मज़दूर संघर्षों को गति देने में पुस्तकों की भूमिका अहम

मजदूरों के बीच शहीद भगत सिंह पुस्तकालय स्थापित, इंक़लाब फ़िल्म का प्रदर्शन व चर्चा

रुद्रपुर 27 सितंबर। मज़दूरों को अपने अतीत को, अपने इतिहास को, अपने संघर्षों को जानने की जरूरत है ताकि एक सुंदर भविष्य की रचना की जा सके। इसी उद्देश्य से शहीद भगत सिंह पुस्तकालय की स्थापना हुई। भगवती श्रमिक संगठन की कार्यकारी अध्यक्ष वंदना बिष्ट व अधिवक्ता रेनू तिवारी ने फीता काटकर पुस्तकालय का उद्दघाटन किया। तो नेस्ले कर्मचारी संगठन के संरक्षक धनवीर राणा व अमर सिंह ने भगत सिंह के चित्र पर माल्यार्पण किया।

शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिवस 28 सितंबर की पूर्व संध्या 27 सितंबर को विशेष दिन बनाते हुए मज़दूर वर्ग के लिए मज़दूर सहयोग केंद्र के कार्यालय में पुस्तकालय की शुरुआत के साथ उनके विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प बाँधा गया।

इसके साथ ही भगत सिंह पर केन्द्रित गौहर रज़ा की डॉक्युमेंट्री फिल्म ‘इंक़लाब’ का प्रदर्शन हुआ और भगत सिंह के विचारों की रौशनी में वर्तमान दौर व हालात पर चर्चा हुई।

पढ़ने-पढ़ाने को ख़त्म करने के कुचक्र के बीच भी पुस्तकें अहम

वक्ताओं ने कहा कि आज के एक कठिन समय में जब साजिशन पढ़ने-पढ़ाने का माहौल पूरी तरीके से खत्म हो रहा है, ऐसे में पुस्तकों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पुस्तक मानव जीवन के लिए ठीक उसी प्रकार हैं जिस प्रकार किसी घर में रोशनी और हवा आने के लिए खिड़की की आवश्यकता होती है।

मज़दूरों को अपने अतीत को जानने, अपने इतिहास को जानने, अपने संघर्षों को जानने की जरूरत इसलिए भी है ताकि अपने मुक्तिकामी संघर्ष को गति देकर वे एक सुंदर भविष्य की रचना कर सकें।

शहीदे आज़म के सपनों को साकार करना होगा!

फिल्म के बाद हुई चर्चा में मज़दूर साथियों ने कहा कि भगत सिंह ने जिस आज़ाद भारत का सपना देखा था, वह अधूरा रह गया और अब तो मोदी सरकार के इस दौर में एक ईस्ट इंडिया कंपनी की जगह सैकड़ों कंपनियों की ग़ुलामी की बेड़ियाँ देश की मेहनतकश आवाम के पैरों में जकड़ गई हैं। लम्बे संघर्षों के दौरान हासिल सीमित अधिकार भी ख़त्म हो रहे हैं।

इसी के साथ धर्म व जाति के बीच जुनूनी माहौल बनाकर मेहनतकश के बीच बंटवारे की दीवार और खतरनाक रूप से खड़ी कर दी गई है।

  • भगत सिंह को जानें

ऐसे कठिन समय में भगत सिंह आज पहले से ज्यादा प्रासंगिक हैं, ताकि उनके विचारों की रोशनी में नफ़रत की दीवार को तोड़कर संग्रामी एकता कायम हो। शहीदे आज़म के सपने को साकार करते हुए एक समतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में, समाजवाद की स्थापना की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।

आज के कार्यक्रम में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र के दिनेश, नेस्ले कर्मचारी संगठन के चंद्र मोहन लखेड़ा, एलजीबी वर्कर्स यूनियन के पूरन पांडे, भगवती माइक्रोमैक्स के दीपक सनवाल, रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ के धीरज जोशी, एडविक श्रमिक संगठन के हरपाल, महिंद्रा कर्मकार यूनियन के अजय, महिंद्रा सीआईई के हेम चंद, पारले मजदूर संघ के प्रमोद तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता नवीन चिलाना, ललित बोरा, जितेंद्र, महेंद्र राणा, जमन सिंह, सतेंद्र आदि शामिल रहे।

संचालन मज़दूर सहयोग केंद्र के मुकुल ने किया।

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