बेचो इंडिया बजट : पूँजीपतियों की फिर बहार, आमजन कंगाल

बजट से मज़दूर गायब ऑन लाइन शिक्षा में झोंकर मोबाइल किया महँगा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट गरीबों, कामकाजी तबके, मजूदरों, मेहनतकश किसानों, माध्यम वर्ग व कोरोना/लॉकडाउन से बेरोजगार हुए लोगों के साथ धोखा है। सरकरी कंपनियों को बेचने सहित पूँजीपतियों के झोली पूरी खुल जाने से शेयर बाजार छलाँगे लेने लगा।

डिजिटल माध्यम से प्रस्तुत बजट से मालिकों की बल्ले-बल्ले हुई, तो मेहनतकश फिर ठन-ठन गोपाल रहा। पेट्रोल एवं डीजल समेत कई उत्पादों पर उपकर लगा दिया गया है। बीमा-बैंक सहित सरकारी क्षेत्र के बचे प्रतिष्ठन भी बिकेंगे। ऑन लाइन शिक्षा में झोंकर मोबाइल महँगा कर दिया गया।

बजट की मुख्य बातें मेहनतकश की दृष्टि से-

मज़दूर-कर्मचारी फिर बना ठनठन गोपाल

  • कोरोना/लॉकडाउन में तबाह, छाँटनी, वेतन कटौती व भारी महंगाई की मार झेलते तथा बेरोजगार हुए मेहनतकशों के लिए बजट में एक शब्द भी नहीं है।
  • नए रोजगार पर कोई बात नहीं हुई, उल्टे सरकारी कंपनियों को बेचने व बंदी से बेरोजगारी और बढ़ेगी।
  • कोरोना में रोजगार का जरिया बने मनरेगा का बजट वस्तुतः कम हुआ है।
  • मालिकों के लिए फोकट का मज़दूर बन चुके नीम ट्रेनी के दायरे को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षु कानून में संशोधन होगा।
  • प्रोविडेंट फंड के ब्याज पर भी आयकर लगेगा। फिलहाल इस बार ढाई लाख से अधिक पीएफ कटवाने वालों को ही ब्याज पर टैक्स देना पडेगा। सबके पीएफ पर टैक्स लगाने की यह शुरुआत है।
  • कर्मचारियों की जनवरी 2020 से सीज डीए भुगतान की घोषणा नही हुई।
  • आयकर से माध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं, सभी तरह के पेंशनभोगियों के लिये न्यूनतम पेंशन घोषणा नही की गई। केवल 75 साल पार के वरिष्ठ नागरिकों को आयकर रिटर्न से छूट दी गई है।
  • कोरोना की मार झेल रहे मेहनतकश जन पर टैक्स के बोझ, लेकिन अकूट मुनाफा पीट रहे पूँजीपतियों पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं।
  • बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन जारी है और मोबाइल उपकरणों की कस्टम ड्यूटी 2.5 पर्सेंट बढ़ाई गई है। इससे मोबाइल और महँगे होंगे। मज़दूरों के पॉकेट पर एक और हमला।   

सामाजिक सुरक्षा के दायरे में ठेका कर्मचारियों को भी शामिल करने, मज़दूरों को ईएसआई में लाने, सभी मज़दूरों को न्यूनतम वेतन देने, वन नेशन वन राशन कार्ड व प्रवासी मज़दूरों को उनकी जगहों पर ही राशन देने, मज़दूरों का पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन, चाय बागानों के श्रमिकों के कल्याण के लिए 1000 करोड़ के बजट की घोषणाएं एक और जुमला है।

Budget 2020-21 : उम्मीदों के आसमान पर जनता...

निजीकरण की गति तेज

  • बीमा क्षेत्र को निजी मालिकों के हवाले करने के लिए विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 फीसदी बढ़ाकर 74 फीसदी तक घोषणा हुई है।
  • भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के शेयर बाज़ार में उतारे जाने की घोषणा की।
  • सरकारी क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का विनिवेश होगा।
  • सरकार भारत पेट्रोलियम, कॉनकॉर और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की भी बिक्री करेगी।
  • चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की सार्वजनिक इकाइयों का विनिवेश किया जाएगा।
  • विनिवेश के लिए नीति आयोग से केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की अगली सूची तैयार करने को कहा गया।
  • राज्य सरकारों के उपक्रम के भी विनिवेश की अनुमति दी जाएगी।
  • रेलवे मालगाड़ियों के लिये अलग से बनाये गये विशेष गलियारों को निजी हाथों में सौंप जाएगा।
  • सरकार टाटा कम्युनिकेशंस में अपनी पूरी 26.12 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी।
  • ढांचागत क्षेत्र की पुरानी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने (बेचने) के लिये योजना लायी जाएगी।
  • गैस पाइपलाइन, राजमार्ग आदि जैसी परियोजनाओं को निजी क्षेत्र के साथ साझा करने या किराये पर चढ़ाकर आय सृजन करने का प्रस्ताव है।
  • गेल इंडिया लि., इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और एचपीसीएल की 20 पाइपलाइन बाजार के हवाले होगा।
  • अडानी की कंपनी के लाभ के लिए 100 नए शहर सिटी गैस वितरण में जोड़े जाएंगे।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉरपोरेट के लिए राह आसान बना, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की भागीदारी (पीपीपी) के साथ 100 नये सैनिक स्कूल स्थापित होंगे।
  • बिजली के निजीकरण की दिशा में कदम मजबूत करते हुए बिजली उपभोक्ताओं को वितरण कंपनियों का विकल्प देने के लिये नियम बनाए जाएंगे।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत 2,000 करोड़ से अधिक की सात बंदरगाह परियोजनाओं की घोषणा की।
  • चार केंद्रीय उपक्रमों- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल), भारत डायनेमिक्स, आईआरसीटीसी और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल), आईआरएफसी और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के बोली (आईपीओ) लग चुके हैं।
  • चार सरकारी कंपनियों- राइट्स, एनटीपीसी, केआईओसीएल और एनएमडीसी- ने शेयर बायबैक को पूरा किया है।
  • एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल, शिपिंग कॉर्प, नीलाचल इस्पात निगम और फेरो स्क्रैप निगम (एफएसएनएल) के निजीकरण की प्रक्रिया जारी है।
  • बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन, कंटेनर कॉरपोरेशन और अन्य कंपनियों के प्रस्तावित विनिवेश 2021-22 में पूरा होगा।

कुल मिलकर यह बजट ‘सेल इंडिया’ है। रेलवे बिक गया, हवाई अड्डे बिक गए, बंदरगाह बिक गए, इंश्योरेंस बिक गया, 23 सरकारी कंपनियाँ बिक गईं।

जन सुविधाओं के बजट में कटौती

  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के बजट में कटौती हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में इसके लिए 2,500 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन इस साल यह घटकर 2,000 करोड़ रुपये रह गया।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बजट 2021-22 में घटकर 15,000 करोड़ रुपये रह गया।
  • ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने वाली दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना का बजट इस साल 4,500 करोड़ रुपये से घटकर 3,600 करोड़ रुपये रह गया।
  • राष्ट्रीय शिक्षा मिशन योजना के बजट में इस साल लगभग 5,000 करोड़ रुपये की कटौती की गई।
  • सुस्त पड़े रियल एस्टेट क्षेत्र में माँग की पूर्ति, सस्ते मकानों की खरीद के लिए आवास ऋण के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कर कटौती एक साल और बढ़ी।

करों का बोझ बढ़ा

  • बजट में पट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर कृषि बुनियादी ढांचा उपकर लगाया गया।
  • वाहनों के कुछ कल-पुर्जों, सौर उपकरणों पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी।
  • बजट में काबुली चने पर 30 फीसदी, मटर पर 10 फीसदी, बंगाल चने पर 50 फीसदी, मसूर पर 20 फीसदी, कपास पर पांच फीसदी कृषि अवसंरचना उपकर लगाने का प्रस्ताव है।
  • ज्वेलरी इंडस्ट्री को राहत, कस्टम ड्यूटी 12.5% से घटाकर 10.75% किया। 
  • ऑटो क्षेत्र के दिग्गजों को नए वाहन बेचने की रह बनाते हुए स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति के तहत पुराने वाहनों को हटाया जाएगा।

किसानों के साथ धोखा

  • किसानों के लिए तमाम घोषणाओं के बीच दरअसल कृषि बजट कम किया है। पिछली बार एक लाख 54 हज़ार करोड़ का बजट था, इस बार इसे घटाकर एक लाख 48 हज़ार करोड़ कर दिया है।
  • किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य यानी एमएसपी दिलाने के लाई गईं दो प्रमुख योजनाओं के बजट में इस बार भारी कटौती की गई है।
  • हर साल किसानों के खाते में 6,000 रुपये की सहायता राशि पहुंचाने के लिए शुरू की गई योजना के बजट में सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की कटौती की है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली होगा खत्म

  • एफसीआई पर कर्ज बढकर 3.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है क्योंकि सरकार अपनी देनदारी चुकता नहीं कर रही। अब तक यह लघु बचत योजनाओं के कर्ज देकर जिंदा था। इस बार वह भी नहीं।
  • एफसीआई की बंदी की रह में एक और कदम। कृषि क़ानूनों से इसे बंद होना है।
  • इसका सबसे बड़ा प्रभाव राशन की सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर होगा। इससे- सरकारी खरीद समाप्त होगा, राशन की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की समाप्ति होगी, खाद्यान्न भंडारण और व्यापार का पूर्ण निजीकरण व आवश्यक वस्तु अधिनियम का अंत होगा।

लाभ मिलेगा आने वाले सालों में

बजट में जो घोषणाएं हुई हैं उनमे जनता के हित वाले थोड़े बहुत जो मद हैं, उनका भी लाभ आने वाले समय में मिलेगा।

लेकिन कोविड के बाद से ही परेशान मज़दूर और मध्यम वर्ग को राहत अभी चाहिए। उलटे टैक्स का बोझ और बढ़ गया है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज का एक और जुमला उछाला गया है।

सस्‍ती

बाजार व कॉरपोरेट के हित में सोना-चांदी, इस्पात (स्टील), लोहा, नायलॉन वस्त्र, तांबे की वस्तुएं, बीमा, बिजली. स्टील के बर्तन होंगे सस्ते।

महँगी

आम जनता की पॉकेट और ढीली करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, मोबाइल फोन, मोबाइल फोन चार्जर, आयातित रत्न (कीमती पत्थर), चमड़े के जूते, आयातित ऑटो पार्ट्स, सिल्क उत्पाद, पेट्रोल-डीज़ल, सोलर सेल महँगे होंगे।

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