उत्तराखंड में नए साल से इलाज होगा और ज्यादा महँगा

देश मे सबसे महँगा है उत्तराखंड में इलाज कराना

एक तरफ पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को निशुल्क करने की माँग लगातार मुखर होती रही है, वहीं दूसरी तरफ आम जनता के लिए इलाज कराना भी अब पूरी तरीके से मुश्किल होता जा रहा है। उत्तराखंड में नए साल का आगाज होते ही इलाज कराना और भी ज्यादा महँगा हो जाएगा। इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है।

ज्ञात हो कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सरकारी अस्पतालों में सरकारी इलाज लगातार महँगा होता गया। हालात ये हैं कि वर्ष 2010 से यूजर चार्ज के नाम पर सरकारी चिकित्सा शुल्कों में प्रतिवर्ष 10% बढ़ाने का जनविरोधी फरमाना लागू है। चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो चाहे भाजपा की सरकार, इस मामले में सभी एकमत से प्रतिवर्ष शुल्क बढ़ाते रहे हैं।

1 जनवरी, 2020 से मरीजों को बढ़ा हुआ जो नया चार्ज देना पड़ेगा वह पूरे देश में सबसे महंगा है। सरकारी अस्पतालों में ओपीडी का पर्चा जो अभी ₹25 में बनता है वह अब ₹28 में बनेगा। अल्ट्रासाउंड जो अभी ₹518 में होता है वह 570 हो जाएगा। एक्सरे के चार्ज ₹258 की जगह ₹284 लगेंगे। प्लास्टर कराने का चार्ज होगा ₹858 और ईसीजी होगा ₹284।

जाहिरा तौर पर इसका सीधा बोझ आम मेहनतकश अवाम पर ही पड़ेगा, क्योंकि सरकारी अस्पताल में आम जनता ही जाती है।

एक तरफ कोविड-19 के प्रकोप से जनता पहले से ही त्रस्त है। सरकारी अस्पताल और भी ज्यादा बदहाल हो चुके हैं। दूसरी तरफ लगातार महँगी होती हुई सरकारी चिकित्सा अब आम जनता के लिए इलाज से भी पूरी तरह वंचित करने का उपक्रम बन गया है।

वास्तव में एक सामान्य और जनपक्षधर सरकार के लिए चिकित्सा और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं निशुल्क होनी चाहिए। लेकिन “रामराज्य” का यह आलम है।

जिस दौर में राजधानी दिल्ली में सरकारी चिकित्सा पूरी तरह से निशुल्क और जन सुलभ है ठीक उसी दौर में उत्तराखंड में सरकारी इलाज लगातार आमजन से दूर होती जा रही है और अस्पतालों के हालात लगातार बदहाल होते जा रहे हैं।

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