योगी के गृह नगर में नवजात के शव को मेडिकल कॉलेज में नोच खाए कुत्ते

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज बन चुका है अराजकता का केंद्र

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के गृह नगर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा की कहानी अनंत है। बीते गुरुवार को अस्पताल में कुत्तों ने नवजात का शव नोच कर क्षत-विक्षत कर दिया। इससे पहले कुत्ते एक मरीज के शव का कान-नाक खा गए थे। इसी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के अभाव में 60 बच्चों की मौतें हो गई थी।

घटना गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज की है, जहां दुर्दशाओं का बोलबाला है। ताजा घटना में 50 गार्डों की मौजूदगी और तमाम मरीजों के बीच गुरुवार की रात कुत्ता नवजात शिशु को उठा ले गया।

कुशीनगर के सेवरही गांव थाना के अवदान टोला निवासी राजेश ने 29 वर्षीय पत्नी माही को प्रसव के लिए मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर 7 में बुधवार को भर्ती कराया था। गुरुवार को सायं 4 बजे ऑपरेशन से पैदा हुआ बच्चा मृत्यु था। उधर माही की तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया।

पत्नी की हालत, दो बच्चों को देखना और साथ ही नवजात के शव को संभालना, यह सारा अकेले राजेश के जिम्मे था। ऊपर से दुख, तनाव और पत्नी को बचाने की चिंता भी थी।

आधी रात के करीब आईसीयू के बाहर तीमारदारों के बैठने की जगह से कपड़े में लिपटी नवजात के शव को कुत्ता उठाकर वार्ड नंबर 9 के शौचालय में लेकर चला गया और खाने लगा। तीमारदारों की तत्परता से शव का कुछ हिस्सा कुत्ते से छुड़ाकर परिजन पा सके।

वहां पर कुत्ते शव को नोंच रहे थे। इस नजारें को रात करीब दो बजे कुछ तीमारदारों ने देखा। वह शोर मचाने लगे। इसके बाद कर्मचारी भी जुट गए। तीमारदारों ने कुत्तों को भगाया। पेट का कुछ हिस्सा व हाथ वे खा चुके थे।

शव के अवशेष का महज कुछ हिस्सा तीमारदारों की सतर्कता से बच पाया। इसके बाद रात को गुस्साए तीमारदारों ने मेडिकल कॉलेज में हंगामा कर दिया। मामले को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने घटना के जांच के आदेश दे दिए।

इससे कुछ दिन पहले ही वार्ड नंबर 5 की खिड़की से गिरे मरीज के शव का नाक कान कुत्ते खा गए थे।

मेडिकल कालेज के वार्डों में घूम रहे कुत्ते व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। जबकि बड़ी संख्या में गार्डों की ड्यूटी लगाई गई है। उनकी नजरों से बचकर कुत्ते वार्डों में चले जाते हैं।

विकास की बड़ी बड़ी बात फेंकने वाले और 4 साल में प्रदेश की तस्वीर बदल देने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ के गृह नगर स्थित उस मेडिकल कॉलेज का हाल है। जो मेडिकल कॉलेज पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं बिहार और नेपाल तक के मरीजों की शरणस्थली है, वहाँ इंसानियत को हिला देने वाली घटना के बावजूद भी योगी आदित्यनाथ के कान पर जूं तक नहीं रेंगा।

कुछ वर्षों पूर्व योगी शासनकाल में ही इसी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के अभाव में सैकड़ों बच्चे मौत के मुंह में समा गए थे। तब बच्चों को बचाने के प्रयास में जुटे डॉक्टर कफील खान को ही उल्टे फर्जी आरोपों में योगी सरकार ने जेल में डाल दिया तहस। उनके ऊपर उल्टा आरोप यह था कि ड्यूटी ना होने के बावजूद वह कैसे पहुंचे?

सारे फर्जी आरोपों से मुक्त होने के बावजूद उनकी कार्य बहाली नहीं हो सकी है और सीधा-सीधा इस मामले को हिंदू-मुस्लिम रंग दे दिया। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं लेकिन सभी जानते हैं एक जांच पूरी नहीं होती है तब तक दूसरी घटना सामने आ चुकी होती है। इस जांच में भी कोई मुस्लिम या दूसरे संप्रदाय का मिल जाए तो उसे बलि का बकरा जरूर बना दिया जाएगा।

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