अब लंबी लड़ाई के मूड में किसान

पंजाब से रोजाना 2 हजार किसान पहुंच रहे दिल्ली बॉर्डर

तीन कृषि कानूनों को लेकर आठवें दौर की बातचीत विफल होने के बाद अब किसानों ने लंबी लड़ाई की तैयारी कर ली है। इसके तहत अब किसानों से अपने परिवारों के साथ राशन लेकर दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने का आह्वान किया गया है। धरना स्थलों पर किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए पंजाब समेत हरियाणा से रोजाना पांच हजार किसानों को पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। 

फिलहाल पंजाब से दो हजार किसान रोजाना दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं, इनकी संख्या पांच हजार रोजाना करने की तैयारी की है। इसके लिए पंजाब के किसान नेताओं की ड्यूटी लगा दी गई है। इसके अलावा, धरना स्थलों पर हरियाणा के किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए गांवों में नए सिरे से भाकियू समेत अन्य संगठनों ने प्रचार शुरू कर दिया है। आठ जनवरी से पहले किसान सभी बार्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या दोगुनी करने की तैयारी में है।

भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि आंदोलन को और मजबूती देने के लिए पंजाब-हरियाणा के अलावा पूरे देश में प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। वह खुद जम्मू जाएंगे और इसके बाद अन्य प्रदेशों में जाकर आंदोलन को लेकर किसानों को न केवल जागरूक किया जाएगा, बल्कि दिल्ली आने के लिए आह्वान किया जाएगा। इसके बाद अन्य प्रदेशों में जाकर भी किसानों को स्थिति से अवगत कराया जाएगा, ताकि आंदोलन पूरे देश में चले।

भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान का कहना है कि सरकार किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। 8 जनवरी की बातचीत से पहले गांवों में प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। गांव के गांव आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। अगर 8 जनवरी को भी बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकला तो आंदोलन को लेकर नए तरीके से रणनीति बनाई जाएगी।

आजाद किसान कमेटी दोआबा के अध्यक्ष और संयुक्त मोर्चा के सदस्य हरपाल सिंह सांघा ने बताया कि हमारे पास किसी भी तरह से राशन की कमी नहीं है। सरकार को आंदोलन खत्म करने की जल्दी है, हमें नहीं। किसान गेहूं की कटाई तक धरने पर बैठने को तैयार हैं।

भारतीय किसान मजदूर नौजवान यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र आर्य का कहना है कि संगठन के सदस्य गांवों में पंचायती राज के दावेदारों से समर्थन मांग रहे हैं और इसके लिए ग्रामीणों को भी जागरूक कर रहे हैं। आर्य का दावा है कि रणनीति के तहत दावेदार न केवल किसान आंदोलन में आर्थिक मदद कर रहे हैं, बल्कि अपने समर्थकों को भी धरनास्थलों पर भेज रहे हैं। जो दावेदार किसानों की मदद करेगा, संगठन उसी के समर्थन में वोट के लिए अपील करेगा। 

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