ब्रूनो जैसे वैज्ञानिकों की कुर्बानियों से ही आज विज्ञान इतने आगे पहुँचा

कार्यक्रम : ढोंगी बाबाओं के चमत्कारों का भी पर्दाफाश हुआ

रामनगर (उत्तराखंड) साइंस फ़ॉर सोसाइटी द्वारा महान खगोलशास्त्री व दार्शनिक जिर्दानो ब्रूनो के जन्म दिवस 17 फरवरी को चमत्कारों के पीछे छुपे विज्ञान का प्रदर्शन किया गया और ढोंगी बाबाओं द्वारा दिखाए जाने वाले चमत्कारों के पीछे छुपे विज्ञान का पर्दाफाश हुआ। उनके जीवन एवं कार्यों पर आयोजित प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किया गया।

17 फरवरी, 1600 को इटली के  दार्शनिक ब्रूनो को सच बोलने के लिए चर्च द्वारा चौराहे पर जलाकर मारने की सजा दी गई थी। ब्रूनो ने कॉपरनिकस के सिद्धांतों का समर्थन करते हुए कहा था कि आकाश सिर्फ उतना ही नहीं है जितना हमें दिखाई देता है। वह अनंत है और उसमें हमारे सौर मंडल की तरह के असंख्य विश्व है।

ब्रूनो ने बताया कि ब्रह्माण्ड के सभी विश्वों की अपनी स्वयं की उत्पत्ति और अपना स्वयं का अन्त है और वे बराबर बदलते रहते हैं। यह विचार बहुत ही साहसपूर्ण था, क्योंकि ईसाई धर्म के अनुसार तो संसार अपरिवर्तनशील है और वह सदा वैसा ही बना रहता है जैसा कि ईश्वर ने इसे बनाया है। आगे चलकर पूरी दुनिया ने उनकी बात को सच साबित किया और उनको साइंस के शहीद की उपाधि दी गई।

ब्रूनो ने यह भी बताया कि न केवल पृथ्वी ही, बल्कि सूर्य भी अपनी धुरी पर घूमता है। ब्रूनो की मृत्यु के बहुत वर्षों बाद यह तथ्य भी प्रमाणित हुआ।

कार्यक्रम के दौरान एडवोकेट मदन मेहता द्वारा मुँह में जलते अंगारे रखने तथा ढोंगी बाबाओं द्वारा दिखाए जाने वाले चमत्कारों के पीछे छुपे विज्ञान का पर्दाफाश किया।

कैसर राना ने बताया कि ब्रूनो जैसे लोगों की कुर्बानियों के कारण ही आज विज्ञान इतने आगे पहुंच पाया है। ब्रूनो चर्च द्वारा फैलाई गए झूठ के आगे झुके नहीं और अपनी बात पर अपने विज्ञान पर अडिग रहे।

हेम आर्य ने कहा कि संविधान में वैज्ञानिक चेतना के प्रचार प्रसार को सभी नागरिकों का दायित्व घोषित किया गया है। समाज में फैली जड़ताओं और अंधविश्वास को तोड़कर ही हमारा समाज आगे बढ़ पाएगा। उन्होंने कहा कि सोसायटी समाज में विज्ञान चिंतन के प्रचार प्रसार व अंधविश्वास को मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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