बढ़ते कोरोना पॉजिटिव, लेकिन सरकारी निर्देश नहीं बंद होंगे कारखाने

टेस्ट के साथ कई कंपनियों में बढ़े संक्रमण के मामले और अव्यवस्था

एक तरफ पूरे देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच तमाम फैक्ट्रियों में भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मज़दूरों में दहशत का माहौल व्याप्त है। दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार ने शासनादेश जारी करके यह साफ कर दिया है कि कारखाने बंद नहीं होंगे। भारी कोरोना संक्रमण के मामले मिलने के बाद भी 2 दिन से अधिक बंदी नहीं होगी।

क्या है उत्तराखंड सरकार की गाइडलाइन?

राज्य सरकार ने बुधवार को उद्योगों, व्यवसायिक संस्थानों और निर्माण से जुड़ी कंपनियों को कोरोना काल में अबाध रूप से काम करने देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

अनलॉक-तीन के तहत जारी की गई इस एसओपी के तहत कम संख्या में कर्मियों के संक्रमण पर जाने पर कंपनी, उद्योग, संस्थान को बंद नहीं करना होगा। अधिक संख्या में संक्रमण पाया जाता है तो परिसर को पूरी तरह से संक्रमण मुक्त करने के लिए अधिकतम 2 दिन के लिए बंद किया जाएगा।

उद्योगों की सुविधा के लिए कृत संकल्प सरकार ने इस एसओपी का पालन करने के लिए जिलाधिकारियों को अधिकार दे दिए हैं। साथ ही उद्योगों को अपने स्तर पर लाइजन अफसर नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनका काम उद्योगों और प्रशासन के बीच संपर्क की कड़ी का होगा।

कम्पनियों में बढ़ाते पॉजिटिव मामले

मुहल्लो, गाँवों के साथ फैक्ट्रियों में भी अब रैंडम टेस्ट हो रहे हैं। इसमें पॉजिटिव की संख्या में तेजी से इज़ाफा हो रहा है। बुधवार को अकेले रुद्रपुर की बस्तियों में 51 मामले फैक्ट्री मज़दूरों के मिले हैं।

इस दरमियान फैक्ट्रियों में टेस्ट से डाबर में 4 (2 कंपनी रोल के 2 ठेकेदार के), लुकास टीवीएस में 5, एमएमटी में 5 पॉजिटिव मामले आए। जबकि अबतक पॉजिटिव मामलों की संख्या बढाकर डेल्टा में 72, नेस्ले में 43 और पारले, पंतनगर में 6 हो गई है।

टाटा मोटर्स में अभी रैंडम टेस्ट शुरू नहीं हुआ है, फिर भी निजी जाँच द्वारा वहाँ 9 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि तमाम कम्पनियों के नामो की जानकारी नहीं हो सकी है, जहाँ पॉजिटिव मामले मिले हैं।

पूरे राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में हालात कठिन

राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों हरिद्वार, देहरादून, पंतनगर, सितारगंज, लालकुआ में संक्रमण के मामले लगातार बढ़ाते जा रहे हैं।

इससे पूर्व हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, हीरो, विप्रो, एकम्स, कॉरल, एचयूएल, से लेकर महिंद्रा, टाटा, ब्रिटानिया, बजाज, महालक्ष्मी, वीएचबी, जेबीएम, सेंचुरी, राकेट रिद्धि सिद्धि, परफेटी, मेटल मैन, मिंडा, पारले, डेल्टा, नेस्ले, बालाजी एक्सन आदि कम्पनियों में संक्रमण के साथ ही सेंचुरी, डाली और समीर, बालाजी एक्शन में मौत की खबरों से खौफ का माहौल बढ़ रहा है।

सेंटरों में भारी अव्यवस्था

कम्पनियों में रैंडम टेस्ट के दौरान एक बार पॉजिटिव मिलने के बाद उन्हें होटलों में या पंतनगर विश्वविद्यालय के होस्टलों में डाला जाता है, जहाँ भारी अव्यवस्था है। पौष्टिक भोजन दो दूर की बात है।

कई मामले ऐसे आ रहे हैं, जहाँ फैक्ट्रियों में पॉजिटिव मिलने के बाद उन्हें 14 दिन के होम आइसोलेशन में भेज दिया जा रहा है। लेकिन किसी की भी दोबारा जाँच नहीं हो रही है।

टेस्ट के लिए ‘सुविधा शुल्क’

होम आइसोलेशन वालों से कम्पनियाँ स्वयं जाँच कराकर आने को बोल रही हैं। लेकिन सरकारी अस्पताल में तमाम दिन धक्के खाने के बाद भी जाँच नहीं हो रही है। ज्यादातर अलग से ‘सुविधा शुल्क’ देने वालों की तुरंत जाँच हो जाती है। हालत ये हैं कि यदि टेस्ट में विलम्ब हो तो वेतन कटता रहेगा, इसलिए मजबूरन उन्हें ‘सुविधा शुल्क देकर रिपोर्ट लेना पड़ रहा है।

नाम ना लेने की शर्त पर एक फैक्ट्री के 5 कर्मियों (जिसमे सुपरवाईजर भी थे) ने बताया कि लगातार 4 दिन दौड़ाने के बाद भी जब नहीं बना तो उन्हें ‘सुविधा शुल्क’ देना पड़ा।

सरकार का दोहरा मानदंड

हालांकि जिस सरकार ने संक्रमण के मामलों के बावजूद कारखानों को न बंद करने का फरमान दिया है, उसी सरकार ने आवासीय इलाकों में मामले मिलने पर उसे कंटोनमेंट जोन के तहत लाने का निर्देश दिया है। यहाँ तक कि पॉजिटिव मिलते ही अस्पताल, थाने तक सील हो रहे हैं।

यानी सरकार का नियम एक तरफ उद्योगों कंपनियों के लिए एक है दूसरी ओर आम जनता के लिए दूसरा।

निश्चित रूप से यह एक बड़े भय का माहौल बना रहा है इससे सरकार की नियत भी साफ हो रही है।

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