ग़ैरक़ानूनी गेटबन्दी के खिलाफ वोल्टास मज़दूरों की 2 अप्रैल से हड़ताल

वोल्टास इम्पलाइज यूनियन ने कंपनी को दिया नोटिस

पंतनगर (उत्तराखंड)। प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण कंपनी में सवा 3 साल से जारी दमन और यूनियन अध्यक्ष व महामंत्री सहित 9 श्रमिकों की डेढ़ साल से ग़ैरक़ानूनी गेटबन्दी से आक्रोशित मज़दूरों ने 2 अप्रैल से वैधानिक हड़ताल की नोटिस दी है। इस दौरान कंपनी गेट पर मज़दूरों का धरना व क्रमिक अनशन जारी है। कंपनी के भीतर श्रमिकों का विरोध कार्यक्रम भी जारी है।

माँग पत्र देते ही दमन शुरू

वोल्टास इम्पलाइज यूनियन के अध्यक्ष मनोज कुमार व महामंत्री दिनेश चंद्र पंत ने बताया कि वोल्टास प्रबन्धन यूनियन द्वारा माँग पत्र देने के साथ पिछले सवा तीन सालों से अवैध कार्यवाहियों में लिप्त है। प्रबंधन अड़ियलपन के साथ सारे कानूनों को दरकिनार करते हुए दमनकारी नीति पर दौड़ रहा है।

अध्यक्ष-महामंत्री सहित 9 श्रमिक हैं बाहर

यूनियन नेताओं ने बताया कि एसी बनाने वाली टाटा ग्रुप की इस बड़ी कंपनी में महज 38 स्थाई श्रमिक हैं। बाकी सारा काम ठेका व नीम ट्रेनी श्रमिकों से होता है। इनमे से भी 9 मज़दूर डेढ़ साल से बाहर हैं। सबकुछ श्रम विभाग की नज़रों के नीचे हो रहा है।

कहा कि औद्योगिक विवाद के दौरान माँग पत्र का विवाद श्रम न्यायालय में तथा प्रबन्धन द्वारा संराधान वार्ता के उल्लंघन का प्रकरण एएलसी महोदय के समक्ष विचाराधीन रहते प्रबंधन ने बगैर पूर्व अनुमति एक श्रमिक की बर्खास्तगी और यूनियन के अध्यक्ष व महामंत्री सहित 8 श्रमिकों की लेऑफ अवैध घोषित होने के बाद गैर कानूनी सेवा समाप्त की।

प्रबन्धन ने श्रम न्यायालय में विवाद के दौरान श्रमिकों की पूर्ववर्ती सुविधाओं, सेवा शर्तों व वेतन में अवैध कटौती लगातार जारी रखी है। इस दौरान परिवहन में श्रमिक पक्ष की भागीदारी राशि को भी मनमाने रूप से बढ़ाया, श्रमिकों का गेट पास बंद कर दिया। लेकिन श्रम अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।

प्रशासन-श्रम अधिकारी प्रबंधकों के साथ

नेताओं ने कहा कि गैर कानूनी गेटबंदी के शिकार मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति व्याप्त है। जबकि श्रम अधिकारी मामले को शुरू से उलझाने का प्रयास करते रहे। उधर श्रमिक समस्याओं के लिए गठित उच्चस्तरीय प्रशासनिक कमेटी केवल प्रबंधन से बात करके चुप्पी साध गया।

मजदूरों ने कहा कि प्रशासनिक कमेटी ने सबसे पहले वोल्टास के विवाद के लिए वार्ता का पत्र जारी किया, लेकिन चार माह बीत जाने के बावजूद अभी तक वार्ता नहीं हुई। कानूनों के स्पष्ट उल्लंघन के बावजूद श्रम विभाग डेढ़ साल से प्रबंधन पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इससे प्रबंधन की मनमानी लगातार बढ़ती गई।

साफ दिख रहा है कि प्रशासन, श्रम अधिकारी और प्रबंधन मिलकर मजदूरों का दमन कर रहे हैं। इन स्थितियों में मजदूरों में भारी आक्रोश व्याप्त है।

हड़ताल ही अंतिम रास्ता है

उन्होंने कहा कि प्रबंधन के पास पैसे की ताकत है, जबकि मजदूरों के पास एकताबद्ध संघर्ष ही रास्ता है। ऐसी स्थिति में यूनियन के पास वैधानिक आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।

यूनियन नेताओं ने बताया कि यदि प्रबंधन 1अप्रैल 2021 तक समस्त श्रमिकों की कार्यबहाली सहित मौजूदा समस्त औद्योगिक विवादों का सर्वसम्मत से निस्तारण नहीं करता है तो यूनियन के समस्त सदस्य/श्रमिक दिनांक 2/04/2021 से वैधानिक हड़ताल प्रारंभ करने के लिए विवश होंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की होगी।

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे