निजीकरण : सरकारी बैंकों में सरकार का नहीं होगा कोई दखल
मोदी सरकार के निर्देश पर आरबीआई बदल रहा है नियम
मोदी सरकार सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की राह पर तेजी से आगे बढ़ने के साथ निजी मुनाफाखोरों को पूरा मालिकाना भी सौंपने वाली है। सरकार की योजना है कि जिस बैंक का निजीकरण किया जाए, उसमें उसकी हिस्सेदारी और दखल पूरी तरह से खत्म हो जाए। इसके लिए सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से उस नियम में बदलाव चाहती है, जिसके तहत निजी बैंकों का मालिकाना हक तय होता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी सूत्र ने कहा कि इस मसले पर पीएमओ, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच बातचीत चल रही है कि आखिर उन बैंकों में कितनी हिस्सेदारी रखी जाए, जिनका निजीकरण किया जा रहा है।
27 सरकारी बैंकों में से महज 4 बैंक सरकारी रहेंगे
ज्ञात हो कि 2017 से अब तक देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 हो चुकी है। केंद्र सरकार अब देश में बचे 12 सरकारी बैंकों में से करीब आधे दर्जन या उससे ज्यादा बैंकों का निजीकरण करने जा रही है या फिर बड़ी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। हालांकि अब तक सरकार ने एसबीआई में 5 बैंकों के विलय समेत कई बैंकों का आपस में विलय किया है।
लेकिन अब सरकार निजीकरण की ओर बढ़ना चाहती है। केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने निजीकरण का ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जिसके मुताबिक सरकार को 4 बैंकों पर ही अपना नियंत्रण रखने का सुझाव दिया गया है।
सरकार भविष्य में भी जिन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखना चाहती है, उनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक शामिल हैं। इसके अलावा आयोग ने तीन छोटे सरकारी बैंकों पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक का प्राथमिकता के आधार पर निजीकरण करने की सलाह दी है।
अन्य सरकारी बैंकों (बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक और इंडियन बैंक) का सरकार या तो 4 बचे हुए बैंकों में विलय करेगी या फिर उनमें हिस्सेदारी घटाएगी। इन बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को 26 पर्सेंट तक सीमित कर सकती है।
मार्च, 2021 तक 4 बड़े सरकारी बैंक बिकेंगे
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के कम से कम 4 बड़े सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार सरकार पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक में बड़ी हिस्सेदारी रखती है और अब इसे बेचना चाहती है। इसके आलावा कुछ बैंकों में सरकार बड़ी हिस्सेदारी बेच देगी।
जनसत्ता में छपी ख़बर में सूत्र सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पीएम कार्यालय की ओर से वित्त मंत्रालय को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखा गया है, जिसमें इस फाइनेंशियल ईयर में इन 4 बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने की बात कही है। इससे स्पष्ट है कि सरकार अगले साल मार्च, 2021 तक इन बैंकों का निजीकरण कर सकती है।
सूत्र ने कहा कि बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और फिलहाल इस पर चर्चा की जा रही है। हालांकि अब तक सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन बीते दिनों एक और रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि सरकार देश के करीब आधा दर्जन बैंकों का निजीकरण करने के प्लान पर काम कर रही है।
सरकार का कुतर्क
नीति आयोग का कुतर्क है कि बैंकिंग सिस्टम में स्थिरता और मजबूती के लिए यह जरूरी है कि सरकारी बैंकों की संख्या कम हो, लेकिन बड़े हों। मोदी सरकार कठदलील दे रही है कि बैंकिंग सिस्टम मजबूत होने से अर्थव्यवस्था को मजबूती और स्थिरता मिलेगी।
केंद्र सरकार का दावा है कि कई सरकारी बैंकों का निजीकरण करने और कुछ बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर बड़ा बजट फंड बनेगा। सरकार का कथन है कि टैक्स कलेक्शन में कमी के चलते सरकारी बैंक आर्थिक संकट का सामना कर रही है।
बैंकों को चूना पूँजीपतियों ने ही लगाया
जबकि सच यह है कि निजी पूँजीपतियों ने ही बैंकों को लगातार चूना लगाया है, जिनके हवाले अब बैंकों को ही किया जा रहा है, ताकि जनता कि गाढ़ी कमाई को वे सीधे हड़प सकें।
ज्ञात हो कि कर्ज लेकर भाग जाना या बगैर चुकाए उन्हें रद्दी कि टोकरी में डलवाना मुनाफाखोरों का काम है। तजि जानकारी के मुताबिक देश के बैंकिंग सेक्टर के बुरे फंसे कर्ज (एनपीए) इस वित्त वर्ष के अंत तक 11 से 11.5 प्रतिशत तक हो सकता है। यह आशंका केयर रेटिंग ने जताई है। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि यह एनपीए भारत के तुलनात्मक देशों के मामले में सबसे ज्यादा होगा।
मालिकों का कर्ज अदा कर रही है मोदी सरकार
दरअसल, मोदी सरकार का एकमात्र एजेंडा जनता के खून-पसीने से खड़े सभी सरकारी-सार्वजानिक संस्थानों को निजी मुनाफाखोरों के हवाले करना। पूँजीपतियों ने अथाह रूपए पानी कि तरह बहाकर मोदी को प्रचंड बहुमत से इसीलिए आसीन किया था। ज़नाब मोदी पूरी निष्ठा से उसी कर्ज को अदा कर रहे हैं।