कोविड/लॉकडाउन : मज़दूर पलायन की पीड़ादायी कहानी
‘माइग्रेंट वर्कर सोलिडियाराटी नेटवर्क’ की रिपोर्ट का विमोचन
कोविड-19/लॉकडाउन के दौरान एक भयावह मानवीय त्रासदी का मंज़र सामने आया था। घर वापसी की तमन्ना लेकर भूखे-प्यासे, ट्रेनों से कटते, दमन सहते, मरते-जीते, रास्ते में बच्चों को जन्म देकर आगे बढ़ते प्रवासी मज़दूरों के साथ क्या कुछ नहीं घटा! …इसी त्रासदी पर ‘माइग्रेंट वर्कर सोलिडियाराटी नेटवर्क’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इस नई रिपोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ताओं, ट्रेड यूनियनों एवं अन्य लोगो के गंभीर साक्षात्कारों के साथ-साथ मेहनतकश मज़दूरों के कष्टकारी व पीड़ादायक कहानियों का संकलन किया गया है।
अंग्रेजी में प्रकाशित ‘Citizens and the Sovereign: Stories from the largest human exodus in contemporary Indian history’ (नागरिक और संप्रभु: समकालीन भारतीय इतिहास के सबसे बड़े मानव पलायन की कहानियां) रिपोर्ट ऑनलाइन विमोचन के साथ जारी हुआ है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के लॉकडॉउन (तालाबंदी) के दौरान ‘माइग्रेंट वर्कर सोलिडियाराटी नेटवर्क’ (एम.डब्लू.एस.एन) द्वारा 45000 से अधिक श्रमिक जो अलग अलग जगहों पर फंसे थे, के लिए दस भाषाओं में हेल्पलाइन चलाया गया था जिसका दस्तावेजीकरण इस रिपोर्ट के रूप मे लाया गया है।
रिपोर्ट महामारी से पूर्व मज़दूरों के पलायन के संकट और रोजी-रोजगार की तलाश में गए लोगों के महानगरीय व बड़े शहरों से अपने गांव-घरों की ओर पुनः वापसी एवं दर बदर भटकने व उनके दर्द की कहानी कहता है। इस रिपोर्ट का मुख्य लक्ष्य प्रवासी मज़दूरों की जमीनी हकीकत, कष्ट एवं उनके संघर्षों को बताना है; बजाए इसके कि उन्हें विभिन्न राज्यों की तरफ से कितनी राहत व सुविधाएं उपलब्ध करवायी गयी या उनकी कितनी कमी रही जो जगजाहिर बात है।
लॉकडॉउन के शुरुआती दिनों में अलग-अलग जगहों पर फंसे मज़दूरों द्वारा अपने घरों की ओर लौटने व अपने अधिकारों एवं हको के लिए किए गए संघर्षों व प्रतिरोध को एम.डब्लू.एस.एन. द्वारा तैयार ‘प्रतिरोध मानचित्र’ (Resistance Map) प्रदर्शित करता है।
प्रस्तुत रिपोर्ट प्रवासी मज़दूरों एवं श्रमिको के मूल नागरिकता के प्रश्न की तरफ ध्यान आकर्षित करती है, साथ ही साथ इसकी धुरी श्रमिक एवं श्रमिक कानून, स्वास्थ्य, शिक्षा, निवास स्थान, जाति संबंधी मुद्दे, लिंग, साम्प्रदायिकता एवं जलवायु और पारिस्थितिकी संकट आदि को भी प्रदर्शित करती है।
यह असम, दिल्ली, हरियाणा कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड व अन्य जगहें जहाँ पलायन कर मज़दूरों की एक बड़ी जनसंख्या पहुंचती है वहां की एक झलक देती है।
माइग्रेंट वर्कर सोलिडियाराटी नेटवर्क एक पहल है, जिसे भारत में लॉकडॉउन (कोविड -19 महामारी) के समय शुरु किया गया था। इस पहल मे जुड़ने वाले लोग भारत के विभिन्न हिस्सों में श्रमिक संगठनों एवं आंदोलनों, ट्रेड यूनियनों, छात्र एवं छात्र आंदोलनों, शिक्षण कार्यों आदि से जमीनी तौर से जुड़े रहें हैं।
पूरी रिपोर्ट यहां उपलब्ध है- https://mwsn.in/resources/
‘Citizens and the Sovereign: Stories from the largest human exodus in contemporary Indian history’