किसानों का दमखम : गृह मंत्री ने दिया वार्ता का प्रस्ताव
दमन के बीच किसानों ने कहा- दिखावा नहीं, माँगें पूरी करो!
देश के किसानों के विराट प्रदर्शन के बीच बने दबाव में गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं को बात-चीत का प्रस्ताव दिया है। उधर उत्तरप्रदेश में जारी दमन के साथ हरियाणा सरकार ने किसान नेताओं पर हत्या का प्रयास, दंगे करने, सरकारी काम में बाधा पैदा करने और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है। लेकिन किसान तब तक दिल्ली रुकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक उनकी माँगें पूरी न हों।
अमित शाह ने कहा- सरकार बातचीत के लिए तैयार
सरकार के अबतक के सारे तिकड़म किसानों के तेवर के आगे असफल होने के बाद बीते 28 नवम्बर की देर शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ”मैं प्रदर्शनकारी किसानों से अपील करता हूं कि भारत सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है। कृषि मंत्री ने उन्हें 3 दिसंबर को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। किसानों की हर समस्या और माँग पर विचार करने के लिए सरकार तैयार है।”
इसी के साथ एक शर्त थोपते हुए अमित शाह ने कहा कि यदि किसान संगठन 3 दिसंबर से पहले चर्चा करना चाहते हैं, तो अपना विरोध प्रदर्शन निर्दिष्ट स्थान पर स्थानांतरित करे, सरकार अगले दिन बातचीत करेगी।
इसके बाद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से आग्रह किया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री की एक निर्धारित स्थान पर शिफ्ट होने की अपील स्वीकार कर लें।
किसान नेताओं को सशर्त वार्ता मंजूर नहीं
दिल्ली की सिंघू सीमा पर मौजूद भारतीय किसान यूनियन के पंजाब अध्यक्ष जगजीत सिंह ने कहा है कि “अमित शाह ने एक शर्त पर जल्दी मिलने का आह्वान किया है। यह अच्छा नहीं है। उन्हें बिना किसी शर्त के खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए। हम अपनी प्रतिक्रिया तय करने के लिए कल सुबह बैठक करेंगे।”
किसान नेताओं पर हत्या के प्रयास के मुक़दमे
इस बीच हरियाणा पुलिस ने भारतीय किसान संघ (बीकेयू) की प्रदेश इकाई के प्रमुख गुरनाम सिंह चारुणी और अन्य किसानों पर ‘दिल्ली चलो’ मार्च के दौरान हत्या का प्रयास, दंगे करने, सरकारी काम में बाधा पैदा करने और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है।
पराव पुलिस थाने में हेड कॉन्स्टेबल प्रदीप कुमार की शिकायत पर 26 नवंबर को धारा 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा करने), 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने), 186 (लोकसेवकों के सरकारी काम में बाधा पहुंचाना) और 269 (संक्रमण फैलाने जैसे लापरवाही भरे काम कर दूसरों के जीवन को खतरे में डालना) के तहत मामला दर्ज किया।
पुलिस बैरियर तोड़ने व अन्य आरोपों में पंजाब के कुछ किसानों के खिलाफ पानीपत में भी मामला दर्ज किया गया।
हरियाणा के अंबाला में किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान वाटर कैनन को बंद करने वाले युवक नवदीप सिंह के खिलाफ पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है।
उत्तर प्रदेश सीमा पर ट्रक कि बैरिकेटिंग
उत्तर प्रदेश के ग़ाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेडिंग तोड़कर उत्तर प्रदेश के सैंकड़ों किसान दिल्ली की सीमा में घुस गए हैं। पुलिस को उन्हें रोकने के लिए आपतकालीन स्थित में ट्रक की बैरिकेडिंग लगानी पड़ी है। किसान गाजीपुर बॉर्डर पर ही सड़क पर हुक्का पानी लेकर धरना देने बैठ गए हैं।
किसानों के संयुक्त मोर्चे ने उ0प्र0 सरकार द्वारा राज्य के किसानों पर बर्बर दमन की कड़ी निन्दा की है। उत्तराखण्ड के किसान भी बड़ी संख्या में उ0प्र0 में धरनारत हैं क्योंकि उ0प्र0 की पुलिस उन्हें दिल्ली की ओर आगे बढ़ने नहीं दे रही है।
दसियों हजार की संख्या में किसान भाजपा सरकार की पुलिस द्वारा दमन करने व रास्ते में भारी बाधाएं उत्पन्न करने के बावजूद दिल्ली की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं से उनकी रैली 80 किमी दूर तक फैली है।
दिल्ली के बहार घेरने की रणनीत
लम्बी झड़प और संघर्ष के बाद केंद्र सरकार ने विवश होकर किसानों को दिल्ली घुसने की इजाजत तो दे दी, किंतु किसानों ने अब अपनी रणनीति बदलते हुए दिल्ली को बाहर से ही घेरने का मन बनाया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की बैठक के बाद कहा गया है कि किसान दिल्ली हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर ही अपना आन्दोलन जारी रखेंगे और वे फ़िलहाल कहीं नहीं जायेंगे। यही बात भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने भी कही।
दिखावा नहीं समाधान चाहिए
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी), आरकेएमएस, बीकेयू (रजेवाल), बीकेयू (चडूनी) व अन्य किसान संगठनों ने भारत सरकार से अपील की है कि वह किसानों की समस्याओं को सम्बोधित कर उन्हें हल करे और बिना किसी समाधान को प्रस्तुत किए, वार्ता करने का अगंभीर दिखावा न करें।
इस विशाल गोलबंदी के साथ किसान तब तक दिल्ली रुकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक उनकी मांगे पूरी न हों। किसान संगठनों ने कहा कि देश के किसान दिल्ली रूकने के लिए नहीं आए हैं, अपनी मांगें पूरी कराने आए हैं।
किसान संगठनों ने भारत सरकार की कड़ी शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि वह किसानों द्वारा उठाई गई माँग- तीन कृषि कानून व बिजली बिल 2020 को रद्द किये जाने को संबोधित ही नहीं कर रही है। जहाँ सरकार अब भी इन कानूनों के पक्ष में किसानों व उनकी आमदनी में मददगार होने के बयान दे रही है, वहीं देश भर के किसानों की माँग है कि ये कानून रद्द कर दिये जाएं।