दिल्ली: कोरोना महामारी और लॉकडाउन में मज़दूर समस्याओं को लेकर मज़दूर संगठनों ने सीएम और एलजी को ज्ञापन सौंपा

कोरोना महामारी की इस दूसरी ख़तरनाक लहर में तेजी से फैलते संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में मजदूर वर्ग की समस्याओं को लेकर कल शाम दिल्ली के विभिन्न जन संगठनों और मज़दूर संगठनों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल अनिल बैजल को ज्ञापन सौंपकर तत्काल मज़दूरों की स्वास्थ्य और रोजीरोटी की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। ज्ञापन और मांग पत्र की प्रति हम यहां दे रहे हैं।

                  दिनांक: मई 7, 2021
सेवा में,
श्रीमान अरविन्द केजरीवाल
मुख्यमंत्री दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
दिल्ली सरकार

विषय: कोरोना महामारी और लोकडाउन से उत्पन्न मजदूर वर्ग की समस्याओं के सन्दर्भ में मांग-पत्र।

महोदय,
देश में कोरोना की दूसरी लहर जारी है। कोरोना की इस लहर के चलते दिल्ली में लॉकडाउन लागू कर दिया गया  है। लॉकडाउन के कारण मेहनतकश मजदूरों, खासकर प्रवासी मजदूरों के बीच अफरा-तफरी और भय का माहौल उत्पन्न रहा है। बाजारों, छोटी मोटी- फैक्ट्रियां , कारखाने, औद्योगिक इकाइयों आदि के बंद के कारण एक बार फिर बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग काम से निकाल दिए गये हैं इससे वे बेरोजगार हो गए हैं।

देश का मेहनतकश वर्ग पिछले वर्ष लगाए गए लॉकडाउन से अभी उबर भी नहीं पाया था कि अब उसे एक बार फिर लॉकडाउन का सामना करना पड़ रहा है। उसके सामने जीवन और जीविका का संकट फिर से आ खड़ा हुआ है। ऐसे में मजदूर कोरोना और लॉकडाउन की दोहरी मार झेलने को मजबूर है।

सरकारी आँकड़ों के अनुसार रोजाना दिल्ली में लगभग 25 हज़ार या उससे अधिक संख्या में कोरोना संक्रमितों के नए मामले आ रहे हैं और रोजाना लगभग 400 या उससे अधिक लोग कोरोना से मौत के शिकार हो रहे हैं। सरकार द्वारा प्रस्तुत यह आँकड़ें काफी भ्रमित करने वाले और जमीनी सच्चाई से काफी दूर जान  पड़ता है। कोरोना जाँच केन्द्रों की संख्या कम होने, जाँच केंद्र पर भीड़ होने, समय से कोरोना रिपोर्ट न आने के कारण मरीजों की एक बड़ी संख्या कोरोना जाँच करवाने जाती ही नहीं  है। यही नहीं कोरोना के बढ़ते मामलों को हेरफेर करके छिपाने की कोशिशें भी की जा रही  हैं।

मार्च महीने के अंत तक जहाँ प्रतिदिन लगभग 1 लाख कोरोना-सैंपल लिए जा रहे थे, वहीं अब कोरोना-सैंपल की संख्या घटाकर प्रतिदिन लगभग 70 से 80 हज़ार कर दी गयी है, जिससे अब कोरोना के आँकड़े घटते हुए प्रतीत हो रहे हैं। इसी तरह कोरोना से हुई मौतों के सरकारी आँकड़े और मीडिया में खोजी पत्रकारों द्वारा जारी किये गए आँकड़ों में भी जमीन-आसमान का फर्क है।

यह सच्चाई है कि कोरोना से संक्रमित और मरने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या मजदूरों की है। चूँकि दिल्ली की बहुसंख्यक मजदूर आबादी भीड़ भरी छोटी-छोटी बस्तियों, झुग्गियों में रहने को मजबूर है, जहाँ शारीरिक दूरी या सामजिक दूरी बनाया जाना संभव नहीं है। ऐसे में इन मजदूर बस्तियों में कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से फ़ैला है।

यही नहीं कोरोना के इलाज के लिए जो जरुरी दवाइयाँ और ऑक्सीजन चाहिए, वह बाजार में कालाबाजारी से बहुत ऊँचे दामों पर बिक रही है। ऐसे में दवा, ऑक्सीजन, बेड और इलाज की कमी से कोरोना पीड़ित बहुसंख्यक मजदूर मौत का शिकार हो रहे हैं।  कोरोना से हो रही यह ज्यादातर मौतें सवास्थ्य ढाँचे की बदहाल स्थिति एवं सरकारी नाकामियों को दिखाती है। 

मान्यवर, राज्य का मजदूर केवल कोरोना और लॉकडाउन से ही पीड़ित नहीं है, बल्कि वह विभिन्न सरकारी अस्पातलों की ओपीडी बंद होने के कारण, अन्य दूसरी बीमारियों का इलाज न मिलने से भी परेशान है। लाखों गरीब-मजदूर देश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों पर इलाज के लिए प्रत्यक्ष रूप से निर्भर है लेकिन अब सरकारी अस्पतालों को विशेष रूप से कोरोना अस्पताल घोषित कर दिया गया है और ओपीडी को बंद कर दिया गया है। ऐसे में कैंसर, गुर्दे, लीवर, दिल की बीमारियों एवं टी.बी. अस्थमा जैसे अन्य गंभीर  रोगों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है या इलाज के अभाव में मौत का शिकार हो रहे है।

विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह उजागर हुआ है कि कोरोना सह रुग्णता की स्थिति में अत्यधिक खतरनाक होता है ऐसे में अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों की नियमित जाँच न होने, इलाज और दवाइयाँ न मिलने के कारण कोरोना उनके लिये प्राणघातक साबित हो सकता है।

आज, कोरोना और लॉकडाउन के परिणामस्वरूप उपजे संकट से दिल्ली के मजदूर एवं आमजन त्रस्त हैं।

ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि आप दिल्ली प्रदेश के मजदूर वर्ग की उपर्युक्त समस्याओं के प्रति संवेदनशील रवैया रखते हुए निम्नलिखित माँगों को जल्द-से-जल्द पूरा करेंगे।

हमारी निम्नलिखित माँगे इस प्रकार है:

1. दिल्ली सरकार कोरोना महामारी से निपटने के लिए आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा करे। यह आर्थिक पैकेज स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने व राज्य की मेहनतकश आबादी तक आर्थिक मदद, खाद्य सामग्री व अन्य राहत सामग्री पहुँचाने पर खर्च किया जाए।

2. लॉकडाउन के कारण काम बंद होने व काम से निकाल दिए गये सभी मजदूरों को (संगठित, असंगठित क्षेत्र) प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम आय की दर या उनके प्रतिदिन के वेतन की दर के आधार पर मासिक भत्ता दिया जाना तय किया जाए। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी मज़दूरों तक यह राशि पहुंच सके। जिन मजदूरों के पास राशनकार्ड नहीं हैं, उन्हें भी सरकारी राशन की दुकानों से मुफ्त में सरकारी योजना के तहत राशन दिया जाए और साथ ही, गैस एजेंसी द्वारा मुफ्त में रसोई गैस की आपूर्ति भी की जाए। 2020 लॉक डाउन के दौरान जो e-कूपन का आंकड़ा सरकार के पास है उसके आधार पर  राशन दिया जाए ।

3. कोरोना के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में सभी को सामान्य दवाई जैसे ज़िंक, पैरसीटमोल, विटमिन सी, आइवर्मेक्टिन, डेक्सामेथसोन, आदि की किट वितरित करवाई जाये। साथ ही दवाइयों, ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाया जाए व बेड और वेंटीलेटर की संख्या को भी तत्काल प्रभाव से बढ़ाया जाए ताकि किसी को भी इलाज के बिना वापस न लौटना पड़े। 

4. स्वास्थ्य बजट को बढ़ाकर नए अस्पतालों का निर्माण किया जाए। डॉक्टर व नर्स की नयी भर्ती की जाए ताकि कोरोना व अन्य बीमारियों के पीड़ितों को बेहतर इलाज मिल सके। आशा व आंगनवाड़ी कामगारों को उचित सुरक्षा व बढ़े वेतन के साथ कोरोना जाँच व घरेलू इलाज के लिए नियुक्त किए जाएं। इसके साथ-साथ स्कूलों, मॉलों, सामुदायिक भवनों व अन्य इमारतों का उपयोग अस्थाई कोविड इलाज केंद्र बनाने में किया जाए।

5. दवाइयों और ऑक्सीजन की कालाबाजारी को रोका जाए। ऐसा करने  वाले व्यक्तियों, कंपनियों पर तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए।

6. कोरोना की जाँच और जाँच केन्द्रों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना किया जाए ताकि मरीजों की सही संख्या का पता लगाया जा सके और उन तक इलाज मुहैया करवाया जा सके।

7. कोरोना से बचाव के लिए राज्य के सभी मजदूरों का अनिवार्य रूप से मुफ्त टीकाकरण किया जाए। इसके लिए मजदूर बस्तियों में टीकाकरण केंद्र खोला जाए।

8. सभी मजदूरों के बीच गुणवत्तापूर्ण मास्क और सैनीटाइजर पर्याप्त संख्या में बाँटा जाए और मजदूर बस्तियों में नियमित रूप से सफाई अभियान चलाया जाए।

9. दिल्ली में मौजूद सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पुनः शुरू की जाए ताकि गरीब मजदूरों का नियमित इलाज हो सके। अस्पताल में कोरोना को देखते हुए ऐसे दिशा-निर्देश व व्यवस्था की जाए ताकि मरीज शारीरिक दूरी  का पालन करते हुए इलाज करवा सके।

10. घरेलू कामगारों के लिए जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित किया जाए कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान उनका वेतन न काटा जाए। शहर में बंद के दौरान शहर की सफाई में लगे कामगारों,रेहड़ी -पटरी में काम करनेवाले, कूड़ा बीनने वालों को उचित सुरक्षा सामग्री मुहैया कराई जाए और उन्हें महामारी भत्ता दिया जाए।

11. दिल्ली सरकार ने निर्माण व बिल्डिंग कामगारों के लिये 5000/मासिक कोरोना भत्ते की घोषणा किया है जो सिर्फ1.05 लाख मजदूरों को ही मिला है। दिल्ली में इन मजदूरों की संख्या 6लाख से ज्यादा है। सभी निर्माण व बिल्डिंग कामगारों को कोरोना भत्ता मिले।इन मजदूरों को निर्माण स्थलों पर भोजन दिया जा रहा है ,परंतु स्वरोजगार मजदूर इससे वंचित है ,जिसके प्रति दिल्ली सरकार ध्यान दे ।

12. दिल्ली सरकार ने ऑटोचालकों के लिए 5000/कोरोना भत्ते की घोषणा किया है जो सिर्फ लाइसेंस धारी ऑटोचालोको को ही मिलेगा । e-रिक्शा चालक,साईकल रिक्शा चालक व कैब चालकों को भी यह भत्ता मिले।

13. किरायदारों के लिए लॉकडाउन की पूरी अवधि तक के लिए किराया माफ़ किया जाए और इसके लिए सरकार द्वारा कानूनी कदम उठाये जाए। सरकार मकान मालिकों को मुआवजा दे।

14. लॉकडाउन के दौरान राज्य में महिलाओं और छोटे बच्चों पर घरेलू हिंसा और यौन शोषण के मामले बढ़े हैं। ऐसे में हिंसा के शिकार बच्चों और महिलाओं की राहत के लिए जल्द-से-जल्द उचित कदम उठाये जाए। इस सम्बन्ध में सभी जनसंचार के माध्यमों से हेल्पलाइन नंबर प्रचारित किया जाए।

महोदय, हम आशा करते है इन मुद्दों पर आप जल्दी विचार करेंगे व राहत की घोषणा करेंगे।

सह धन्यवाद!

भवदीय

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प्रतिः
श्रीमान अनिल बैजल
माननीय उप राज्यपाल
दिल्ली


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