नेस्ले मज़दूरों ने भोजन त्यागकर आंदोलन किया तेज

माँगपत्र के समाधान के लिए जारी है सत्याग्रह आंदोलन

पंतनगर (उत्तराखंड)। नेस्ले इंडिया लिमिटेड पंतनगर में माँग पत्र पर प्रबन्धन की हठधर्मिता के ख़िलाफ़ सत्याग्रह आंदोलन के तहत दोनो यूनियनों के नेतृत्व में श्रमिको ने प्रातः कालीन और सॉय कालीन पाली में भोजन का त्यागकर काम करने के साथ आंदोलन को और तेज कर दिया है।

ज्ञात हो कि नेस्ले में 31 दिसंबर 2019 को त्रिवार्षिक समझौते की अवधि समाप्त हो गई थी और कंपनी की दोनों यूनियनों- नेस्ले मज़दूर संघ व नेस्ले कर्मचारी संगठन ने 5 नवंबर 2019 को अपना माँगपत्र दिया था। जिसके संबंध में अभी तक प्रबंधन व सहायक श्रम आयुक्त की मध्यस्थता में कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। लेकिन गतिरोध बना हुआ है।

प्रबन्धन की हठधर्मिता से मज़दूरों में आक्रोश

नेस्ले मज़दूर संघ के मंत्री सुरेंद्र सिंह मेहरा व नेस्ले कर्मचारी संगठन के महामंत्री चंद्र मोहन लखेड़ा ने बताया कि दोनों यूनियनों ने अपने माँग पत्र पर लचीलापन दिखाया है, वहीं नेस्ले प्रबंधन अपनी हठधर्मिता छोड़ने को तैयार नहीं है जिससे कंपनी का माहौल ख़राब हो रहा है।

कोविड-19 जैसे घातक महामारी में जहाँ श्रमिको ने कंपनी का पूर्ण सहयोग दिया है वहीं कंपनी प्रबंधक श्रमिकों के अधिकारों का शोषण और दमन करने को आमादा हो रही है। इससे मज़दूरों में लगातार रोष बढ़ रहा है।

विरोध में सत्याग्रह आंदोलन

यूनियन नेताओं ने बताया कि प्रबन्धन के अड़ियल रुख के कारण दोनो यूनियनों ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया जिसके तहत 22 सितम्बर से श्रमिकों ने कंपनी में काले बैच बांधकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। तत्पश्चात 28 सितम्बर से यूनियन ध्वज के निकट कंपनी गेट पर 10 मिनट की नारेबाज़ी प्रारंभ हुई।

भोजन त्यागकर काम करने का आंदोलन

प्रबन्धन की हठधर्मिता जारी रहने के कारण दोनो यूनियनों ने आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए सयुक्त रूप से गठित दोनो यूनियनों की 12 सदस्यी टीम ने 8 अक्टूबर से समझौता होने तक कम्पनी में चाय,नास्ता व भोजन का त्यागकर काम करने का आंदोलन शुरू किया।

इसी क्रम में आज 17 दिसंबर से समस्त श्रमिको ने कंपनी में बगैर भोजन किए काम करने का आंदोलन शुरू किया। समस्त मज़दूर भोजन अवकाश में कैंटीन में खाली थाली लेकर बैठे। यह आंदोलन 25 अक्टूबर तक चलेगा।

समाधान नहीं तो आंदोलन होगा और तेज

दोनो यूनियनों के अध्यक्ष राजेंद्र गोंसाई तथा सोहन लाल सेमवाल ने बताया कि चरणबद्ध रूप से आंदोलन आगे बढ़ रहा है। यदि प्रबंधन ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी तो दोनों यूनियनों द्वारा वैधानिक आन्दोलन को और तेज किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी कारखाना प्रबंधक की होगी।

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