टेक महिंद्रा भी करेगी पाँच हजार कर्मचारियों की छँटनी

छँटनी का दौर हुआ तेज, फिक्स्ड टर्म के लिए रहो तैयार

होंडा, टाटा मोटर्स, एचपी, भारत फोर्ज, थर्मेक्स के साथ अब टेक महिंद्रा ने अपने बीपीओ कारोबार में पाँच हजार कर्मचारियों की छँटनी का ऐलान किया है। पिछले माह भी उसने 2500 कर्मियों की छँटनी की घोषणा की थी। जबकि उसके बीपीओ कारोबार का राजस्व तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन रोबोट से बढ़ते काम से छँटनी हो रहे है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र व राज्य सरकारें 50 साल उम्र पार या 30 साल नौकरी कर चुके सरकारी कर्मचारियों को बहार निकाल रही है। जबकि होंडा बाइक, होंडा कार, टाटा मोटर्स, एचपी इंडिया, भारत फोर्ज, थर्मेक्स जैसी बड़ी कंपनियों ने छँटनी के लिए स्वैच्छिक अवकाश योजना (वीआरएस) या स्वैच्छिक पृथक्करण योजना (वीएसएस) जारी कर दिया है।

ऑटोमेशन से कर्मियों पर बोझ डालना मक़सद

सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी टेक महिंद्रा वित्त वर्ष 2020-21 में अपने बीपीओ कारोबार में 43 हजार कर्मचारियों की संख्या पांच हजार घटाकर 38 हजार करने वाली है। कंपनी यह छंटनी ऐसे समय कर रही है, जब उसके बीपीओ कारोबार का राजस्व शानदार तरीके से बढ़ रहा है।

दरअसल यह स्वचालन और कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) यानी रोबोट के बढ़ते इस्तेमाल का प्रभाव है।

कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि राजस्व वृद्धि और कर्मचारियों की संख्या में सामंजस्य नहीं है। प्रौद्योगिकी ने अब एक व्यक्ति के लिये कई काम करना संभव बना दिया है।

कंपनी ने इससे पहले दिसंबर तिमाही में कर्मचारियों की कुल संख्या में 2,500 की कटौती करने की घोषणा की थी। उसने कहा था कि ज्यादातर छंटनियां बीपीओ कारोबार में होंगी।

कंपनी के मुख्य कार्यकारी एवं प्रबंध निदेशक सीपी गुरनानी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमारे बीपीओ कारोबार में वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में करीब 43 हजार कर्मचारी थे। मैं वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में इस कारोबार में करीब 38 हजार कर्मचारियों के रहने की उम्मीद करता हूं। इसका कारण है कि उत्पादकता बढ़ी है और राजस्व भी बेहतर हुआ है।’’

हालांकि उन्होंने कहा कि आने वाली तिमाहियों में इसी तरह से छंटनी नहीं जारी रह सकती है और कर्मचारियों की संख्या में स्थिरता आ सकती है। दिसंबर तिमाही में कंपनी के बीपीओ कारोबार का राजस्व सितंबर तिमाही की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ा है।

मोदी सरकार ने बनाया है रास्ता

देशी-बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित में लगातार सक्रीय मोदी सरकार सरकारी क्षेत्र की कंपनियों व विभागों को तेजी से निजी मुनाफाखोरों को सौंपने के साथ बेलगाम लूट के रास्ते बना चुकी है। मालिकों को मनमर्जी रखने व निकालने की खुली छूट के लिए 44 श्रम कानूनों को ख़त्म करके 4 श्रम संहिताएँ लागू कर रही हैं। सरकारी कर्मचारियों की भी छँटनी की योजना लागू है।

रास्ता तैयार है, सो निजी कम्पनियाँ भी उसी मार्ग पर दौड़ लगा रही हैं। उधर श्रम कानूनों में बदलाव से आ रहे लेबर कोड में नियत अवधि (फिक्स्ड टर्म) का फंडा तैयार है।

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