इन्टरार्क मज़दूरों की जीत, राज्य से बाहर बगैर सहमति स्थानांतरण गलत

उत्तराखंड : ट्रिब्यूनल ने मज़दूरों के पक्ष में दिया फैसला

इन्टरार्क कंपनी पंतनगर व किच्छा प्लांटों के मज़दूरों को महत्वपूर्ण जीत मिली है। ट्रिब्यूनल ने कंपनी के स्थाई आदेश में उक्त संशोधन को सही ठहराया है, जिसमें मज़दूरों की पूर्व सहमति के बिना राज्य से बाहर उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है। इसी के साथ 195 मज़दूरों के राज्य से बाहर स्थानांतरण का आदेश भी गैरकानूनी घोषित होगा।

इन्टरार्क मज़दूर संगठन किच्छा अध्यक्ष राकेश कुमार, महामंत्री पान मोहम्मद, संगठन मंत्री संतोष कुमार सिंह व इन्टरार्क मज़दूर संगठन इन्टरार्क मजदूर संघ पंतनगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह व महामंत्री सौरभ ने बताया कि कंपनी प्रबन्धन ने स्टेंडिंग ऑर्डर में किये गये संशोधनों के आदेश के विरुद्ध औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी में अपील की थी। तब से मामला ट्रिब्यूनल में चल रहा था।

यूनियन की अपील पर उप श्रमायुक्त हल्द्वानी द्वारा कम्पनी के स्टेंडिंग आर्डर में यूनियन द्वारा प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार करके उक्त पक्ष में बदलाव करने का निर्णय दिया था, जो कि क़ानून सम्मत है, जिसमे मजदूरों की पूर्व सहमति के बिना उत्तराखंड राज्य से बाहर उनका ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। प्रबंधन ने इसके खिलाफ़ ट्रिब्यूनल में अपील की थी।

इसी बीच जुलाई 2020 को कंपनी प्रबन्धन ने कोरोना लॉक डाउन का फायदा उठा यूनियन तोड़ने की गंदी हरकत की साजिश के तहत इन्टरार्क के दोनों प्लांटों (पंतनगर व किच्छा) के 195 मजदूरों का चेन्नई ट्रांसफर करने का फतवा जारी कर दिया था। असली मंशा मजदूरों को ट्रांसफर के बहाने नौकरी से निकालकर यूनियन को कमजोर करना व तोड़ना था। यूनियन ने मजदूर साथियों को निर्देश दिया था कि कोई चेन्नई या अन्य जगह पर न जाये। श्रम विभाग में यूनियन ने शिकायत की।

प्रबंधन ने 1 जुलाई से सभी 195 मजदूरों का गेट बंद कर दिया था। यूनियन इसके विरुद्ध हाईकोर्ट गई। हाईकोर्ट ने ट्रांसफर पर स्टे लगा दिया, 28 जुलाई को हाईकोर्ट ने मामले को ट्रिब्यूनल को रेफर कर दिया था। तब प्रबंधन ने हार मार ली और सभी मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली कर दी थी।

प्रबन्धन ने पुनः हाईकोर्ट की शरण ली और स्टेंडिंग ऑर्डर में किये गये उक्त बदलाव के विरुद्ध याचिका पर हाईकोर्ट ने 2 माह के भीतर सुनवाई पूरा करने का आदेश दिया। अब जाकर ट्रिब्यूनल ने भी फैसला सुना दिया है कि डीएलसी ने स्टेंडिंग ऑडर पर जो संशोधन किया था वो सही था। कोर्ट ने प्रबंधन के विरुद्ध यूनियन के पक्ष में फैसला दिया है।

यूनियन नेताओं ने बताया कि अभी भी 195 मजदूरों का मामला लेबर कोर्ट में चल रहा है जो कि अब औपचारिकता मात्र ही है। क्योंकि पूरा मामला कंपनी के स्थाई आदेश पर आधारित था और यह साफ हो गया है कि कंपनी के पंतनगर व किच्छा प्लांट के किसी भी मजदूर के अनुमति के बिना उत्तराखंड राज्य से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।

नेताओं ने आम मज़दूरों को जारी संदेश में कहा है कि इस जीत से 195 मजदूरों के साथ ही दोनों प्लांटों के सभी मजदूरों के ऊपर से ट्रांसफर का कोढ़ /खतरा अब हट गया है। यह जीत सभी मजदूर साथियों के त्याग समर्पण व सहयोग के बल पर ही संभव हुआ है। इसका सारा श्रेय मजदूर भाइयों को ही जाता है।

यूनियनों ने इस जीत के लिए हाई कोर्ट के एडवोकेट एमसी पंत, मेहता जी व ट्रिब्यूनल के वकील डीडी कांडपाल के महत्वपूर्ण योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

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