दमन और कंटीले तारों की बाडेबन्दी के बीच नहीं होगी वार्ता, 6 को देशव्यापी चक्का जाम

उत्पीड़न पर रोक लगाओ, काले कृषि क़ानून वापस लो!

मोदी सरकार किसान आंदोलन का दमन बढ़ते हुए गिरफ्तारियाँ, सड़कों पर खड्डे, कंटीले तारों की बाड़ लगाने, इंटरनेट सेवाओं को रोकने में जुटी है। तो किसानों द्वारा 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम की घोषणा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट कर दिया है कि दमन बंद होने के बाद ही वार्ता होगी।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार हाइवे की खुदाई, सड़कों पर खड्डे, कंटीले तारों की बाड़ लगाने, आंतरिक छोटी सड़कों को बंद करने, इंटरनेट सेवाओं को रोकने, बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से हमले, जरूरी सुविधाओं को रोकने, ट्रेनों के रूट बदलने, पत्रकारों को गिरफ्तार करने और ट्विटर अकाउंट बंद करने जैसे कदमों से आंदोलन कुचलने पर आमादा है।

उधर किसान आंदोलन फैलता जा रहा है। हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतें आंदोलन का ताप बढ़ रही हैं। जबकि महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटका तक किसान आंदोलन तेज हो रहा है। 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम के तहत हाइवे जाम कराने की तैयारी चल रही है।

संयुक्त किसान मोर्चा का बयान

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने फैसला किया है कि जब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन के खिलाफ विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न पर तुरंत रोक नहीं लगाई जाती, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं होगी। बलबीर सिंह राजेवाल की अध्यक्षता में हुई ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की बैठक में ये फैसला लिया गया।

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि सरकार ट्रेंच- खुदाई, सड़कों पर खड्डे, कंटीले तारों की बाड़ लगाने, यहां तक ​​कि आंतरिक छोटी सड़कों को बंद करने, इंटरनेट सेवाओं को रोकने, बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से विरोध प्रदर्शन को रोकने, जरूरी सुविधाओं को रोकने, ट्रेनों के रूट बदलने, पत्रकारों को गिरफ्तार करने और ट्विटर अकाउंट बंद करने जैसे कदमों पर तत्काल रोक लगाए।

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‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि हालांकि सरकार की ओर से बातचीत का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वार्ता उन सब किसानों की बिना शर्त रिहाई के बाद ही होगी जो अवैध रूप से पुलिस हिरासत में हैं।

दिल्ली पुलिस ने 122 आंदोलनकारियों की सूची जारी की है जिन्हें पुलिस हिरासत में लिया गया था। हम उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं। हम उन पत्रकारों पर हमलों और गिरफ्तारी की भी निंदा करते हैं जो लगातार आंदोलन को कवर कर रहे हैं।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने ऐलान किया कि पूरे देश में 6 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच सभी राजमार्गों पर चक्का जाम किया जाएगा।

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने इंटरनेट सेवा पर रोक लगा रखी है। किसान आंदोलन से संबंधित कई ट्विटर एकाउंट को सरकार ने बंद करा दिया है। जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। ये एकाउंट को सरकार के झूठे प्रचार से निपटने और जनता को वास्तविक जानकारी देने के उद्देश्य से चल रहे हैं, इन्हें बंद करना  लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

नेताओं ने कहा कि कई सीमाओं पर, पुलिस अपने बैरिकेड्स को मजबूत कर रही है। पुलिस बल सड़क पर सीमेंटेड बैरिकेड्स, कांटेदार तार की बाड़ और खड्डों के साथ सड़कों को अवरुद्ध कर रहे हैं। एक तरफ, प्रधानमंत्री कहते हैं कि समाधान केवल एक कॉल दूर है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार विरोध स्थलों को बंद करने, सुविधाओं में कटौती करने और जनता के लिए असुविधा पैदा करने की पूरी कोशिश कर रही है।

सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार विभिन्न राज्यों में चल रहे विरोध की बढ़ती ताकत से बेहद भयभीत है। किसान मोर्चा ने विभिन्न थानों में कई प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी व हिरासत और किसानों के वाहनों को जब्त करने की कड़ी निंदा की। सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि सैंकड़ो लोगों के लापता होने की सूचना है और यह हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है।

किसान नेताओं ने कहा कि एसकेएम द्वारा अलग-अलग राज्यों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक कानूनी टीम का गठन किया गया है, जिसका नेतृत्व एडवोकेट प्रेम सिंह भंगू कर रहे हैं। यह कमेटी अब लापता व्यक्तियों, गिरफ्तार व्यक्तियों और जब्त वाहनों के मामले को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाएगी।

‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि सरकार आंदोलन में हिंसा की छवियां पेश करना चाहती है ताकि आम लोग इस आंदोलन से दूर रहें और मनगढ़ंत आरोपों और गिरफ्तारी के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर नकेल कस सके। मोर्चा ने कहा कि असल अपराधी बिना किसी गिरफ्तारी या कठोर कार्रवाई के बाहर हैं, जो यह साबित करता है कि सरकार किसानों के आंदोलन को खत्म करना चाहती है।

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