कोरोना-पाबंदियों के बीच महँगाई ने तोड़ी कमर, सब्जी, तेल सहित जरूरी सामान लेना दूभर

आसमान छू रहे रोजमर्रा के चीजों के दाम

उमरिया। एक ओर कोरोना महामारी ने व्यापार और रोजगार को अनिश्चितता के भंवर में डाल रखा है। वहीं दूसरी ओर महंगाई अपने चरम पर जा पहुंची है। पेट्रोल-डीजल से लेकर, दवा, किराना, राशन और फल फ्रूट आदि सभी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। बीते एक वर्ष में खाद्य तेल, रिफाइन और दालों में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है जबकि अन्य किराना सामग्री की आपूर्ति लॉकडाउन के कारण प्रभावित होने से उसमे भी तेजी दिखाई दे रही है। जिसका असर सीधे तौर पर आम जनता पर ही पड़ रहा है, जो पिछले डेढ़ साल से आर्थिक संकट से गुजर रही है। शहर के लोगों का कहना है कि अब तो घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। लोगों का कहना है कि दुकानें बंद रहती हैं जिससे किसी भी वस्तु का वास्तविक मूल्य की पूछपरख ज्यादा नहीं हो पाती परिणामस्वरूप उन्हें वस्तुएं महंगे दामों पर मिल रही है।

लगातार बद्तर हुए हालातः कोविड-19 ने लोगों का व्यापार ही नहीं हर लिया है। पूरे वातावरण में भय और असमंजस के हालात पैदा कर दिए हैं। आज लोगों के अंदर पहला सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इस बीमारी से छुटकारा कब मिलेगा और कारोबार कब सामान्य होगा। यह सोच इस लिए भी लाजिमी है कि पिछले सितंबर तक यह लगने लगा था कि अब कोरोना से मुक्ति मिल रही है। कारोबार किसी तरह लाइन पर आने भी लगा था कि महामारी कई गुना तेजी से वापस लौट पड़ी। इस घटना ने लघु और मध्यम व्यापारियों के मनोबल पर गहरी चोट पहुंचाई है।

डर भी और चिंता भीः एक तरफ लोगों को कोरोना के डर ने घेर रखा है दूसरी तरफ वे लॉकडाउन से उत्पन्न चिंता से घिरे हुए हैं। बीमारी के कारण भले ही कारोबार ठप्प पड़ गया है परंतु खर्चों पर कोई ब्रेक नहीं लगा है। लोग घरों में बैठ कर अपनी पूंजी गंवा रहे हैं। कई दुकानदारों को टैक्स, बिजली बिल के अलावा घरों, दुकानों का किराया और कर्मचरियों की तनख्वाह भी देनी पड़ रही है। लॉकडाउन को करीब 22 दिन हो चुके हैं, अभी इसकी मियाद 7 मई तक निर्धारित है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए बाजार खुलने के आसार बेहद कम ही हैं। ऐसे में व्यापारी और उनके परिवार अपने भविष्य को लेकर काफी चिंता में हैं।

अपनों से बिछड़ने का गमः इस बार कोरोना अपने साथ कई तरह की दुश्वारियां साथ लेकर आया है। संक्रमण तेज है साथ ही मौतों का आंकड़ा भी पहले से ज्यादा बड़ा है। बीते कुछ दिनों में ही जिले के कई लोगों और उनके रिश्तेदारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। अपनो से बिछड़ने का दुख और बीमारी का रूख देख कर समाज मे तनाव और डिप्रेशन की स्थिति भी पैदा हो रही है।

सिर्फ हरी सब्जियां दे रही राहतः महंगाई ने सबसे ज्यादा असर भोजन में उपयोग आने वाले खाद्य तेल पर डाला है। पिछले साल जो राई का तेल 90 रुपये में बिक रहा था, वह अब 170 रुपये जबकि 90 वाला रिफाइन 150 रुपये हो गया है। किराना सामग्री में भी काफी तेजी है। इसके पीछे ट्रांसपोर्टिंग और आपूर्ति में कमी को कारण बताया जा रहा है। महंगाई के इस दौर में सिर्फ हरी सब्जियां ही लोगों की पकड़ मे बचीं हुई हैं।

नईदुनिया से साभार

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे