रॉकेट के मज़दूरों ने लौटाई बोनस की रकम, कहा हुआ धोखा
यूनियन ने एएलसी से प्रबन्धन पर कार्यवाही की माँग की
पंतनगर (उत्तराखंड)। रॉकेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में औद्योगिक विवाद के दौरान मनमाने तरीके से महज ₹9000 के बोनस के भुगतान पर आपत्ति के साथ समस्त श्रमिकों ने चैक/विड्रॉल फार्म द्वारा दी गई राशि वापस कर दी है। यूनियन ने प्रबन्धन पर श्रम क़ानूनी प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ के महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि यूनियन के माँग पत्र दिनांक 05 मार्च 2020 पर प्रबन्धन की हठधर्मिता के कारण 9 माह से विवाद कायम है और सहायक श्रमायुक्त, ऊधम सिंह नगर की मध्यस्थता में संराधन/आईआर कार्यवाही जारी है।
उन्होंने कहा कि बोनस का मुद्दा माँगपत्र का हिस्सा है, जिसपर कोई सहमति नहीं बनी है और यह विवादित है। यह बम्पर मुनाफे वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी है इसलिए यूनियन ने 20 फीसदी बोनस देने की माँग की है।
इसके बावजूद प्रबन्धन ने समस्त श्रमिकों के बैंक खाते में बोनस की बेहद कम राशि मनमाने रूप से डाल दी है, जिसपर यूनियन ने अपने पत्रों द्वारा पिछले माह ही घोर आपत्ति जताई थी। लेकिन प्रबन्धन का अड़ियल रुख बना रहा।
यूनियन अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि प्रबन्धन ने संराधन वार्ता के दौरान विवादित मुद्दे को लागू किया है जो कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 (उपन्तरित उत्तराखंड) की धारा 6-ई व सपठित नियमावली 1957 के नियम-4 का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि प्रबन्धन द्वारा श्रम कानूनों के उल्लंघन व मनमानेपन के चलते यूनियन के निर्णय के तहत सभी श्रमिकों ने प्रबन्धन द्वारा भेजी गई ₹9000 बोनस की राशि को चेक/विड्रॉल फॉर्म द्वारा वापस कर दिया है।
धीरज खाती ने बताया कि कंपनी में 217 स्थाई श्रमिक/यूनियन सदस्य हैं। जिनको प्राप्त बोनस की राशि ₹1,95,300 है।
यूनियन ने बोनस की राशि वापस करने के साथ एएलसी से प्रबन्धन पर श्रम क़ानूनी प्रावधानों के तहत कार्यवाही करने की माँग भी की है।
धीरज जोशी ने कहा कि अभी हमारा सत्याग्रह आंदोलन चल रहा है। उन्होंने कहा कि बोनस सहित पूरे माँगपत्र का सर्वसहमति से हल नहीं निकला तो आंदोलन तेज होगा।