महिंद्रा सीआईई पंतनगर प्लांट में 5 साल का ₹8500 का वेतन समझौता

लालपुर प्लांट का समझौता 2 साल पहले हो चुका है

पन्तगर (उत्तराखंड)। महिंद्रा सीआईई आटोमोटिव लिमिटेड सिडकुल पंतनगर में 5 साल का वेतन समझौता संपन्न हो गया है। इसमें वेतन वृद्धि के अलावा अन्य सुविधाओं में भी वृद्धि पर सहमति बनी है। महिंद्रा सीआईई के लालपुर प्लांट में 2 साल पहले समझौता संपन्न हुआ था।

हालांकि महिंद्रा सीआईई के पंतनगर प्लांट में 1 जनवरी 2020 से वेतन समझौता होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी का बहाना लेकर प्रबंधन ने वर्ष 2020 के संबंध में कोई भी समझौता नहीं किया।

महिंद्रा सीआईई श्रमिक संगठन व प्रबन्धन के बीच 5 साल के लिए सीटीसी में ₹8500 का यह वेतन समझौता 1 जनवरी 2021 से 21 दिसंबर 2025 तक के लिए है। जबकि लालपुर का समझौता सीटीसी में 2019 से 2023 तक 5 साल के लिए ₹9000 का हुआ था।

समझौते में क्या मिला

महिंद्रा सीआईई श्रमिक संगठन के महासचिव मनवर सिंह ने बताया कि-

  • 5 साल के लिए कुल रुपए 8500 का समझौता हुआ है।
  • पहले साल ₹4000 प्रति माह की बढ़ोतरी होगी। इसी तरह अन्य चार सालों में क्रमशः ₹1750, ₹1000, ₹1000 और अंतिम साल ₹750 की वेतन बृद्धि होगी।
  • वेतन का 60 फीसदी बेसिक में व 40 फीसदी अन्य भत्तों के रूप में समायोजित होगा।
  • अवकाश में सीएल 5 से बढ़कर 7 हुआ है। पीएल पहले तीन से कम नहीं ले सकते थे अब 2 ले सकते हैं। अटेंडेंस अलाउंस पहले 24 ड्यूटी (प्रेजेंट) पर मिलता था अब 23 ड्यूटी (प्रजेंट) पर मिलेगा।
  • कैंटीन मैं नाश्ता मिलेगा।
  • प्रत्येक साल 2 फुल शर्ट, एक हाफ शर्ट, 3 पैंट एवं सेफ्टी शूज यूनिफॉर्म के रूप में मिलेंगे।
  • यूनियन कार्यकारिणी को ट्रेड यूनियन एक्ट के अनुसार सभी सुविधाएं दी जा रही है और वह आगे भी दी जाती रहेंगी।

उल्लेखनीय है कि महिंद्रा सीआईई के जिले में दो प्लांट हैं और दोनो प्लांट की एक ही यूनियन है।

यूनियन व माँगपत्र के लिए यहाँ मज़दूरों के कई संघर्ष हुए हैं। वर्ष 2017 में पंतनगर प्लांट के माँगपत्र विवाद के दौरान 10 श्रमिकों के निलंबन पर एक बड़ा और जुझारू आंदोलन चला था, जिसमें तत्कालीन यूनियन अध्यक्ष संजीत विश्वास, हेम चंद, कमलेश मर्तोलिया व नवनीत बर्खास्त हुए थे। जिनका विवाद श्रम न्यायालय में चल रहा है। कुछ मज़दूरों पर क्रिमिनल केस भी चल रहा है।

मज़दूरों का मनोबल इस आंदोलन के बाद से ही नीचे रहा है। ऐसे में यूनियन के लिए यह समझौता करना एक चुनौती भी थी।

हालांकि 2017 में ही पंतनगर प्लांट के लिए माँगपत्र पर समझौता हुआ था, उसके बाद लालपुर प्लांट के लिए 2019 में पांच साल का समझौता हुआ।

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