देश की पहली मेट्रो की हिस्सेदारी भी बेचने की तैयारी

मोदी सरकार की निगाह अब कोलकाता मेट्रो पर

केन्द्र सरकार के सचिवों के समूह की एक बैठक में सलाह दी गई है कि देश की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो में घाटे से बचने के लिए हिस्सेदारी बेचे जाने पर विचार किया जाना चाहिए। बता दें कि कोलकाता मेट्रो देश की एकमात्र मेट्रो सेवा है, जो कि भारतीय रेलवे के अन्तर्गत आती है और रेलवे द्वारा ही वह प्रशासित की जाती है।

सचिवों के समूह की बैठक में रेलवे के मुद्दे पर चर्चा के दौरान यह सलाह दी गई। सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान यह बात भी रखी गई कि देश के अन्य मेट्रो प्रोजेक्ट राज्य सरकार के अन्तर्गत आते हैं। वहीं कोलकाता मेट्रो भारतीय रेलवे के अन्तर्गत। इस बैठक में वित्त, रेलवे और आवास और शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही रेलवे बोर्ड, नीति आयोग के अधिकारी भी शामिल हुए।

बीती 16 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सचिवों के समूह की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि रेलवे को उधार लेना कम करके नए तरीकों से पैसा कमाना चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बैठक में कहा कि 2014-15 के मुकाबले में रेलवे का पूंजी व्यय (Capital expenditure) 2019-20 में तीन गुना बढ़ गया है। इसमें 70 फीसदी खर्च अतिरिक्त बजटीय संसाधन से उधार लेकर किया जाता है।

बैठक के दौरान कहा गया कि बीते वर्ष की तुलना में मौजूदा वित्तीय वर्ष में रेलवे का राजस्व 52.6 फीसदी घटा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट लक्ष्य में 75 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान जताया जा रहा है। यही वजह है कि रेलवे का राजस्व बढ़ाने के लिए यात्री किराए में बढ़ोत्तरी, विज्ञापन, CONCOR, IRCTC, कोलकाता मेट्रो आदि में हिस्सेदारी बेचकर, सभी स्टेशनों पर यूजर फीस लगाने पर विचार किया जा रहा है।

बता दें कि सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने और निजीकरण को बढ़ावा देने के मुद्दे पर केन्द्र की मोदी सरकार पहले ही विपक्ष के निशाने पर है। कोलकाता मेट्रो में हिस्सेदारी बेचने की बात भी पहली बार सामने आयी है।

जनसत्ता से साभार

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