दिल्ली दलित लड़की का रेप, न्याय की माँग करने वालों का दमन

घटना कवर कर रहे पत्रकार को भी पुलिस ने पीटा

16 अक्तूबर को दलित लड़की से हुए गैंगरेप के खिलाफ़ हो रहे विरोध-प्रदर्शन को कवर करने गए कारवां के 24 वर्षीय पत्रकार अहान पेनकर को दिल्ली के मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन के एसीपी अजय कुमार और अन्य पुलिस अधिकारियों ने थाने ले जाकर पिटाई की। इस बारे में पेनकर ने दिल्ली कमिश्नर के सामने लिखित शिकायत भी दर्ज कराई है।पेनकर ने हमले की दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव के समक्ष शिकायत में अजय कुमार और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 342 और 506 (2) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।

दिल्ली कमिश्नर को अपनी शिकायत में पेनकर ने बताया है कि 16 अक्तूबर को वह दोपहर लगभग 2.45 बजे मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन पहुंचे थे जहां लगभग 30 लोग विरोध कर रहे थे। इसमें से दस लोग पीड़ित लड़की के ही परिवार के थे। “पहुंचने के तीस मिनट बाद जब मैं लड़की की चाची से बात कर रहा था तभी पुलिस आई और प्रदर्शनकारियों तथा चाची को अंदर ले गई। मैं अपने मोबाइल फोन से घटना का वीडियो बनाने लगा और मेरे एक हाथ में मेरा प्रेस कार्ड था जिसे मैं पुलिस वालों को दिखा रहा था। मैंने उन्हें बार-बार बताया कि मैं कारवां का पत्रकार हूं। मेरा प्रेस कार्ड देखने और मेरे बार-बार कहने के बावजूद पुलिस वाले चार अन्य लोगों के साथ मुझे एक कमरे के अंदर ले गए। जहां उन्होंने हमें जमीन पर बैठने को कहा।

पुलिस ने फौरन मेरा फोन छीन लिया और मुझे पुलिस स्टेशन के बाहर घसीटा। पुलिस पूरे वक्त हमें गालियां देती और धमकाती रही। थोड़ी देर में एसीपी अजय कुमार कमरे में आए। उनके पास स्टील की एक रॉड थी। वह हमें उससे मारने और डराने लगे।” उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि ”एसीपी अजय कुमार ने पहले मेरे चेहरे पर लात मारी और मैं जमीन पर गिर गया। फिर मेरे पीठ और कंधे पर लात मारी। जब मैं उठ कर बैठा, तो एसीपी ने मेरा सिर जमीन में दबा दिया और फिर मेरी पीठ पर मारने लगे।”

पेनकर बताया कि, ”मैं इस बात का गवाह हूं कि स्टेशन में मेरे साथ-साथ अन्य लोगों को भी पीटा गया। मैंने देखा कि एसीपी ने एक आदमी को दो थप्पड़ मारे, फिर उसे जमीन पर लेटा दिया और उसके बाद उसके लीवर पर कई बार मुक्के मारे। इसके बाद अपने पैर से उसकी गर्दन दबाने लगे। अन्य पुलिस वाले, जिनके नाम मैं नहीं जानता, लेकिन सामने पेश करने पर पहचान सकता हूं, भी प्रदर्शनकारियों को मारने की हरकत में शामिल थे। मैंने उन्हें एक सिख और एक मुस्लिम युवक को मारते देखा। पुलिस ने मारते हुए सिख लड़के की पगड़ी खोल दी। एसीपी के साथ कम से कम पांच पुलिस वाले मारने में शामिल थे। लगभग पांच पुलिस वाले और किनारे खड़े थे जो यह होता देख रहे थे।’’

गुड़ मंडी (डीयू परिसर क्षेत्र) की 17 साल की एक दलित लड़की, जिसका मॉडल टाउन में मकान मालकिन के बेटे और उसके ड्राइवर द्वारा बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, जहाँ वह पिछले 10 दिनों (24 घंटे) से काम कर रही थी। घटना के दिन वह अपनी ‘मौसी’ को फोन पर कुछ बताना चाहती थी, लेकिन मकान मालकिन की मौजूदगी के कारण बहुत असमर्थ थी। उसी दिन बाद में, मकान मालकिन की बेटी खुद लड़की की ‘मौसी’ को अपनी मां के घर ले गई, जहां पहले से ही पुलिस बल मौजूद था, कुछ संघर्ष के बाद उसे पीड़िता को देखने की अनुमति दी गई, जो तब तक मर चुकी थी और उसका शव ड्राइवर के कमरे में लटकता हुआ मिला।

उसके बाद पुलिस ने घटना स्थल से शव को कब्जे में ले लिया और परिवार के लोग पीड़िता के शरीर का कोई पता नहीं लगा पाए। इसलिए, वे मकान मालकिन के घर गए, जहां से ना केवल पुलिस ने परिवार के 12 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया, बल्कि उन्हें बेरहमी से पीटा भी। यहां तक कि गिरफ्तार की गई महिलाओं से पुरुष पुलिसकर्मी भी मारपीट करते रहे। इसके अलावा उन्होंने परिवार को लॉकअप में देर रात तक बंधक बनाए रखा।

अगले दिन पुलिस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई, जिसकी अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं है और उसी दिन शाम तक, पुलिस ने कुछ परिवार के सदस्यों की उपस्थिति (जबरन) में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। परिवार को शव घर वापस लाने तक नहीं दिया गया। यहां तक कि पुलिस ने परिवार को पीड़िता के पूरे शव को देखने की अनुमति तक नहीं दी।अब तक मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन द्वारा कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, दूसरी ओर पुलिस के लोग आपराधिक आरोप जड़ देने की धमकी के साथ परिवार को परेशान कर रहे हैं।

जब परिवार ने डीसीपी कार्यालय, अशोक विहार से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्हें बताया गया कि, “हम सब कुछ जानते हैं और यहां तक कि हमें पल-पल की खबर मिलती है।“ लेकिन फिर भी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसी बात के विरोध में कई संगठनों के लोग शुक्रवार की दोपहर 2 बजे के बाद उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के मॉडल टाउन थाने के सामने निम्न मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।

1. दोषियों के खिलाफ तुरंत बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

2. इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

3. लड़की की लाश को जबरन जलाने के दोषी अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए।

4. लड़की के परिवार के 12 सदस्यों (8 महिला, 4 पुरुष) को थाने के अंदर 8 घंटे तक पीटने और लगातार प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

वहीं डीसीपी उत्तर पश्चिम दिल्ली ने अपने ट्विटर हैंडल पर बयान दर्ज कर आरोप लगाया है कि अहान पेनकर वहां जमा भीड़ के साथ प्रदर्शन कर रहे थे और अन्य लोगों के साथ उन्हें भी हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि उसने पेनकर के नाम नोटिस जारी किया है।

हमले की निंदा करते हुए इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (भारतीय समाचार पत्र सोसायटी) ने वक्तव्य जारी किया है और दोषियों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।

संवाददाता सुशील मानव

जनचौक से साभार

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