किसान आंदोलन : स्पष्टीकरण व जागृति पैदा करने के लिए अभियान प्रारम्भ

किसान आंदोलन को बदनाम ना करे खट्टर सरकार -संयुक्त किसान मोर्चा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि मानवता के आधार पर किसानों को धरना उठा लेना चाहिए, वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैटाला ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ शुरू हुआ था। हरियाणा सरकार के नुमाइंदों ने मानवता को शर्मसार करते हुए लगातार किसानों पर लाठीचार्ज, वाटर केनन, आसूं गैस, गिरफ्तारी व बेरहम बयानबाजी की। शहीद किसानों का लगातार अपमान किया गया। सिरसा में शहीद स्मारक तोड़ दिया गया। कल ही हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भाजपा नेताओं का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया व कई किसानों को हिरासत में लिया गया।

जो नेता किसानों पर हमेशा तरह तरह के अमानवीय हमले करते रहे वे किसानो को अब मानवता सीखा रहे हैं, यह अपने आप मे हास्यास्पद प्रतीत होता है। हम हरियाणा के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को सीधे तौर पर कहना चाहते है कि जिस बर्बरता के साथ उन्होंने किसान आंदोलन को बदनाम किया है, वे मानवीय आधार पर अपने पदों से तुरंत इस्तीफा दे।

तीन कृषि कानूनों पर लोगों में स्पष्टीकरण व जागृति पैदा करने के लिए जो अभियान मोर्चे ने प्रारम्भ किया वह तेजी से आगे बढ़ा है। उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में 9 अप्रैल को, हापुड़ में 13 को, प्रयागराज व अल्मोड़ा में 5 को, गाजियाबाद में 8 को, प्रतापगढ़, रामनगर व हल्द्वानी 6 को, सीतापुर में 14 को, विकासनगर व नानकमत्ता 7 को इसे संचालित किया गया। मोर्चे के नेताओं ने अपने फोल्डर को जिला कचहरी व इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बांटा और वितरण के दौरान वकीलों तथा आम लोगों ने इसका स्वागत किया तथा यह आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार किसानों के विरुद्ध कितनी गलतफहमी क्यों फैला रही है।

ट्रेड यूनियन नेता अचिन्त्य सिन्हा (75 वर्ष) की कल कोरोना से कोलकाता में हुई मौत पर सयुंक्त किसान मोर्चा गहरा शोक व दुख प्रकट करता है। संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों समेत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- सहायिका, मिड डे मील, आशा वर्कर एवं अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों के संगठनों व आन्दोलनों का मार्गदर्शन किया था।

किसानों-मजदूरों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद पर जबर्दस्ती सीधी अदायगी थोप कर सयुंक्त संघर्ष को तोड़ने का काम किया है। वर्तमान हालात में जब कृषि से जुड़े व्यवसायों का सांझा संघर्ष सयुंक्त किसान मोर्चे की अगुवाई में लड़ा जा रहा है व बेजमीने किसान भूमि रिकॉर्ड जमा नहीं कर सकते, केन्द्र सरकार का यह कदम निंदनीय है।

मीडिया विजिल से साभार

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