महाराष्ट्र किसानों का जत्था पहुँचा शाहजहांपुर बार्डर

राजस्थान-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग हुआ बंद

राजस्थान-हरियाणा सीमा शाहजहांपुर बॉर्डर पर लगातार 14 दिनों से दिल्ली पोस्ट पर किसानों का धरना जारी है। इस बीच 21 दिसंबर को महाराष्ट्र के नासिक से दिल्ली कूच के लिए निकला किसानों का कारवां शाहजहाँपुर बॉर्डर पर 25 दिसंबर को पहुँच गया। यह जत्था कई सौ किलोमीटर की यात्रा और तीन राज्यों महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पार कर यहाँ पहुंचा। जहाँ पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन में वे शामिल हो गए।

महाराष्ट्र के इन किसानों ने साफ किया कि वो इतना लंबा रास्ता तय कर दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार को बताने आए हैं कि यह सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन नहीं है बल्कि यह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश के किसानों का आंदोलन है।

उल्लेखनीय है कि विगत एक महीना से हजारों किसान दिल्ली – सिंघु, टिकरी, गाजीपुर और चिल्ला के प्रवेश-निकास बिंदुओं पर घेरा डेरा डाले हुए हैं। इसके साथ ही शाहजहांपुर बार्डर पर भी किसानों का भारी जमावड़ा है।

सीएम कर सकते हैं रैली तो किसान क्यों नहीं

इस बीच शाहजहांपुर बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने शुक्रवार को दोपहर करीब दो बजे जयपुर पोस्ट से दिल्ली कूच का प्रयास किया, लेकिन हरियाणा पुलिस-प्रशासन ने करीब 12 सौ से अधिक पुलिस एवं पैरा मिलिट्री के जवानों की मदद से लोहे व सीमेंट के बैरिकेट लगाकर जयपुर पोस्ट को भी जाम कर दिया।

इस दौरान हरियाणा पुलिस-प्रशासन ने आंदोलन के संगठनों के प्रमुख कामरेड अमराराम, जाट महासभा के राजाराम मील, मिहिर आर्मी के हिम्मत सिंह गुर्जर, भारतीय किसान मजदूर समिति के रणजीत सिंह राजू से वार्ता कर रेवाड़ी जिले में धारा 144 लगाने की दुहाई देते हुए दिल्ली कूच त्यागने एवं दिल्ली पोस्ट पर ही आंदोलन रखने की बात कही।

लेकिन संयुक्त किसान मोर्चे के तत्वावधान में मौजूद सभी संगठनों ने एक स्वर में कहा की जब मुख्यमंत्री खट्टर धारा 144 में रैली कर सकता है तो किसान दिल्ली कूच क्यों नहीं कर सकता। 

महाराष्ट्र के किसानों के भी शामिल होने के बाद किसानों की बढ़ती संख्या ने दिल्ली को जयपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 को पूर्ण रूप से बंद कर दिया।

इस बीच, किसानों के राष्ट्रीय राजधानी की तरफ कूच करने की आशंका में हरियाणा पुलिस ने कई जगहों पर बैरिकेडिंग की हुई थी। जिसके कारण राजमार्ग पर दिन भर गाड़ियों की रफ़्तार थमी रही। शाम तक, ट्रैफिक जाम से बचने के लिए हरियाणा के नजदीकी बावल शहर से पुलिस ने एक डाइवर्जन बनाया लेकिन वो भी नाकाफी लग रहा था।

किसानों को रोकने के लिए शिपिंग कंटेनरों, बड़े-बड़े पत्थरों की बैरिकेडिंग, दंगा नियंत्रण वाहन और वाटर कैनन के साथ आरएएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ की कई कंपनियों को विरोध स्थल पर तैनात किया गया था।

महाराष्ट्र के किसानों ने कहा- वे ऐतिहासिक आन्दोलन का हिस्सा बन गए

विरोध स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए, अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा: “केंद्र एक बात को दोहरा रही है कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध केवल कुछ राज्यों तक ही सीमित है। उन्हें यहां आना होगा और देखना होगा … देश के कोने-कोने से आए किसान इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं। अब यह अंदोलन केवल किसानों का नहीं बल्कि देश का आंदोलन बन गया है।”

महाराष्ट्र से आए कुछ किसानों ने कहा कि किसान लॉन्ग मार्च 2018 की याद आ गई,जिसमें लगभग 50 हज़ार किसानों ने नासिक से मुंबई के लिए ऐतिहासिक पैदल मार्च किया था। नासिक के 55 वर्षीय भिकाजी ने कहा, ” हम तब भी दृढ़ थे, हम अब भी पीछे नहीं हटेंगे।”

एआईकेएस-महाराष्ट्र के राज्य सचिव डॉ. अजीत नवले अपने साथ बड़ी संख्या में किसानों के लिए दवाई का स्टॉक लेकर आए हैं।

नासिक जिले की 55 वर्षीय महिला किसान मीरा बाई पवार ने कहा कि 2018 में दिए गए आश्वासनों के बावजूद, उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। मीरा एक आदिवासी किसान हैं, वे जंगल की ज़मीन पर खेती करती हैं। उन्होंने कहा कि हालत बुरे हैं और उनका 20 वर्षीय बेटा जिंदगी चलने के लिए दैनिक मजदूरी का काम करने के लिए मजबूर है।

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे