तमिलनाडु: मद्रास जिमखाना, बोट क्लब के मजदूरों की महत्त्वपूर्ण जीत।

मद्रास जिमखाना क्लब, स्पोर्ट्स क्लब और सोशल क्लब के कर्मचारियों के संघर्ष की महत्वपूर्ण जीत।

तमिलनाडु सरकार ने औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 10 बी के तहत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए छंटनी किए गए श्रमिकों को वापस बहाल करने का आदेश जारी किया है।

जिमखाना क्लब स्टाफ एंड वर्कर्स यूनियन और बोट क्लब वर्कर्स यूनियन दोनों लेफ्ट ट्रेड यूनियन सेंटर(LTUC) से संबंधित हैं।

कोविड लॉकडाउन के दौरान इन संस्थानों के श्रमिकों के वेतन में 50 से 70 प्रतिशत वेतन की कटौती की गई थी। जब श्रमिकों ने इसका विरोध किया तो प्रबंधन ने क्लब से मजदूरों को निकालना शुरू कर दिया।

मद्रास बोट क्लब ने 36 और जिमखाना क्लब ने 56 मजदूरों को 10 नवंबर को निकाला।
उसके बाद बाकी के मजदूरों ने निकाले गए साथियों को काम पर वापस लेने की मांग को लेकर संघर्ष शुरू कर दिया और उनके बिना काम पर वापस लौटने से मना कर दिया। संघर्ष के दौरान श्रम मंत्री की मध्यस्थता में कई बार समझौता वार्ता हुई।

यूनियन के उपाध्यक्ष जेम्स और एलटीयूसी के पदाधिकारी दिनाकरण दिसम्बर 20 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। पुलिस ने उनको धरनास्थल से गिरफ्तार कर जबरदस्ती अनशन बंद करवाया।

क्लब के यूनियन के अध्यक्ष और एलटीयूसी के राज्य सचिव भारती ने 13 दिनों की भूख़ हड़ताल करते हुए संघर्ष का नेतृत्व किया। 29 जनवरी 2020 को श्रमिकों ने रैली निकाली जिसके राज्य विधानसभा की तरफ़ बढ़ने पर पुलिस ने मज़दूरों पर लाठीचार्ज करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया।

मद्रास बोट क्लब के मज़दूरों के ऊपर प्राणघातक हमला भी किया गया जिसमें 4 लोगों को गंभीर चोट आई। मगर मज़दूर अपनी मांगो पर अड़े रहे।
बोट क्लब के 38 मज़दूरों को काम पर वापस लेने का समझौता यूनियन और प्रबंधन के बीच 25 मार्च को हुआ था। प्रबंधन ने एक मज़दूर को अस्थाई बता कर उसको काम पर नहीं लिया मगर यूनियन उसकी कानूनी लड़ाई लड़ रही है।

कॉमरेड भारती का कहना है कि फ़िलहाल मज़दूरों को उनके वेतन की 80 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा रहा मगर हम लड़ाई जारी रखेंगे जबतक 38 लोगों को पूरा वेतन नहीं दिया जाता। जिमखाना क्लब के 38 मज़दूर इस साल 1 अप्रैल से काम पर वापस लौट गए हैं।

यूनियन और प्रबंधन के बीच 56 मज़दूरों को काम पर वापस लेने का समझौता 31 मार्च को हुआ था। यूनियन के उपाध्यक्ष जेम्स के अनुसार 20 मज़दूर 22 मार्च को ही काम पर वापस चलें गए थे और 20 लोगों को अप्रैल में और 16 लोगों को मई की शुरुआत में काम वापस लिया जाएगा।

महत्वपूर्ण बात यह है कि यूनियन औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 10 B को लागू करने के लिए तमिलनाडु सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब रही। धारा 10 बी के अनुसार किसी औद्योगिक विवाद की स्थिति में राज्य सरकार उस विवाद के लेबर कोर्ट द्वारा निपटारे तक फैक्ट्री में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी कर सकती है।

इस आधार पर जिमखाना केस को तमिलनाडु सरकार ने 07/04/2021 को आईडी एक्ट की धारा 10(1) के तहत अधिसूचना जारी करते हुए विवाद को श्रम मध्यस्थता के लिए रेफर कर दिया वहीं धारा 10 बी के तहत एक और अधिसूचना जारी करते हुए 56 श्रमिकों की छंटनी पर मामले के निपटारे तक रोक लगा दी है।

कॉमरेड भारती का कहना है कि कानून में इस संशोधन के बाद धारा 10 बी के तहत अब तक सरकार ने सिर्फ 6 बार इस तरह की अधिसूचना जारी की है। प्रबंधन और यूनियन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर भी हो रखे थे इसके बावजूद मज़दूर, सरकार से यह आदेश पारित करवाने में सफल रहे। इस लिहाज से यह मजदूरों के संघर्ष की महत्वपूर्ण जीत है।

इस सरकारी अधिसूचना के आधार पर यूनियन, सभी छंटनी किए गए श्रमिकों को तय तारीख से पहले काम पर वापस लेने के लिए प्रबंधन पर दबाव बना रही है और इस संबंध में यूनियन की तरफ से जिमखाना प्रबंधन को मांग पत्र भी दिया जा चुका है।

जिमखाना और बोट क्लब में चले इस संघर्ष ने टी नगर में सोशल क्लब के मजदूरों को भी यूनियन बनाने और संगठित होने के लिए प्रेरित किया है। यहां फ़िलहाल 40 मज़दूर काम करते हैं। दस साल पहले एक बार यहां के मजदूरों ने यूनियन बनने का प्रयास किया था जिसे तोड़ने में प्रबंधन कामयाब रहा था। यहां न्यूनतम मज़दूरी 6000 रूपए है और प्रबंधन मजदूरों में बांटो और राज करो की नीति अपनाता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां काम करने की स्थिति कितनी खराब है।

जो लोग यहां 10 साल से काम कर रहे थे उन्होंने जिमखाना क्लब और बोट क्लब के मजदूरों के संघर्ष के बारे सुना और कोविड 19 के दौरान यूनियन बनाने का फैसला किया और एलटीयूसी के साथियों से संपर्क किया।

यहां संघर्ष करना आसान नहीं था मगर आंदोलन में निर्णायक मोड़ तब आया जब यूनियन ने क्लब के 1500 सदस्यों को चिट्ठी लिखकर मजदूरों की दुर्दशा के बारे में उन्हें बताया। चूंकि क्लब के प्रबंधन का चुनाव क्लब के सदस्यों द्वारा किया जाता है इसलिए प्रबंधन को दबाव में यूनियन के साथ बातचीत करने की लिए मजबूर होना पड़ा जिसके फलस्वरूप 7 अप्रैल 2021 को वेतन समझौता हुआ।

इस नए वेतन समझौते के अनुसार न्यूनतम वेतन की सीमा 6000 से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दी गई है और वरिष्ठ कर्मचारियों को अगले 2 साल के लिए 2900 के बजाए 4000 रुपए बेसिक वेतन दिया जाएगा। समझौते की एक और महत्वपूर्ण बात यह रही कि क्लब में पिछले 7 सालों से काम कर रही 4 महिला सफाई कर्मचारियों को परमानेंट कर दिया गया है।

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