लीजिए अब प्लाज्मा थैरेपी फेल घोषित कर दी गयी!

कोविड-19 के नाम पर आईसीएमआर, डब्लूएचओ और वैश्विक फार्मा कम्पनियों के खेल/धंधे जारी हैं… इसी कड़ी में अब प्लाज्मा थेरैपी को असफल घोषित करने पर वरिष्ठ विश्लेषक गिरीश मालवीय कि टिप्पणी…

मै शुरू से ही लिख रहा हूँ कि भारत का ICMR पूरी तरह से WHO और वैश्विक फार्मा कम्पनियो की गुलामी कर रही है। आज ICMR  ने कहा है कि कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को जल्द ही बंद किया जा रहा है। …ICMR इस थेरेपी को कचरे के डिब्बे में डालने की तैयारी कर रहा है। ICMR कह रहा है कि इस थेरेपी से मृत्युदर में कोई कमी नहीं आती।

लेकिन यही ICMR  कोरोना की सबसे महंगी दवा रेमेडीसीवीर के लिए अलग बिलकुल अलग एप्रोच अपनाता है। जबकि रेमेडीसीवीर के बारे में भी यही कहा जाता है और इस बात पर तो WHO ने भी मुहर लगा दी है। लेकिन इसके बावजूद भारत का ICMR इसे कोरोना की इलाज प्रक्रिया में शामिल रखे हुए है।…

प्लाज्मा थैरेपी के बारे में WHO ने कभी भी सकारात्मक रुख नहीं अपनाया

10 अगस्त को ही मैंने लिखा था कि ‘दुल्हिन वही जो पिया मन भाए और इलाज वही जिसपे WHO ठप्पा लगाए’। मुझे याद है लगभग 2 महीने पहले NDTV पर WHO वाली सौम्या स्वामीनाथन का इंटरव्यू था। उनसे इंटरव्यू लेने वाले ने प्लाज़्मा थेरेपी की बात की तो उन्होंने कोई इंट्रेस्ट ही नहीं लिया था। उसमे, बात टाल दी थी। मै तभी समझ गया था कि इनका इंट्रेस्ट इलाज में नहीं है बल्कि पैनिक क्रिएट करने और उसे सतत बनाए रखने में है।

…कोविड ग्रस्त होकर ठीक हुए सैकड़ों लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया और सरकार ने प्लाज्मा बैंक भी खोल दिया। मुख्यमंत्री अपील कर रहे है कि आओ और प्लाज़्मा दो लेकिन अब कह रहे है कि प्लाज़्मा थेरेपी कारगर नहीं है। दरअसल ऐसा कन्फ्यूजन जान बूझकर क्रिएट करते है ये लोग, ताकि बाद में आसानी से पलट सके, कि हमने तो पहले ही बोल दिया था, ICMR ओर एम्स तो वैसे भी इनके गुलाम बन ही चुके है।

आज यही बात सच साबित हुई है। ICMR के इस निर्णय से दिल्ली सरकार खासी नाराज है। यहाँ के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन कह रहे है कि ‘आईसीएमआर-एम्स ने मिलके केस स्टडी शुरू की थी लेकिन उसमें कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली है। दिल्ली सरकार इसमें काफी आगे बढ़ चुकी है और ट्रायल हमने उन्हीं के परमिशन से शुरू की थी। परमिशन लेकर ही प्लाज़्मा दिल्ली में दिया जा रहा है।

दिल्ली में दो हजार से ज्यादा प्लाज्मा लोगों की जान बचाने के लिए दिया जा चुका है। मैं खुद उदाहरण हूं, प्लाज्मा से मेरी जान बची है, मैं कहूंगा ऐसा नहीं करना चाहिए। दिल्ली में इसका फायदा होते हुए दिख रहा है। दो हजार से ज्यादा लोगों को प्लाज्मा बैंक के ज़रिए प्लाज्मा दिया गया और बहुत सारे लोगों ने खुद प्लाज्मा का इंतजाम किया वह अलग है। सिर्फ आईएलबीएस से दो हजार से ज्यादा प्लाज़्मा जारी किया जा चुका है।

अमेरिका ने भी कहा कि प्लाज़्मा के फायदे हैं और रिसर्च पूरी दुनिया में चल रही थी। अमेरिका में अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोना से लड़कर ठीक हुए मरीजों से प्लाज्मा दान करने की अपील की है। इससे पहले चीन में फरवरी से ही इस मेथड के माध्यम से इलाज किया जा रहा है।

साफ़ है कि ICMR बिग फार्मा कम्पनियो के दबाव में आकर प्लाज्मा थेरेपी को फेल बता रही है। यदि इसे फेल नहीं बताया जाएगा तो लोग Regeneron कम्पनी की नई एंटीबॉडी ड्रग REGN-COV2 को कैसे खरीदेंगे!

गिरीश मालवीय की पोस्ट, साभार

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