शोषण के ख़िलाफ़ केहिन फिन की महिला श्रमिकों का आन्दोलन जारी

वेतन समझौते की जगह निलंबन से महिला श्रमिकों में आक्रोश

बावल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित केहिन फिन की महिला श्रमिक पिछले 10 दिनों से कंपनी के सामने धरना दे रही हैं। कंपनी में नए वेतन समझौते पर विवाद के बीच प्रतिनिधियों के निलंबन और समस्त महिला श्रमिकों का गेट बंद करके गुड़ कंडक्ट फार्म भरवाने की शर्त पर श्रमिकों में आक्रोश बढ़ा। फिलहाल उनका कंपनी के बाहर धरना जारी है।

दरअसल, शनिवार, यानी 13 फरवरी को प्रबन्धन ने श्रमिकों की समिति के 6 कार्यकर्ताओं को निलंबन की नोटिस सौंप दी और शाम, बी शिफ्ट के बाद 3 और मज़दूर साथियों को निलंबन की नोटिस दिया। यहाँ की महिलाओं की नेतृत्व में बनी उनकी यह समिति अपना वेतन और अन्य भत्तों को लेकर समझौते की प्रक्रिया में थी, और उनकी बातचीत पहले DLC और फिर ALC की माध्यम में चल रही थी।

इसी के बीच कंपनी प्रबंधन ने समिति के लोगों को सस्पैंड किया और सोमवार15 फरवरी को कम पर आने पर प्रबंधन ने शर्त रखी की वे जब तक कथित फार्म (गुड कंडक्ट बांड) भरेंगी, उन्हें काम पर नहीं लिया जाएगा। 165 महिला श्रमिकों ने इसे भरने से इनकार कर दिया तो प्रबन्धन ने सबका गेट बंद कर दिया। तबसे वे कंपनी गेट पर धरने पर बैठी हैं।

यह हक़ की लडाई है

इन महिलाओं का कहना है कि उनका वेतन समझौता 31 मार्च 2020 से बकाया है और यह धरना प्रदर्शन इनके हक़ की लड़ाई हैं। उन्होंने बीते सोमवार से दिन-रात कंपनी के बाहर ही अपने डेरा डाला है। बहुत कोशिश के 2 दिन बाद नगर पालिका ने यहाँ टॉयलेट की सुविधा लगायी हैं। कंपनी ने मुख्य गेट पर बैठे इन श्रमिकों को ताला लगाकर बैरिकेड कर दिया है।

श्रमिकों ने बताया कि कंपनी ने पुराने प्रोडक्ट, कारबोरेटर को हटाकर अभी फ्यूल इंजेक्टर बनाना चालू किया हैं। कहा कि ट्रेनिंग के बाद कंपनी ने सीधा 2486 यूनिट की प्रोडक्शन टारगेट की मांग रखा हैं, जबकि वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं किया है। पुराने टारगेट से सीधा 136 यूनिट की बढौतरी के खिलाफ बोलते हुए महिलाओं ने कहा- “जब काम चलते हैं, हम हिल नहीं पाते, टॉयलेट तो छोड़ो, पानी पीने का भी मौका नहीं देते हैं।”

समिति का कहना है कि कुछ सालों से, कंपनी ने स्टाफ के पद पर बहुत सारे लड़कों को भर्ती की है, जबकि वे खुद लाइन पे वहीँ प्रोडक्शन का काम ही कर रहे हैं। यह सारे लड़के अस्थायी और कैजुअल श्रमिक हैं, और इनके वेतन इन स्थायी मजदूरों से काफी कम हैं। श्रमिकों का कहना है की प्रबंधन अलग अलग केटेगरी में मजदूरों को बाँटा हैं, जबकि काम सब एक ही करते हैं।

शोषण के खिलाफ 2014 में हुईं संगठित

केहिन फिन की इस प्लांट में शुरू में बस महिलाएं काम करती थीं। 2014 में आन्दोलन करके अपने वेतन पर समझौता एवं समिति का गठन किया था। तबसे यह समिति मजदूरों के अधिकारों को लेकर लगातार काम किया है और फिर से एक साल से बकाया वेतन समझौता की माँग की है।

फिलहाल महिला श्रमिक अपने हक़ के आंदोलन में दाती हुई हैं और कंपनी गेट पर उनका लगातार धरना जारी है।

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