किसानों ने किया उपवास, समर्थन में देशभर में प्रदर्शन
किसान आन्दोलन बढ़ रह है जनांदोलन की ओर
तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में आज पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार देश भर में किसानों ने धरना दिया। पूरे देश मेंकई लाख किसानों ने सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल की। उनके समर्थन में देश भर में धरना और प्रदर्शन हुआ। अंदोलन के दौरान शहीद हुए 20 से ज्यादा किसानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पंजाब, हरियाणा और कई अन्य राज्यों में जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन और किसानों ने भूख हड़ताल की। इस दौरान शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे तमाम किसानों और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
आन्दोलन के समर्थन में किसानों के साथ मज़दूर-कर्मचारी, शिक्षक, वकील, छात्र-नौजवान, महिलाओं से लेकर सभी जनपक्षधर शक्तियां एकजुट दिखीं।
अंदोलन के दौरान 26 नवंबर से अब तक दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर शहीद हुए 20 से ज्यादा किसानों को दिल्ली बार्डर के मुख्य मंच से दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई।
दिल्ली के शहीदी पार्क में विभिन्न प्रगतिशील संगठनों द्वारा देश भर में किसानों के चल रहे आंदोलन के समर्थन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हज़ारों की संख्या में नागरिकों ने भाग लिया और अपना समर्थन दिया।
उत्तर प्रदेश में आज किसान आंदोलन का अच्छा ख़ासा प्रभाव देखने को मिला। शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे तमाम किसानों और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शनों में कहा गया कि किसानों के बढ़ रहे राष्ट्रव्यापी आक्रोश से संघ और भाजपा की सरकार डर गई है। यहीं कारण है कि उसके आला नेता और मंत्री अम्बानी-अडाणी की रक्षा के लिए आज से रैली कर रहे हैं।
बिहार में जिलाधिकारी कार्यालयों पर किसानों का प्रदर्शन व धरना का आयोजन किया गया। राजधानी पटना सहित जहानाबाद, अरवल, आरा, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ, नवादा, पूर्णिया, गया, कटिहार, सिवान, गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी, हाजीपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, भागलपुर, सासाराम, भभुआ आदि जिला केंद्रों पर किसान संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया और 6 सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
उत्तराखंड में उधमसिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून, अल्मोड़ा, नैनीताल आदि में प्रदर्शन हुए। यूद्रपुर में किसानों का ज्ञापन लेने जिलाधिकारी के ना आने पर नाराज किसानों ने प्रधानमंत्री को भेजे जाने वाले ज्ञापन को फाड़कर मौजूद अधिकारियों को सौंपा।
छत्तीसगढ़। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन समिति के आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ सहित प्रदेश के कई किसान संगठनों ने आज किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर जगह-जगह धरना- प्रदर्शन किया और मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले जलाए।
स्वराज अभियान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और अन्य राज्यों से हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं और इससे दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कल से ही राजस्थान और हरियाणा के आंदोलनकारी किसानों ने शाहजहांपुर के पास, जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया हुआ है, जहां इन दो राज्यों की सीमा लगती है।
आज किसान विरोधी तीनों कानून की वापसी, एमएसपी पर कानून और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने की माँग जनता की माँग बन गई है। इसलिए सरकार को किसानों को बदनाम करने, उनके खिलाफ दुष्प्रचार चलाने और उनका दमन करने की जगह इन मांगों को पूरा करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार सुशिल मानव लिखते हैं कि एक तरफ किसान आंदोलन जहां जमीन पकड़ता हुआ दिख रहा है और उसके भूगोल में लगातार विस्तार हो रहा है वहीं उसको तोड़ने के लिए साजिशों का दौर भी शुरू हो गया है। सरकार की हरचंद कोशिश है कि तीन-तिकड़मों के जरिये किसानों के बीच मतभेद पैदा कर दिया जाए। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी सरकार अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पा रही है।