होंडा ने बंद किया ग्रेटर नोएडा स्थित कार प्लांट।
होंडा ने ग्रेटर नोएडा स्थित अपना कार प्लांट बंद कर दिया है। दिसंबर महीने में प्लांट में कोई उत्पादन नहीं हुआ है। होंडा कार इंडिया लिमिटेड(HCIL) के ग्रेटर नोएडा कार प्लांट का सारा उत्पादन राजस्थान टप्पुकड़ा प्लांट में शिफ्ट कर दिया गया है।
ग्रेटर नोएडा में कासना में स्थित होंडा कार प्लांट भारत में होंडा कंपनी की पहली यूनिट है। यहां होंडा सिटी, होंडा सीआरवी और होंडा सिविक का उत्पादन होता था। यह श्रीराम ग्रुप और सीयल के संयूक्त उपक्रम के रूप में शुरू हुई थी। मौजूदा समय में ग्रेटर नोएडा प्लांट में उत्पादन की सालाना क्षमता 1.2 लाख यूनिट्स है। हालांकि पिछले साल नवंबर महीने में मंदी के चलते उत्पादन 2,500 यूनिट्स प्रति महीना हो गया है, इस प्रकार सालाना उत्पादन 30,000 यूनिट्स रह गया था।
होंडा सियल में जब उत्पादन शुरू हुआ था तब भी सालाना 30000 कारें बनती थी जिसे बढ़ाकर 180000 यूनिट्स तक किया गया। कासना स्थित कार प्लांट में उत्पादन में 2000 परमानेंट वर्कर हैं।
होंडा के ग्रेटर नोएडा प्लांट के लिए 28 जनवरी से वीआरएस लागू हो जाएगा। करीब 1000 मज़दूरों को जबरदस्ती वीआरएस दिया गया। वीआरएस नहीं लेने पर मज़दूरों को टप्पुकड़ा प्लांट ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
इस बीच मज़दूरों ने होंडा प्रबंधन पर आरोप लगाया की इस साल प्लांट में दो बार छंटनी हो चुकी है। प्रबंधन ने कॉविड 19 के नाम पर प्लांट में वीआरएस स्कीम लागू किया और करीब 900 लोगों को काम के लिए अनफिट बताते हुए जबरदस्ती वीआरएस देकर काम से निकाल दिया। अभी 700 और कर्मचारियों को अनफिट किया गया है और उनपर वीआरएस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
प्लांट के श्रमिकों ने उत्पादन बंद करने और वीआरएस लागू करने के ख़िलाफ़ लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए। श्रमिक प्रबंधन और यूनियन पर मिलीभगत का आरोप भी लगा रहे हैं। आर्थिक मंदी और कॉस्ट कटिंग के नाम पर पूंजीपति अपने संकट का बोझ मजदूरों पर डाल रहे हैं। प्रबंधन ने कहा कि हम अपने कर्मचारियों को वीआरएस दे रहे हैं ताकि वो जिंदगी में इससे बेहतर अवसर ढूंढ सकें और बेहतर जीवन जी सकें। मौजूदा स्थिति में रोजगार की जो स्थिति है उसे देखते हुए ये शब्द क्रूर मजाक है।