संघर्ष के जज़्बे के साथ मौत के आगोश में समाते किसान

किसान आंदोलन : अबतक दर्जनों किसान गंवा चुके हैं जान

टेकड़ी बॉर्डर पर एक और किसान मेवा खोटे ने दम तोड़ दिया। इससे पूर्व 8 दिसंबर को किसानों के भारत बंद के दौरान कम से कम चार और लोगों की मौत की ख़बर आई थी। कॉरपोरेटपरस्त कृषि बिलों के ख़िलाफ़ 26 नवम्बर से चल रहे आंदोलन के दौरान जीत के हौसले के साथ दर्जनों किसान अकाल मौत के आगोश में समा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ भयावह होती ठंड के बीच बीते 15 दिनों से किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पूरी जीवटता के साथ डटे हुए हैं। सरकारी तिकडमों से जूझते, वार्ताओं की नौटंकियों से भ्रमित ना होते, भाजपाई कुत्साप्रचारों पर पानी फेरते, अडिग विश्वास से लबरेज़ सत्ता तंत्र के लिए वे चुनौती बने हुए हैं।

इसी के बीच कई किसान मौत को भी प्यारे हो रहे हैं। लेकिन निरंकुश सत्ताधारी भाजपा की हठधर्मिता कायम है तथा उसकी अमानवीयता और भी उजागर हो रही है।

आइए, संघर्ष में जान न्योछावर कर चुके किसानों को जानें-

पिछले 2 दिनों में 5 किसानों की मौत

★ टेकड़ी बॉर्डर पर एक और किसान 35 साल के मेवा खोटे जी ने दम तोड़ दिया। वे पंजाबी में गाने भी लिखते थे। सुबह मेवा खोटे जी का नारा था “हम जीतेंगे और हम घर लौटेंगे, हम मरेंगे तो भी घर लौटेंगे”। अफसोस मेवा खोटे जी ने 9 दिसम्बर को अपनी जान गंवा दी।

★ सिंघू बार्डर पर धरने पर बैठे 32 वर्षीय किसान अजय मोर की ठंड लगने से मौत हो गई। 7 दिसम्बर की रात खाना खाकर सोए अजय का शव ट्रैक्टर ट्रॉली से मिला। अजय मोर सोनीपत के गोहना के रहने वाले थे। वह 10 दिन से अपने गांव वालों के साथ सिंघू बार्डर पर धरने पर बैठे थे।

★ 7 दिसंबर को 70 साल की बीबी गुरमैल कौर की मौत कालाझोर टोल प्लाज़ा के पास हो गई। पंजाब के संगरूर से ताल्लुक रखने वाली कौर खुद आंदोलन में शामिल थीं और धरने में शामिल किसानों के लिए रोजाना रोटियां भी बना रही थीं।

★ हरियाणा के जींद में धरने पर बैठे किसान किताब सिंह की मौत हो गई। गांव उझाना निवासी 60 वर्षीय किताब सिंह 7 दिसंबर को भी सुबह गांव के निकट गढ़ी मार्ग पर धरने की अगुवाई कर रहे थे। दोपहर को वे बेसुध होकर गिर गए। साथी किसान उनको नरवाना अस्पताल ले गए, जहाँ चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

★ दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर पंजाब के 49 वर्षीय किसान मेवा सिंह की भी 7 दिसंबर को मृत्यु हो गई। मृतक किसान पंजाब के मोगा जिले के रहने वाले थे।

आंदोलन के दौरान दर्जनभर और किसानों की हो चुकी है मौत

उल्लेखनीय है कि ‘दिल्ली चलो’ किसान आंदोलन के दौरान अबतक दर्जनभर से ज़्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। उपरोक्त घटनाओं से पूर्व वर्तमान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से कम से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है।

★ 26 नवम्बर को 60 साल के गुरजंत सिंह की मौत बहादुरगढ़ बार्डर पर हुई थी। वे 2 माह से आंदोलन के सक्रिय हिस्सा थे।

★ 27 नवम्बर को पंजाब के मानसा जिले के रहने वाले 45 वर्षीय किसान धन्ना सिंह की मौत हुई थी। हरियाणा के भिवानी में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई।

★ 29 नवंबर की रात को लुधियाना के 55 वर्षीय किसान गज्जन सिंह की बहादुरगढ़ के पास दिल्ली बॉर्डर पर मौत हो गई।

★ 29 नवंबर को ही एक गाड़ी में आग लगने के चलते 55 वर्षीय मैकेनिक जनक राज अग्रवाल की मौत हो गई। अग्रवाल इसी गाड़ी में आराम कर रहे थे। पंजाब के बरनाला जिले के धनौला में मैकेनिक का काम करने वाले जनक ट्रैक्टर ठीक करने वाले तीन अन्य लोगों के साथ आंदोलन में शामिल किसानों के ट्रैक्टर और ट्रकों को रिपेयर करने के लिए टिकरी बॉर्डर आए थे।

★ एक दिसंबर की देर रात 32 वर्षीय बलजिंदर सिंह की कुरुक्षेत्र में हुई सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। वह दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन स्थल से वापस लौट रहे थे। बलजिंदर लुधियाना के झम्मत गांव के रहने वाले थे।

★ दो नवंबर की सुबह पंजाब के मानसा जिले के 60 वर्षीय गुरजंत सिंह की मौत भी टिकरी बॉर्डर पर हो गई थी। वह मानसा जिले के बछोअना गांव के रहने वाले थे।

★ तीन दिसंबर को टिकरी बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल एक किसान लखवीर सिंह की मौत कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी। वे बठिंडा के रहने वाले के थे। बीते 28 नवंबर को वे दिल्ली आए थे और टिकरी बॉर्डर पर लंगर सेवा में ड्यूटी कर रहे थे।

दिल्ली की सरहदों पर 26 नवम्बर से जारी है आंदोलन

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और अन्य क्षेत्रों के हजारों किसान पिछले 16 दिनों (26 नवंबर) से दिल्ली की सीमा के पास धरना दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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