आंदोलन में उत्सव : दिल्ली की सीमाओं पर होली के रंगों के साथ किसानों का दिखा जज्बा

किसानों ने कहा, जीत के बाद ही मनेगी असल होली

सोमवार को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने होली का त्यौहार मनाया। कल होलिका दहन कार्यक्रम में किसानों ने तीनों कृषि कानूनो की प्रतियां जलाई थी। किसानों का कहना है कि किसान असल मायनो में होली तब ही मना पाएंगे जब तीनो कानून वापस होंगे और एमएसपी पर कानून बनेगा।

सिंघु बॉर्डर पर होला मोहले का कार्यक्रम जोरो शोरो से हुआ जिसमें किसानों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। हरियाणा की औरतों द्वारा विशेष तरीके से यह त्यौहार मनाया गया। महिलाओं ने कहा कि किसान इसी तरह हर त्यौहार मोर्चो पर मनाते रहेंगे जब तक मांगे मानी नहीं जाती।

टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने होली का पर्व धूमधाम से मनाया। मुख्य मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों ने मजबूती दिखाई। किसानों इसके बाद आसपास के क्षेत्र की सफाई भी की।

गाज़ीपुर बॉर्डर पर भी किसानों ने पारम्परिक रिवाज से होली मनाई। बड़ी संख्या में दिल्ली व आसपास के लोग भी गाज़ीपुर धरने में होली उत्सव में शामिल हुए।

किसान संगठनों द्वारा नाच-गाने और खाना पानी का इंतजाम करके होली मनाई जा रही है। यूपी-हरियाणा और पंजाब के किसानों के अलावा कई अन्य प्रांतों के किसान भी एक-दूसरे को रंग लगाते देखे गए।

सयुंक्त किसान मोर्चा की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि हालांकि कई दौर की बैठकों में सरकार के सामने यह सिद्ध किया जा चुका है कि तीनों कृषि कानून किस तरह खतरनाक है व किसानों को इससे क्या नुकसान होगा। किसान संगठनो के सानिध्य में आज एडवोकेट जोगिंदर सिंह तूर ने “इन कानूनों में काला क्या” नामक किताब लांच की जिसमें हर एक बिंदु को विस्तृत रूप में समझाया गया है।

आज लोक कला मंच मंडी मुल्लांपुर किसानों के संघर्ष में शामिल हुआ और कला के माध्यम से अपना योगदान दिया। लोक कला मंच द्वारा “उठन दा वेला” नाटक का मंचन किया गया जिसके लेखक और निर्देशक हरकेश चौधरी है। कलाकारों ने किसानों से मजबूत बने रहने की अपील की।

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