सरकार असहमति की आवाज़ दबाना बंद करे, इंटरनेट सेवा बहाल हो

संयुक्त किसान मोर्चा का बयान, किसानों का दमन तेज

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने सरकार द्वारा बाधित इंटरनेट सेवाओं को तत्काल बहाल करने की मांग की है। मोर्चे ने कहा कि असहमति की आवाज़ को दबाने के सरकार के प्रयास लगातार जारी हैं। आंदोलनकारी किसानों के साथ साथ मीडिया और स्थानीय लोगों को भी बहुत दिक्कत हो रही है। विशेषकर छात्रों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी परीक्षाएं नजदीक हैं। एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है दूसरी तरफ देश की जनता को इंटरनेट से वंचित रखा जा रहा है।

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि देश-दुनिया से किसान आंदोलन को लगातार समर्थन मिल रहा है। शर्म की बात है कि सरकार इसे अंदरूनी मामला बताकर दबाना चाहती है। जो लोग किसानों को समर्थन कर रहे है उन्हें ट्रोल किया जा रहा है जो कि निंदनीय है।

यह आंदोलन पूर्णतः किसानों का आंदोलन है और किसानों पर लग रहे सभी बेबुनियाद आरोपों को हम खारिज करते है। यह आंदोलन शुरू से ही पूर्ण रूप से अराजनैतिक रहा है व अराजनैतिक रहेगा। किसी भी राजनैतिक दल के नेता को ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ का मंच नहीं दिया जाएगा। राजनैतिक दलों एवं नेताओ का किसान आंदोलन को समर्थन स्वागत योग्य है परंतु किसी भी स्थिति में ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के मंच पर जगह नहीं दी जाएगी।

आज ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने 26 जनवरी की पुलिस कार्रवाई में मारे गए उत्तराखंड के किसान नवरीत सिंह की अंतिम अरदास में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने बताया कि अब तक संकलित जानकारी के अनुसार 125 किसानों पर FIR दर्ज है व 21 किसान लापता हैं। किसान मोर्चा का कानूनी सहायता केंद्र हर बॉर्डर पर लगाया जा चुका है। वह इन सभी केसों से संबंधित मामलों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है।

मीडिया विजिल से साभार

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