दमन : पत्रकारों की गिरफ़्तारी सच का गल घोंटने की तैयारी
किसान आंदोलन को दबाने के लिए दो पत्रकार हुए गिरफ्तार
केंद्र सरकार के तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लगातार कवर कर रहे दो पत्रकारों को दिल्ली पुलिस ने शनिवार की शाम को उठा लिया। पत्रकार मंदीप पुनिया व पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की गिरफ़्तारी जनपक्षधर पत्रकारिता का गला घोंटने का नमूना है। यह किसान आंदोलन पर बढ़ते हमलों और दमन का एक और उदाहरण है।
ख़बर के अनुसार शनिवार शाम करीब सात बजे दोनों पत्रकारों को सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने के पास एक बैरिकेड से उठाया गया था। मनदीप पुनिया को उठाए जाने और पुलिस के द्वारा ज्यादती का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों पत्रकारों को पुलिस ने मारा-पीटा और उन्हें अलीपुर थाने लेकर गयी।
मनदीप को आज दोपहर म्यूनिसिपल मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। उनके खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 186, 323 और 353 के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं।
पुलिस का बयान और सच
स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया की गिरफ्तारी पर दिल्ली पुलिस की तरफ से बयान आया है कि उनकी गिरफ्तारी पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने और लोकसेवकों के सिंघु सीमा पर कर्तव्यों का निर्वहन करने में बाधा डालने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
एएनआई के इस ट्वीट पर तमाम लोगों ने कमेंट किये हैं। फैक्ट चैक ने ट्वीट किया है, ‘मनदीप पुनिया ने कल खुलासा किया कि बीजेपी कार्यकर्ता शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हमले में शामिल थे और आज दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
अभिनव गोयल ने सोशल मीडिया फेसबुक पर एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें दिख रहा है कि पुलिस मनदीप पुनिया को घसीटते हुए अपने साथ ले जा रही है।
मंदीप पुनिया ने सिंघू बार्डर हमले का किया था खुलासा
पिछले 2 माह से भी ज्यादा समय से लगातार किसान आंदोलन कवर कर रहे पत्रकार मनदीप पुनिया की गिरफ्तारी निंदनीय है। दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई उनके उस फेसबुक लाइव के बाद किया है जिसमें उन्होंने भाजपा नेता और गायक मनोज तिवारी के करीबी एक भाजपा नेता द्वारा सिंधु बॉर्डर पर धरनारत किसानों पर हमला करने का चेहरा बेनकाब किया था।
खबरों के मुताबिक पत्रकार मंदीप पुनिया के खिलाफ उत्तरी दिल्ली के अलीपुर थाने में आईपीसी की धारा-186, 332 और 353 के तहत एफआईआर (संख्या-52/2021) दर्ज की गई है जिसमें उनपर पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
पत्रकार मंदीप पुनिया हरियाणा के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। वह गांव में खेती करते हैं और घूम-घूम कर कारवां और जनपथ जैसे मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग करते हैं। मंदीप पुनिया ने लंबे समय तक मीडिया विजिल के लिए भी रिपोर्टिंग किया था। इन दिनों वे किसान आंदोलन को शुरू से ही कवर कर रहे थे।
पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह को हिदायत देकर रिहा किया
वहीं, लाइव न्यूज इंडिया के पत्रकार धमेंद्र सिंह को भी दिल्ली पुलिस ने शनिवार को उठाया था। देर रात तक उनका भी पता नहीं चल पाया था। खबरों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने आज सुबह करीब 5 बजे उन्हें छोड़ दिया लेकिन हिदायत दी है कि भविष्य में वे ऐसा नहीं करेंगे।
धर्मेंद्र सिंह से एक अंडरटेकिंग ली गई है कि वो पुलिस के साथ भविष्य में अभद्रता नहीं करेंगे।
गिरफ़्तारी का विरोध
पत्रकारों को उठाए जाने के बाबत अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ‘कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे)’ ने शनिवार की देर रात अलर्ट जारी किया। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल, ओम थानवी समेत संयुक्त किसान मोर्चा ने जल्द से जल्द पत्रकार मंदीप पुनिया को रिहा करने की मांग दिल्ली पुलिस से की है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने मनदीप की गिरफ्तारी पर औपचारिक बयान जारी करते हुए रिहा करने की माँग की है। मोर्चा ने अपनी नियमित बुलेटिन में लिखा है, “पुलिस अमानवीय ढंग से प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों को धरना स्थलों से गिरफ्तार कर रही है। हम सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की तत्काल रिहाई की माँग करते हैं। हम उन पत्रकारों पर पुलिस के हमलों की भी निंदा करते हैं जो लगातार किसानों के विरोध को कवर कर रहे हैं।