अल्मोड़ा स्थित बीएसएनएल कार्यालय को बंद करने का विरोध
पर्वतीय क्षेत्र के अन्याय के ख़िलाफ़ उपपा ने पीएम को भेजा ज्ञापन
अल्मोड़ा (उत्तराखंड)। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) ने अल्मोड़ा स्थित बीएसएनएल कार्यालय को हल्द्वानी मर्ज करने के निर्णय आक्रोश जताया है। पार्टी ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधान मंत्री, केन्द्रीय संचार मंत्री और मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन भेज इस पहाड़ विरोधी निर्णय को तत्काल वापस लेने की माँग उठाई है।
दरअसल अम्बानी कि जिओ जैसी कम्पनियों को लाभ पहुँचाने के लिए सरकारी कम्पनी बीएसएनएल को ख़त्म करने का मोदी सरकार का कुचक्र तेजी से चल रहा है। इसी के तहत बीएसएनएल के नेटवर्क को तबाह करने से लेकर उसके तमाम कार्यालयों को बंद करने का काम तेज हो गया है। अल्मोड़ा कार्यालय बंद करना उसी साजिश का हिस्सा है।
22 अक्टूबर को उपपा द्वारा भेजे गए ज्ञापन में लिखा है कि पर्वतीय क्षेत्रों की विकट समस्याओं के चलते अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत व पिथौरागढ़ के लिए भारत संचार निगम वर्ष 1996 में यहां खोले गए टीडीएम. कार्यालय को महाप्रबंध कार्यालय में उच्चीकृत किया गया था।
लेकिन अब आपकी सरकार ने भारत – नेपाल सीमा पर सैन्य बहुल इस क्षेत्र से उक्त महाप्रबंधक कार्यालयों को बन्द करने का फरमान ज़ारी कर दिया है। जिस कारण यहां जन असंतोष व्याप्त है।
उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र अपनी भौगोलिक जटिलताओं के कारण आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़ा क्षेत्र है। देश की आज़ादी और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हम लोगों को उम्मीद थी कि देश की सीमाओं पर बहादुरी के झंडे गाड़ने वाले इन क्षेत्रों की ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा पर स्थितियां लगातार बदतर होती जा रही हैं।
ज्ञापन में लिखा है कि आपकी डबल इंजन सरकार द्वारा बीएसएनएल के महाप्रबंधक अल्मोड़ा कार्यालय को बंद करने का फैसला इसकी एक बानगी है। पर्वतीय क्षेत्रों में खुले उनके विभागों के मुख्यालय अब लगभग मैदानी क्षेत्रों में या देहरादून शिफ्ट कर दिए गए हैं। कुछ कार्यालय जो अब रह गए हैं वो हाथी के दांत जैसे हैं। निश्चित ही यह स्थिति बहुत दुखदाई और इन पर्वतीय क्षेत्रों के प्रति अत्याचार है।
ज्ञापन में कहा गया है कि आज इंटरनेट के बिना पढ़ाई – लिखाई, व्यवसाय व विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती ऐसे में सीमांत पर्वतीय क्षेत्रों में संचार सेवाओं के लिए बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था करने के बदले अल्मोड़ा में 18 वर्ष पूर्व खुले कार्यालय को बंद करना पर्वतीय क्षेत्रों पर आपके दृष्टिकोण की कहानी स्वयं कहता है।
कोरोना काल में लाखों प्रवासी, मूलनिवासी युवा पूरे देश में वापस लौट रहे हैं और सरकार उनके लिए तरह तरह की घोषणाएं कर रही है ऐसे में यहां से महत्वपूर्ण कार्यालय को मैदानी क्षेत्र में जोड़ने का फ़ैसला अनुचित है।
ज्ञापन द्वारा माँग की गई है कि सरकार इस कार्यालय को अल्मोड़ा के नाम से हल्द्वानी में संचालित करने का फैसला वापस ले, पर्वतीय क्षेत्रों के विकास, पर्यटन, रोज़गार, राष्ट्रीय सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं प्राकृतिक आपदाओं के इतिहास को देखते हुए महाप्रबंधन अल्मोड़ा के कार्यालय को तत्काल रोके।
उपपा ने चेतावनी दी है कि सरकार ज्ञापन का तत्काल संज्ञान ले अन्यथा पर्वतीय क्षेत्रों की जनता में बढ़ता आक्रोश आंदोलन का रूप लेगा और हम लोगों को विवश होकर इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी पड़ेगी।
ज्ञापन में केन्द्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, पूरन सिंह मेहरा, वंदना कोहली, उषा उपाध्याय, राजू गिरी, नारायण राम, गोपाल राम, आनंदी वर्मा, हीरादेवी, किरन आर्या, गोविंद लाल वर्मा, भावना जोशी, सरिता मेहरा आदि के हस्ताक्षर हैं।