फीस का मकड़जाल और शिक्षातंत्र की अमानवीयता

एक मेधावी छात्रा की खुदकुशी मौजूद दौर का दर्पण है!

लेडी श्री राम कॉलेज (LSR), दिल्ली की सेकेंड ईयर मैथमेटिक्स ऑनर्स की छात्रा ऐश्वर्या ने बीते 3 नवंबर को आत्महत्या कर ली। लॉकडाउन के बीच स्कालरशिप ना मिलने और छात्राओं से बेवजह हॉस्टल खाली कराने के फरमान से पैदा आर्थिक व मानसिक दबाव इसकी मूल वजह है।

क्या यह सांस्थानिक हत्या नहीं है?

ऐश्वर्या तेलांगना राज्य से आती थी। उनके पास से जो सुसाइड नोट मिला है उसमें आत्महत्या के पीछे आर्थिक कारणों का हवाला दिया गया है।

ऐश्वर्या अपने राज्य की टॉपर रही है और मिनस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा उन्हें फ़ेलोशिप मिलती थी जो लॉकडाउन के दौरान बंद हो गयी थी। LSR कॉलेज प्रशासन द्वारा केवल फर्स्ट ईयर की छात्राओं को हॉस्टल देने के फैसले के चलते सेकेंड ईयर की छात्राओं से हॉस्टल खाली कराया जा रहा था।

कॉलेज प्रशासन के इस फैसले से भी ऐश्वर्या दबाव में थी। ऐश्वर्या ने अपनी पढ़ाई के लिए अपना घर गिरवी रख के लोन ले रखा था और लॉकडाउन के दौरान उन पर आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा था। यही वो परिस्थितियां थी जिसमें ऐश्वर्या ने आत्महत्या का रास्ता चुना था।

स्पष्ट है कि ऐश्वर्या की मौत मौजूदा दौर की एक चीखती सच्चाई है! शिक्षा को कॉरपोरेटीकरण व मुनाफे के हवाले करने के साथ ही आम छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा पाने की तमन्ना अब सपना बनाता जा रहा है और तमाम मेधाएँ कुचल दी जा रही हैं।

ऐसे हालात में मानसिक तनाव व अवसाद बढ़ता जा रहा है, जिसकी एक अभिव्यक्ति खुदकुशी के रूप में सामने आ रही है।

ऐश्वर्या की आत्महत्या एक बानगी है, जो मुनाफे की अंधी हवस और घोर अमानवीयता की देन है! यह हर संवेदनशील नागरिक के सोचने के अहम सवाल को और तीखा करता है।

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