जन-विरोधी 3 कृषि क़ानूनों व 4 लेबर कोड की प्रतियों का दहन

देशभर में मज़दूर-किसान एकता की आवाज़ हुई बुलंद

13 जनवरी। गुड़गांव मानेसर में पचास हजार से ज्यादा मज़दूरों ने सरकार की मज़दूर, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ काले बिल्ले लगाकर विरोध किया। वहीं हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन जगहों पर लोहडी की आग में जनविरोधी 3 कृषि क़ानूनों व 4 लेबर कोड की प्रतियाँ जलाई गईं।

उधर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भी लोहड़ी के मौके पर प्रदर्शनस्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई। इन्हीं किसानों के आह्वान और समर्थन में देश के अन्य हिस्सों में भी लोग कानूनों की प्रतियों को जला रहे हैं।

Kisan morcha

किसान संगठनों ने मंगलवार को कहा था कि वे उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे और आरोप लगाया कि यह ‘‘सरकार समर्थक’’ समिति है। किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

पंजाब में भी कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाई गई। लोहड़ी पंजाब का प्रमुख त्योहार है।

काले कानूनों के दहन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि किसान आंदोलन ने देश की जनता के सामने स्पष्ट कर दिया कि किस तरीके से मोदी सरकार व कॉरपोरेट पूँजी का गठजोड़ कायम है। यह और साफ़ हुआ कि सुप्रीम कोर्ट भी मोदी सरकार और कॉरपोरेट पूँजी के हित में ही समाधान देती है।

वक्ताओं ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तरह मज़दूरों को भी देशव्यापी आंदोलन करने की जरूरत है तभी मज़दूरों के खिलाफ लाए गए चार श्रम संहिताओं को वापस कराया जा सकता है।

इस दौरान आन्दोलनकारी किसानों की तरफ से 13 व 14 जनवरी को तिलकुट बाँटने के लंगर के कार्यक्रम चलाये जायेंगे। 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर किसानों के समर्थन में कार्यक्रम किए जाएंगे और 26 जनवरी को दिल्ली में होने जा रहे बड़े किसान आंदोलन के समर्थन में देशभर के किसान समर्थन में विरोध प्रदर्शन करेंगे।

देश के विभिन्न हिस्सों में मज़दूरों के प्रदर्शन की झलक

गुड़गांव

गुड़गांव-मानेसर के औद्योगिक मज़दूरों ने सरकार की मज़दूर, किसान विरोधियों नीतियों के विरुद्ध सुबह से ही काले बिल्ले लगाकर विरोध किया। इसमें कंपनियों के सभी श्रेणी के मज़दूर, सफाई कर्मचारियों ने सक्रिय भाग लिया।

काले बिल्ले लगाने वालो में प्रमुख रूप से मुंजाल शोवा, बेलेसोनिका, मारुति सुजुकी पॉवर ट्रेन, मारुति सुजुकी मानेसर, मारुति सुजुकी गुड़गांव, परफेटी, Caparo, Qh टालब्रोस, रीको ऑटो धारुहेड़ा, UN प्रोडक्ट्स, सत्यम ऑटो, सनोह इंडिया, FMI, हेमा, एमके ऑटो, लुमेक्स, हीरो मोटो, नापिनो ऑटो, ऑटोफ़िट, सुब्रोस आदि सैकड़ो कम्पनियों के मज़दूर शामिल हुए। 

ट्रेड यूनियन कौंसिल के सभी संगठन, व मारुति सुज़ुकी मज़दूर संघ इस कार्य के साथ, संयुक्त किसान मोर्चा के गुड़गांव के धरने में भी शामिल हुए। राजीव चौक के पास हजारों मज़दूर इकट्ठे होकर सरकार के बनाये गये काले कानूनो की प्रतियो को जलाया और बढ़ते मज़दूर किसान आंदोलन की हुंकार भरी। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस मजदूरों किसानो का हो, इसके लिए भी यह आंदोलन और तेज होगी।

प्रदर्शन में मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के घटक संगठन मज़दूर सहयोग केंद्र व इंक़लाबी मज़दूर केंद्र के अलावा भारतीय किसान यूनियन BKU डोकोंडा पंजाब के साथी भी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड

रुद्रपुर। कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत किसानों के आह्वान पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के बैनर तले सिडकुल की तमाम यूनियनों एवं मज़दूर संगठनों द्वारा स्थानीय अंबेडकर पार्क में लोहड़ी के अवसर पर जनविरोधी तीन कृषि कानूनों एवं चार श्रम कानूनों की प्रतियां जलाकर कृषि विरोधी कानूनों एंव श्रम कानूनों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए किसान आन्दोलन का समर्थन किया। इस अवसर पर एक सभा भी की गई। जबकि ऑटो लाइन एम्प्लाइज यूनियन ने काला फीता बांधकर काम किया।

प्रदर्शन में श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा), मज़दूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, तराई किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान महासभा, एक्टू, इंटरार्क मज़दूर संगठन पंतनगर, भगवती (माइक्रोमैक्स) इम्प्लाइज यूनियन, ऑटो लाइन इंप्लाइज यूनियन, नेस्ले कर्मचारी संगठन, आटोटैक इंजीनियरिंग एंड सप्लायर, गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन सितारगंज, यजाकि वर्कर्स यूनियन, राने मद्रास इम्पलाइज यूनियन, एलजीबी वर्कर्स यूनियन, शिरडी श्रमिक संगठन, रॉकेट रिद्वी सिद्वी कर्मचारी, महिंद्रा कर्मकार यूनियन आदि ने भागीदारी की।

रामनगर में भवानीगंज चौराहे पर इंकलाबी मौजूद केंद्र के बैनर तले कृषि कानूनों एवं श्रम संहिताओं के कानूनों की प्रतियां फूंकी की गई। इसमें प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन व प्रगतिशील भोजन माता संगठन के कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

हरिद्वार में सिडकुल के नजदीक चिन्मय डिग्री कॉलेजके पास काले कृषि कानूनों के खिलाफ एवं मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों एवं श्रम संहिताओं की प्रतियां आग में दहन की गई।

संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा हरिद्वार उत्तराखंड (घटक संगठन – फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी ,देवभूमि श्रमिक संगठन हिंदुस्तान युनिलीवर, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन बीएचईएल, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, कर्मचारी संघ सत्यम ऑटो कॉम्पोनेंट्स हरिद्वार एवं यू एम ऑटो का़ंम्प मजदूर यूनियन, एवरेस्ट इंडस्ट्रीज मजदूर यूनियन लकेश्वरी भगवानपुर) ने आह्वान किया था।

हरियाणा

कुरुक्षेत्र। जन संघर्ष मंच हरियाणा (घटक मासा) के कार्यकर्ताओं ने मंच के जिला प्रधान का. संसार चंद्र के नेतृत्व में स्थानीय पुराना बस अड्डा पर जन विरोधी कृषि कानूनों और मज़दूर विरोधी श्रम कोडों की प्रतियों का दहन किया गया व प्रदर्शन किया मोदी सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगाये गये।

प्रदर्शनकारियों को जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी, जिला सचिव चंद्र रेखा,सुरेश कुमार, डा. लहना सिंह मनरेगा मजदूर यूनियन के जिला प्रधान नरेश कुमार, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के कैशियर सुनहरा,उषा कुमारी, जोगिंदर सिंह, कुलदीप आदि ने संबोधित किया।

गोहाना। जन संघर्ष मंच हरियाणा (घटक-मासा), मेहनतकश किसान मज़दूर संगठन व समतामूलक महिला संगठन के नेतृत्व में गोहाना के दीनबंधु छोटू राम चौक पर काले कानूनों को जलाया गया।

पश्चिम बंगाल

कोलकाता के धरमताल्ल में SWCC (घटक-मासा) सहित विभिन्न संगठन प्रदर्शन करते हुए-

बिहार

रोहतास। ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार द्वारा रोहतास जिला मुख्यालय गेट पर मज़दूर विरोधी चारों श्रम कानूनों और तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाते हुए।

उत्तरप्रदेश

संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने आज पूरे प्रदेश में किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों की प्रतियों को जलाया और सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की पुरजोर मांग की।

News on burning of Anti farmer Acts in UP by Mazdoor kisan manch

लखीमपुर खीरी, सीतापुर, लखनऊ, वाराणसी, सोनभद्र, आगरा, चंदौली, इलाहाबाद, मऊ, बलिया, बस्ती आदि में एआईपीएफ, मजदूर किसान मंच, युवा मंच, वर्कर्स फ्रंट, बुनकर वाहनी के नेतृत्व में कार्यक्रम हुए और काले कानूनों की प्रतियाँ फूंकी गईं।

विभिन्न प्रदर्शन के माध्यम से माँग-

  1. किसान मजदूर आमजन विरोधी तीनों काले कृषि कानून, प्रस्तावित बिजली (संशोधन) कानून तथा प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर किसानों को दंडित करने वाला अध्यादेश तुरंत रद्द किया जाए।
  2. सभी कृषि उत्पादों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाए।
  3. मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताएं रद्द की जाएं।
  4. लक्षित जन वितरण प्रणाली को सार्विक किया जाए तथा जीवन उपयोगी सभी आवश्यक वस्तुओं का थोक व खुदरा व्यापार सरकार अपने हाथ में ले।
  5. काले कृषि कानूनों के खिलाफ जारी मेहनतकश किसानों, खेत मजदूरों के महान संघर्ष का पुरजोर साथ दो!

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