किसान आंदोलन : 26 मार्च के भारत बंद का सभी तबकों का समर्थन

ट्रेड यूनियनों ने भी की एकजुटता कार्यक्रमों की घोषणा

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के संघर्ष को कल 26 मार्च को 4 महीने पूरे होने पर किसान विरोधी सरकार के खिलाफ भारत बंद किया जाएगा। सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के तमाम किसान संगठनों, मजदूर संगठनों, छात्र संगठनों, बार संघ, राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने इस बंद का समर्थन किया है।

उधर केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने घोषित किया कि किसानों द्वारा 26 मार्च के “भारत बंद” का आहृान को ट्रेड यूनियनों द्वारा विभिन्न एकजुटता कार्यक्रमों के माध्यम से समर्थन दिया जाएगा।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने जारी प्रेस बयान में कहा कि 26 मार्च का बंद सुबह 6 से शाम 6 बजे तक किया जाएगा। पूर्ण भारत बंद के तहत सभी दुकानें, मॉल, बाजार और संस्थान बंद रहेंगे। तमाम छोटी व बड़ी सड़कें और ट्रेनें जाम की जाएगी। एम्बुलेंस व अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं बंद रहेंगी। दिल्ली के अंदर भी भारत बंद का प्रभाव रहेगा।

दिल्ली की जिन सीमाओं पर  किसानों के धरने चल रहे है वे सड़के पहले से बंद है। इस दौरान वैकल्पिक रास्ते खोले गए थे। कल के भारत बंद के दौरान सुबह 6 से शाम 6 बजे तक इन वैकल्पिक रास्तों को भी बंद किया जाएगा।

 भारत बंद की माँगें-

  • तीन कृषि कानूनों को रद्द करो
  • एमएसपी व खरीद पर कानून बने
  • किसानों पर किए सभी पुलिस केस रद्द करो
  • बिजली बिल और प्रदूषण बिल वापस करो
  • डीजल, पेट्रोल और गैस की कीमतें कम करो

सभी प्रदर्शनकारी नागरिको से अपील की जाती है कि शांतमयी रहते हुए इस बंद को सफल बनायें। किसी भी प्रकार की नाजायज बहस में न उलझे। यह किसानों के सब्र का ही परिणाम है कि आन्दोलन इतना लम्बा चला है हमें निरन्तर सफलताएं मिल रही है।

केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का विरोध प्रदर्शन

केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच के आहृान पर, 24 से 26 मार्च तक तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन पूरे भारत में शुरू हुए जिसमें 4 श्रम कोडों, तीन कृषि कानूनों और विद्युत (संशोधन) अधिनियम 2021 को रद्द करने की मांग की गई; एमएसपी की गारंटी प्रदान करने के लिए एक कानून बनाने, चौतरफा निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सरकारी विभागों में विनिवेश पर रोक लगाने, भारतीय रेलवे, रक्षा, कोयला, तेल, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, दूरसंचार, आदि क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने; लॉकडाउन के दौरान वेतन और अन्य लाभों का भुगतान जारी रखने और किसी भी कर्मचारी को ना निकालने के सरकार के अपने पूर्व के आदेश को सुनिश्चित करने; सार्वभौमिक राशन प्रणाली और गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने; मनरेगा में कार्यदिवस 200 तक बढ़ाने, और शहरी भारत में रोजगार गारंटी योजना शुरू करने; सरकार द्वारा स्वीकृत पदों को भरने, आदि की मांगें उठाई गईं।

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