हिंदुत्ववादी नेता ने किसान आंदोलन में दंगा कराने की दी धमकी

कहा जाफराबाद दोहराएंगे, मुकदमा दर्ज

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एक स्वयंभू हिंदुत्ववादी नेता रागिनी तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. तिवारी ने एक वीडियो में खुलेआम हिंसा से किसान आंदोलन को खत्म करवाने की धमकी दी थी.

एक वीडियो में तिवारी ने कहा, ‘मैं अपनी सभी बहनों से कहती हूं कि 17 (दिसंबर) के लिए तैयार हो जाएं. अगर सरकार हमें दिल्ली में किसान आंदोलन से मुक्त नहीं कराएगी तो रागिनी तिवारी एक बार फिर जाफराबाद को अंजाम देगी और जो भी होगा उसके लिए केंद्र, राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस जिम्मेदार होगी.’

मालूम हो कि नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान इस साल 22 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे, जिससे एक दिन पहले भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने पुलिस की मौजूदगी में अपने समर्थकों से कहा था कि अगर पुलिस सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को आंदोलन वापस लेने के लिए मजबूर नहीं करेगी तो वह और उनके समर्थक ऐसा करेंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रागिनी तिवारी उर्फ जानकी बहन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से भड़काऊ बयान देना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.पुलिस आने वाले दिनों में तिवारी को तलब करेगी जो कि फिलहाल शहर से बाहर हैं और उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे में उनकी भूमिका की जांच करने की भी तैयारी कर रही है.

रिपोर्ट में कहा गया कि तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस द्वारा कानूनी राय मांगी गई थी. वीडियो सामने आने के बाद पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पूर्वी) ने उनके खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया और ट्विटर पर इसकी पुष्टि की.कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इशारा किया था कि तिवारी का वीडियो इस बात की स्वीकार्यता है कि दिल्ली दंगे को दक्षिणपंथियों द्वारा अंजाम दिया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, दो महीने पहले दिल्ली के गृह विभाग ने दिल्ली पुलिस के साथ एक वीडियो क्लिप शेयर किया था, जिसमें कथित तौर पर तिवारी दिखाई दे रही थीं. दंगों के दौरान एक फेसबुक लाइव में वह भड़काऊ भाषण दे रही थीं और कथित तौर पर वह 23 फरवरी को मौजपुर में पुलिस के सामने दंगाइयों के साथ पत्थरबाजी में भी शामिल थीं.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सिटिजंस और लॉयर्स इनिशिएटिव द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली दंगे से पहले हिंसा का एक माहौल तैयार किया गया था. नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने के बाद सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारी सड़कों पर आए थे और इसके बाद से ही हेट स्पीच में बढ़ोतरी हुई थी.

उस रिसर्च रिपोर्ट में जाफराबाद में दिए गए कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण और फेसबुक लाइव में दिए गए रागिनी तिवारी के भड़काऊ भाषण का भी उल्लेख किया गया था और कहा गया था कि उनके दिखाई देने का प्रभाव पड़ा और सोशल मीडिया पर अफवाहों और गलत सूचनाओं की भरमार लग गई.

हालांकि, यह आश्चर्य की बात है कि तिवारी के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने और हिंसा का माहौल बनाने के लिए पुलिस को उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने में इतना समय लगा, जबकि कपिल मिश्रा अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं.

द वायर से साभार

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