सत्यम ऑटो के मज़दूरों ने प्रदर्शन कर निकाला जुलूस

गैरकानूनी गेटबंदी के ख़िलाफ़ साढ़े तीन सालों से संघर्षरत हैं मज़दूर

हरिद्वार (उत्तराखंड), 20 सितंबर। हीरो मोटोकॉर्प की वेंडर कंपनी सत्यम ऑटो कंपोनेंट लिमिटेड के मज़दूरों ने 17 अप्रैल 2017 से गैरकानूनी गेट बंदी खुलवाने के लिए लूडो क्लब हरिद्वार के मैदान मे एक सांकेतिक प्रदर्शन किया। इसके बाद बीएचएल के स्वर्ण जयंती पार्क तक एक जुलूस निकाला।

इस आंदोलन के समर्थन में संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा, भेल ट्रेड यूनियन, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, फूड श्रमिक यूनियन आईटीसी, एवरेस्ट इंडस्ट्री मज़दूर यूनियन व यू एम क्राफ्ट मज़दूर यूनियन व हीरो मोटोकॉर्प से गैर कानूनी तरीके से निकाले गए अरुण सैनी आदि उपस्थित रहे।

सत्यम के मज़दूर भुखमरी के कगार पर

इस अवसर पर मज़दूर नेताओं ने कहा कि वर्तमान की स्थिति में सत्यम ऑटो कंपोनेंट से अवैध रूप से निकाले गए सभी श्रमिक भुखमरी की कगार पर है। फीस न जमा होने कारण बच्चों की पढ़ाई अधर में लटकी हुई है। सभी श्रमिक के परिवार आर्थिक मानसिक हानि झेल रहे हैं। जबकि सभी श्रमिकों ने संबंधित अधिकारियों स्थानीय जनप्रतिनिधि विधायक, सांसद, श्रम मंत्री, मुख्यमंत्री आदि के सामने अपनी समस्या कई बार रह चुके हैं, लेकिन कहीं से भी मज़दूरों को न्याय नहीं मिला है।

लंबे समय से संघर्षरत हैं मज़दूर

सत्यम ऑटो के मज़दूर वर्ष 2008 से कार्य कर रहे हैं। मज़दूरों ने अपने आप को संगठित किया और 2012 में वे 3 वर्ष के वेतन समझौते पर पहुंचे थे। मज़दूरों ने इस वेतन समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद 29 जुलाई 2015 को अपना अट्ठारह सूत्री माँग पत्र कारखाना प्रबंधक को दिया। कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन प्रबंधन की हठधर्मिता से अंततः विवाद औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी को संदर्भित कर दिया गया। जहाँ यह माँगपत्र अभी भी विचाराधीन है।

इस बीच प्रबंधन ने 2 मार्च 2017 को गोपनीय तरीके से कुछ मज़दूरों को अपने पक्ष में करके उनसे एक समझौता कर लिया। जिसका मजदूरों ने विरोध किया और अपनी लिखित आपत्ति श्रम अधिकारियों को दी। लेकिन कम्पनी और श्रम विभाग की मिलीभगत से मज़दूरों को ही दंड भोगना पड़ा।

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यह सीधे गैरकानूनी कृत्य है

यह गौर करने की बात है यदि कंपनी में औद्योगिक विवाद कायम है और वह प्रकरण श्रम न्यायालय या औद्योगिक न्यायाधिकरण में विचाराधीन है, तो इस दौरान प्रबंधन किसी भी प्रकार का ऐसा कार्य नहीं कर सकता जो औद्योगिक शांति के विपरीत हो।

प्रबंधन द्वारा मज़दूरों के बहुमत को छोड़कर जिस तरीके से अपनी पॉकेट कमेटी से समझौता कर लिया है, वह एक तरफ तो उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 6-ई का खुला उल्लंघन है। साथ ही या पूरा प्रकरण अनुचित व्यवहार की श्रेणी में भी आता है और  उसकी अनुसूची  5 का भी खुला उल्लंघन।

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मज़दूरों ने दी चेतावनी

मज़दूरों ने कहा कि अब मज़दूर आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं और अपनी आवाज को पूरे प्रदेश में बुलंद करने वाले हैं। मजदूरों को सभी बेरोजगार युवाओं का भी समर्थन मिल रहा है। आज श्रमिकों को सोए हुए शासन प्रशासन को जगाने की कोशिश की है।

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