राशि पर 12% प्रति वर्ष की दर से ब्याज पाने का हकदार होगा।

बीमा राशि की गणना निम्न प्रकार से की जाएगी-

(पिछले 12 महीने के वेतन का औसत x 35) + ( पिछले 12 महीने में पीएफ खाते में जमा राशि का 50%, जो 1,75000 से ज्यादा नहीं होना चाहिए)। मगर इस फार्मूले के बावजूद मिलने वाली सहायता राशि ₹250000 से कम नहीं हो सकती अगर मृतक कर्मचारी ने पिछले 12 महीने तक नौकरी की है।

अब अगर मान लीजिए कि मृतक कर्मचारी के पिछले 12 महीने की वेतन का औसत 20000 रुपए है (लाभ की गणना अधिकतम 15000 रूपए पर की जाएगी) और पिछले 12 महीने के पीएफ खाते की औसत जमा राशि 2 लाख़ रुपए है तो इस मामले में मिलने वाले लाभ या बीमा राशि की गणना निम्नलिखित होगी –

(15000x 35)+(1,75000) = 7,00000 रुपए।

ईडीएलआई योजना का मुख्य उद्देश्य पॉलिसीधारक (मृतक व्यक्ति) के परिवार के सदस्यों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। प्रत्येक पीएफ खाता धारक ईडीएलआई योजना का पॉलिसी धारक होता है।

पीएफ खाता धारकों को मिलने वाले इस लाभ के बारे में जागरूकता की कमी है। अधिकांश खाता धारकों और नामांकित व्यक्तियों को इस योजना के बारे में जानकारी नहीं है। इसलिए, हर साल बहुत कम दावे प्राप्त होते हैं। यहां तक कि ईपीएफओ पोर्टल भी इस योजना के बारे में और इसे प्राप्त होने वाले दावों की संख्या के बारे में अपने पोर्टल पर अधिक जानकारी साझा नहीं करता है।

चूंकि दूसरी कोविड लहर के दौरान बहुत सारे लोग मर रहे हैं, इसलिए यह बीमा लाभ योजना प्रभावित परिवार के लिए इस कठिन समय में एक बड़ी मदद साबित हो सकता है।

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के समान सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए सरकार ने 1976 में ईडीएलआई योजना शुरू की थी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए जीवन बीमा के लाभों का विस्तार किया था।

नोटिफिकेशन की मूल प्रति

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