निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की एक दिनी हड़ताल

बिजली महकमे के निजीकरण के फैसला को रद्द करने की मांग

केंद्र सरकार की ओर से सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली के प्राइवेटाइजेशन को लेकर नई पॉलिसी बनाई जा रही है। जिसको लेकर बिजली विभाग के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे है.. वही इसके विरोध में चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों ने बिजली विभाग का निजीकरण करने की कार्रवाई को रद्द करने के लिए एक दिन की संकेतिक हड़ताल की।

इस दौरान बिजली विभाग के कर्मचारियों ने चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा की प्रशासन मुनाफे मे चल रहे बिजली विभाग का जानबूझकर निजीकरण करने जा रहा है जब कि बिजली महकमा 350 करोड़ के सालाना मुनाफे मे है, तो बावजूद इसके विभाग का निजीकरण क्यो किया जा रहा है।

यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि हड़ताल बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ बिजली संशोधन बिल को रद करने, निजीकरण के दस्तावेज स्टैंडर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट को निरस्त करने और मुनाफे में चल रहे शहर के बिजली विभाग का निजीकरण रोकने के लिए है।

प्रशासन निजीकरण करने के लिए कंपनियों के बिड भी मंगवा चुकी है। इसके लिए टाटा ग्रुप, रिलांयस, अडानी सहित 20 से अधिक प्राइवेट कंपनियों ने आवेदन किया है। पावरमैन यूनियन का कहना है कि बिजली विभाग मुनाफे में है और लोगों को सस्ते दामों में बिजली दे रहा है तो इसे निजी कंपनियों को क्यों सौंपा जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली के प्राइवेटाइजेशन को लेकर नई पॉलिसी बनाई जा रही है।

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